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ACB और EOW ने वेबसाइट पर अपलोड की सारी FIR, हाईकोर्ट ने निराकृत की जनहित याचिका
HIGH COURT

बिलासपुर। राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की FIR की कॉपी वेबसाइट में अपलोड करने का निर्देश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका हाईकोर्ट ने निराकृत कर दी है। दरअसल इस मामले की सुनवाई के बीच ही EOW और ACB बीते 7 वर्षों के दौरान किये गए FIR को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का नहीं हो रहा था पालन

चिरमिरी निवासी RTI कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने सन् 2021 में एक जनहित याचिका दायर करते हुए कहा था कि ईओडब्ल्यू और एसीबी में दर्ज किए जाने वाले एफआईआर वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया जा रहे हैं, जबकि सभी पुलिस स्टेशन, सीबीआई, एनआईए इत्यादि जांच एजेंसियां ऐसा करती हैं। राज्य के दोनों विभागों के अधिकारियों से उन्होंने कई बार पत्राचार किया लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 7 दिसंबर 2016 को यूथ एसोसिएशन विरुद्ध यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मामले में सभी थानों में दर्ज एफआईआर वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से अपलोड करने का आदेश दिया था।

क्या है सुको का आदेश..?

सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में यूथ एसोसिएशन विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया केस में यह आदेश दिया था कि पुलिस व अन्य संबंधित विभाग FIR रजिस्टर होने के 24 घंटे के अंदर उसे ऑनलाइन करेंगे। किसी विशेष परिस्थिति में यह समय सीमा 48 घंटे तक बढ़ाई जा सकती है। इस आदेश का पालन सभी राज्यों को 15 नवंबर 2016 तक करना था। देश के सभी राज्यों ने इसे लागू भी किया मगर छत्तीसगढ़ की राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने ऐसा नहीं किया, तब चिरमिरी के RTI कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट के 07/9/2016 के आदेश का परिपालन करवाने हेतु छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल किया। हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान ACB के वकील ने नेता और अधिकारियों की गोपनीयता का हवाला देकर ऐसा करने से मना किया, वकील के इस तर्क से चीफ जस्टिस नाराज हो गए, तब ACB के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि चार लोगों की कमेटी बना दी गई है जो FIR ऑनलाइन अपलोड करेंगे।

2017 से अब तक के FIR…

इस जनहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से जवाब प्रस्तुत किया गया। इसमें बताया गया कि सन् 2017 से लेकर अब तक दर्ज FIR की कॉपी वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है। शासन के इस जवाब के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच ने याचिका का निराकरण कर दिया।

समाधान APP से मिलेगी मदद

छत्तीसगढ़ पुलिस ने “समाधान – छ. ग. पुलिस” नामक APP तैयार किया है, जिसमें ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने की सुविधा के साथ ही आप राज्य भर की पुलिस के साथ ही राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज किये गए अब तक के FIR देख सकेंगे। इसके लिए “देखें प्रथम सूचना पत्र” (FIR) को क्लिक करने पर थाने का नाम दर्ज करने का OPTION आएगा। इसमें आपको रायपुर दर्ज करना होगा, जिसमें जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों के नाम आएंगे। इनमें से आपको “अपराध अन्वेषण विभाग, पुलिस मुख्यालय रायपुर को क्लिक करना होगा। आगे की प्रक्रिया के तहत आपको संबंधित प्रकरण के मुताबिक वर्ष, महीना और दिनांक का उल्लेख करना होगा। इसके बाद संबंधित FIR की जानकारी आपके सामने होगी और इसे आप डाउन लोड भी कर सकते हैं।

बता दें कि FIR ऑनलाइन करने वाला आधिकारी डीएसपी रैंक से कम का नहीं होगा, वहीं एफआईआर की कॉपी आरोपी को कोर्ट प्रोसेडिंग शुरू होने के पहले दी जायेगी। बहरहाल RTI कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा द्वारा दायर इस जनहित याचिका का सुफल यह निकला कि अब लोग राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) और एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा दर्ज FIR को ऑनलाइन देख सकेंगे और जानकारियां हासिल कर सकेंगे।

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