Chhattisgarh Assembly Election 2023
रायपुर. छत्तीसगढ़ में पीएम नरेंद्र मोदी की सभा के साथ भाजपा अपनी चुनावी कार्यक्रमों का आगाज करने जा रही है. भाजपा के लिए पीएम मोदी की सभा का क्या महत्व है, इस सवाल का जवाब ऐसे समझ सकते हैं कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह दो दिन पहले पहुंच गए हैं. वे सभा की तैयारियों को परखेंगे. साथ ही, जुलाई, अगस्त और सितंबर में क्या करना है, उसकी रूपरेखा बताएंगे.
भाजपा के स्थानीय नेताओं का कहना है कि अब तीन महीने सीधे शाह की निगरानी में कार्यक्रम होंगे. हिंदी भाषी जिन तीन राज्यों में चुनाव हैं, उनमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ कांग्रेस शासित हैं. मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार है. राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड है, इसलिए वहां भाजपा आश्वस्त है. मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार बनाने के लिए हर दांवपेंच चल रही है. छत्तीसगढ़ की स्थिति सबसे कमजोर है. यहां भाजपा 90 में सिर्फ 14 सीटों पर सिमटी हुई है. (विद्यारतन भसीन के निधन के बाद एक सीट कम हुई है.) ऐसे में शाह के मार्गदर्शन में भाजपा चुनावी तैयारियों में जुटेगी. 5 जुलाई की रात और 6 जुलाई की सुबह अमित शाह की बैठकों में इन बिंदुओं पर रहेगा फोकस…
एकता : 15 साल की सत्ता के बाद जब भाजपा विपक्ष में आई तो कई धड़ों में बिखर गई. पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह, बृजमोहन अग्रवाल और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव की अलग-अलग भाजपा नजर आने लगी है. शाह इसे एक करने पर जोर देंगे, जिससे गुटबाजी जैसा संदेश न जाए.
आक्रामकता : साढ़े चार साल में भाजपा ने लोगों से जुड़े मुद्दों पर कई आंदोलन किए लेकिन जन आंदोलन जैसा माहौल नहीं बन पाया. तीन महीने में सरकार के खिलाफ ऐसा अभियान शुरू करने पर फोकस किया जाएगा, जिसका संदेश लोगों तक जाए और राज्य सरकार के खिलाफ माहौल बने.
चुनावी समितियां : आने वाले समय में चुनाव संचालन और घोषणा पत्र के साथ कई समितियों का गठन किया जाएगा. इनमें चुनाव संचालन समिति और घोषणा पत्र समिति सबसे अहम है. शाह यह तय करेंगे कि किन नेताओं को जिम्मेदारी दी जाएगी.
टिकट वितरण : विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण का क्या फॉर्मूला होगा, यह भी शाह स्पष्ट कर देंगे, जिससे बाद में किसी भी नेता के मन में संशय न रहे या टिकट नहीं मिलने की स्थिति में भितरघात जैसी स्थिति न बने.
पार्टी प्रवेश : चुनाव से पहले भाजपा हर राज्य में विरोधी दल के कुछ खास नेताओं के अलावा अन्य विशिष्ट लोगों को पार्टी प्रवेश कराती है. छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ऐसे लोगों पर फोकस कर सकती है. इन नेताओं को साधने की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
चुनावी सर्वे : छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति को लेकर अमित शाह खुफिया विभागों के साथ निजी सर्वे एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर वन टू वन बात कर सकते हैं.
चुनावी मुद्दे : छत्तीसगढ़ में चुनावी मुद्दे कौन-कौन से होंगे, उस पर भी शाह मार्गदर्शन देंगे. सर्वे रिपोर्ट के आधार पर शाह नेताओं के चर्चा करेंगे.
लोकसभा चुनाव : केंद्रीय स्तर पर भाजपा ने अभी से ही लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है. मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर जो आयोजन हुए, उसमें लोकसभा चुनाव पर ही फोकस किया गया था. छत्तीसगढ़ में भी विधानसभा के साथ ही लोकसभा की भी तैयारी होगी, क्योंकि कांग्रेस सरकार की कई योजनाएं लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के घोषणा पत्र में शामिल हो सकती है.