NPG.News @ रायपुर.
1. छत्तीसगढ़ प्रदेश में व्याख्याता, शिक्षक और सहायक शिक्षक के कितने पद रिक्त हैं?
2. शासन के मापदंड अनुसार वर्तमान में कितने शिक्षकों की कमी है?
3. एक जनवरी 2023 की स्थिति में शिक्षक संवर्ग के कितने पद रिक्त हैं?
क्या तीनों सवाल एक हैं या अलग-अलग हैं? यदि आप कहेंगे कि तीनों सवाल एक ही हैं तो आप यह मानते हैं कि जवाब भी एक ही होगा. लेकिन जवाब एक नहीं है. प्रश्न क्रमांक एक का जवाब है – 50628. प्रश्न क्रमांक दो का जवाब है – 56232 और प्रश्न क्रमांक तीन का जवाब है – 69781.
तीनों प्रश्न पूछने वाले विधायक अलग अलग हैं, लेकिन जवाब शिक्षामंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने दिया है. ऐसा भी नहीं है कि मौखिक रूप से उन्होंने कहा हो. या भाषण देते समय आंकड़े इधर-उधर हो गए हों. मंत्री ने लिखित रूप से विधानसभा में यह जवाब दिया है. 14 मार्च को कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया ने यह सवाल पूछा था। इस सवाल को प्रश्न क्रमांक एक पर रखा गया है. दूसरा सवाल शिवरतन शर्मा और तीसरा सवाल बृजमोहन अग्रवाल का है. ये दोनों सवाल 21 मार्च के प्रश्नोत्तरी में आए हैं.
NPG.News के एक सुधि पाठक ने जवाब में अंतर की ओर ध्यान दिलाया. इसके बाद हमने आंकड़ों का मिलान किया तो इस बात की पुष्टि हुई कि तीनों जवाब अलग हैं. विधायक लालजीत सिंह राठिया और बृजमोहन अग्रवाल द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में जवाब बनाने वाले अधिकारी का उल्लेख है. प्रपत्र में सहायक संचालक लोक शिक्षण संचालनालय लिखा हुआ है. इस बात का उल्लेख इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि सदन में मंत्री जो जवाब पढ़ते हैं, उसमें कोई भी त्रुटि हो तो संबंधित अधिकारी-कर्मचारी को जिम्मेदार माना जाता है. पहले तीनों जवाब देखें…
एक जनवरी के बाद कोई भर्ती नहीं
छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की कमी बड़ा मुद्दा रहा है. भाजपा जब सरकार में थी, तब भी शिक्षामंत्री विपक्ष के निशाने पर रहते थे. भाजपा शासन में शिक्षाकर्मियों की नियुक्ति की गई थी. कांग्रेस की सरकार बनने के बाद 11032 शिक्षकों की भर्ती की गई है. हालांकि विधायक बृजमोहन अग्रवाल के प्रश्न में शिक्षामंत्री ने बताया है कि एक जनवरी 2023 के बाद शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई है. ऐसे में जवाब में अंतर को लेकर संदेह किया जा रहा है.
समय-सीमा बताना संभव नहीं है
तीनों आंकड़ों को यदि यह मान भी लें कि 50 हजार से ज्यादा शिक्षक कम हैं तो भी यह बड़ा आंकड़ा है. छत्तीसगढ़ राज्य बनने 22 साल होने के बाद भी इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी चिंता का विषय है. जानकारों का कहना है कि आज भी ऐसे कई स्कूल हैं, जहां एक या दो शिक्षक के भरोसे प्राइमरी स्कूल चल रहे हैं. इनमें भी एक शिक्षक प्रधानपाठक या प्रभारी प्रधानपाठक होते हैं, जिन्हें पढ़ाने से ज्यादा रजिस्टर में लिखने-पढ़ने और मीटिंग में जाने का दबाव होता है. शिक्षामंत्री डॉ. टेकाम से जब विधायकों ने यह सवाल किया है कि कब तक रिक्त पदों की पूर्ति कर ली जाएगी तो उनका कहना है कि समय सीमा बताना संभव नहीं है.