रायपुर। कुशाभाई ठाकरे विश्वविद्यालय में बीते डेढ़ दशक से काम कर रहे 23 अनियमित कर्मचारियों को काम से बाहर निकाल दिया गया है। इस वजह से विश्वविद्यालय परिसर में तालाबंदी जैसे हालात निर्मित हो गए हैं। पीड़ित कर्मचारियों ने बताया कि इस विषय पर वे हाई कोर्ट से स्टे ला चुके हैं ? बावजूद इसके दोबारा प्लेसमेंट के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है और उपस्थिति रजिस्टर में भी उन्हें हस्ताक्षर नहीं करने दिया जा रहा है।
कुशाभाई ठाकरे विश्वविद्यालय की रायपुर में जब से शुरू हुआ है, तब से इनमे से अधिकांश कर्मचारी यहां कलेक्टर दर पर काम कर रहे हैं। कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गोविन्द पटेल का कहना है कि कुलसचिव आनंद शंकर बहादुर ने बिना किसी कारण से उन्हें नौकरी से निकाल दिया है और प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से कार्य करने के लिए उन पर दबाव बनाया जा रहा है। नियमानुसार उन्हें अब तक नियमित कर दिया जाना था, मगर ऐसा नहीं किया गया। उलटे अब प्रबंधन द्वारा उन्हें प्लेसमेंट के तहत काम करने को कहा जा रहा है। चूंकि प्रबंधन के इस कदम के खिलाफ वे स्टे ला चुके हैं, इसलिए प्रबंधन ने उन्हें सीधे निकालने की बजाय रजिस्टर पर उनके नाम के आगे BREAK लिख दिया है, और अब उन्हें इस पर हस्ताक्षर नहीं करने दिया जा रहा है। इसके तहत पहले गोविन्द पटेल सहित 4 लोगों को बाहर किया गया, फिर अन्य 19 को।
वर्षों से विश्वविद्यालय में कार्य कर रहे अनियमित कर्मचारियों ने बताया कि यूनिवर्सिटी प्रबंधन के इस रवैये के खिलाफ दो दर्जन से अधिक अनियमित कर्मचारी नौ फ़रवरी से बूढ़ापारा में धरने पर बैठने की तैयारी कर रहे हैं। अपनी परेशानी को लेकर कर्मचारी श्रम विभाग, रायपुर कलेक्टर और सीएम को भी ज्ञापन सौंप चुके हैं।
कर्मचारी संघ के अध्यक्ष गोविन्द पटेल का कहना है कि उन्होंने नौकरी के मुद्दे पर कुलपति बलदेव भाई शर्मा से मिलने की कई बार कोशिश की, मगर कुलपति ने अपने कक्ष में होने के बावजूद कर्मचारियों से मिलने से इंकार कर दिया।
कोरोना काल समाप्त होने के बाद ऑफलाइन क्लासेस शुरू हो चुकी हैं। यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं से बातचीत में यह बात सामने आई कि विश्वविद्यालय अपने स्थापना के 12 साल बाद भी मूलभूत जरूरतों के अभाव से जूझ रहा है। सभी डिपार्टमेंट में शिक्षकों की कमी है, साथ ही पीने के पानी से लेकर वाशरूम, पार्किंग जैसी कई समस्या निरंतर बनी हुई हैं। छात्रों ने बताया एक साल से कोई बड़ा सेमीनार या कार्यक्रम नहीं हुआ जिससे उन्हें देश के बड़े हस्तियों से मिलने का मौका मिल सके। सुविधाएं उपलब्ध कराने की बजाय विश्वविद्यालय अब राजनीति का अखाड़ा बनता जा रहा है।
बहरहाल कर्मचारियों को काम से बाहर कर दिए जाने के चलते कुशाभाई ठाकरे विश्वविद्यालय के कमरों के ताले तक नहीं खुल रहे हैं, यहां भृत्य से लेकर कर्मचारी तक काम पर नहीं हैं, जिसके चलते यहां के विद्यार्थियों और प्राध्यापकों को परेशानियां हो रही है।
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