रायपुर. छत्तीसगढ़ भाजपा के सबसे महत्वपूर्ण यूथ विंग में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. आधी रात को सोशल मीडिया ग्रुप में प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत को चुनौती देने की घटना के बाद रविवार को छत्तीसगढ़ भाजपा के सह प्रभारी नितिन नबीन द्वारा ली गई बैठक में कई जिलाध्यक्षों व प्रदेश कार्यसमिति के सदस्यों ने दूरी बना ली. ऐसे समय में जब भाजपा की कोर कमेटी सभी मोर्चा को आगे रखकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रही है, तब युवा मोर्चा जैसे महत्वपूर्ण विंग में अंदरूनी लड़ाई जारी है. इसे लेकर संगठन के नेता कुछ भी कहने से बच रहे हैं.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभालने के बाद सांसद अरुण साव ने युवा मोर्चा की जिम्मेदारी रवि भगत को सौंपी. जब भगत की नई टीम की बारी आई तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद को ज्यादा महत्व दिया गया. यहां बता दें कि अरुण साव और भगत दोनों ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से ही भाजपा में आए हैं. परिषद से अपने चेहरों को टीम में लेने के बाद उम्मीद थी कि मोर्चा ज्यादा मुखर होकर आंदोलन करेगा, लेकिन संगठन के भीतर अपने कार्यकर्ता और पदाधिकारियों ने मोर्चा खोल दिया है. आलम यह है कि रविवार को होने वाली बैठक की सूचना चार दिन पहले से मिलने के बावजूद आधा दर्जन से ज्यादा जिलों के जिलाध्यक्ष गायब रहे. इसमें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष साव के गृह जिले मुंगेली, संसदीय क्षेत्र बिलासपुर के जिलाध्यक्ष ही नहीं, बल्कि प्रदेश की कार्यसमिति में शामिल सदस्य भी शामिल हैं.
रणनीति पर ही पड़ी फूट
युवा मोर्चा की बैठक के दौरान एक बार फिर बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने पर चर्चा शुरू हुई तो एक जिलाध्यक्ष ने टोक दिया कि बार-बार उसी मुद्दे पर चर्चा करने के बजाय कोई नई रणनीति पर काम करना चाहिए. युवा मोर्चा के एक जिलाध्यक्ष ने भाजपा के जिलाध्यक्ष की शिकायत की कि वे फोन नहीं उठाते. कार्यक्रमों में बुलाने पर नहीं आते. आपसी समन्वय नहीं है तो कैसे काम चलेगा?
भगत ने जताया खेद
इधर, बैठक में मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भगत ने फोन नहीं उठाने के लिए खेद जताया. भगत ने कहा कि कई बार संगठन के कामकाज के कारण फोन नहीं उठा पाते, इसलिए उन्हें मैसेज भेज सकते हैं. भगत ने अपने व्यवहार से किसी को ठेस पहुंची हो तो उसके लिए भी माफी मांगी. हालांकि इसे लेकर कार्यकर्ताओं के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया के बजाय तल्ख टिप्पणियां सामने आई है.