CG NEWS:बिलासपुर। जिले की कोटा विधानसभा सीट से बीजेपी को आजादी के बाद से अब तक किसी भी चुनाव में जीत हासिल नहीं हुई है। इस सीट पर उम्मीदवार के बतौर बीजेपी ने जनसंघ के जमाने से अब तक कई प्रयोग किए हैं और कई उम्मीदवार पेश किए हैं। लेकिन अब तक बीजेपी को कामयाबी नहीं मिल पाई है । इस बार कोटा इलाके में स्थानीय और जमीन से जुड़े पार्टी कार्यकर्ता को उम्मीदवार बनाने की बात जोर पकड़ रही है। इस कड़ी में कोटा इलाके के आदिवासी बहुल और सामान्य लोगों के बीच जुट कर काम करने वाले ज़मीनी भाजपा नेता रंगनादम् मुदलियार को उम्मीदवार बनाने के लिए ज़मीनी जनप्रतिनिधियों ने भी अपना मन बनाया है। ख़बर है कि इलाके के करीब 70 सरपंचों ने भी लिखकर अपनी भावनाएं पार्टी के बड़े नेताओं तक पहुंचाने की कोशिश की है।
बिलासपुर जिले में कोटा विधानसभा सीट करीब 100 किलोमीटर में फैली हुई है। जिसमें एक तरफ रतनपुर और दूसरी तरफ पेंड्रा – गौरेला है। बीच में कोटा का इलाका आता है। जंगल, पहाड़ों, छोटे-छोटे नदी नालों से संपन्न इस इलाके में आदिवासी और गरीब तबके के लोगों की बड़ी आबादी है । ऐसे लोगों के बीच हमेशा उपलब्ध रहने वाले किसी उम्मीदवार को मैदान में उतारकर बीजेपी न सिर्फ कड़ी चुनौती पेश कर सकती है, बल्कि कोटा सीट के चुनाव में फ़तह भी हासिल कर सकती है। रंगनादम् मुदलियार ऐसे ही भाजपा नेता है। जो 20 साल की उम्र से ही पहले जनसंघ और अब बीजेपी की विचारधारा को आगे बढ़ाने के लिए काम करते रहे हैं। आरएसएस में शुरू से ही सक्रिय रहकर उन्होंने 1967 में ही जांजगीर से प्रथम वर्ष किया था। इसके बाद से वे लगातार जनसंघ में सक्रिय रहे। 1974 में जरहागांव / पथरिया विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने उस समय के जनसंघ उम्मीदवार निरंजन प्रसाद केसरवानी के साथ मिलकर काम किया। इस प्रतिष्ठापूर्ण उपचुनाव में जनसंघ को जीत हासिल हुई थी। 1975 में इमरजेंसी लागू होने के बाद जब उनके बड़े भाई दामोदर (राजा) मुदलियार 19 महीने जेल में रहे तब रंगनादम् पार्टी के नेताओं के निर्देश पर काम करते रहे। इसके बाद जनता पार्टी में सक्रिय हुए और कोटा मंडल में महामंत्री की जिम्मेदारी उन्हें मिली।
भारतीय जनता पार्टी बनने के बाद कोटा क्षेत्र में पार्टी के आंदोलन में वे लगातार सक्रिय रहे। किसान, मजदूर और आदिवासियों के बीच रहकर उन्होंने लगातार काम किया। किसानों के हक में उन्होंने 1986 में सलका में बड़ा किसान सम्मेलन आयोजित किया था। जिसमें उस समय पार्टी के बड़े नेता पुन्नू लाल मोहले, मनहरण लाल पांडे, भूपेंद्र सिंह ठाकुर भी शामिल हुए थे। उस दौर में भी रंगनादम् कोटा मंडल भाजपा के महामंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। 1987 में उन्होंने कोटा विधानसभा में ननकी राम कंवर – डीपी अग्रवाल की अगुवाई में रानीगांव रतनपुर से अमरपुर पेंड्रा तक 17 दिन की पदयात्रा की। 1990 में मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी उस समय रंगनादम् को भाजपा कोटा मंडल का अध्यक्ष बनाया गया। 1992 में राम जन्मभूमि आंदोलन में अयोध्या भी गए । जहां लाठीचार्ज के दौरान उनके हाथ की हड्डी टूट गई थी।
छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद रंगनादम् को बीजेपी में कई चुनावों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी।गरीब़ों का साथी बनकर लोगों के बीच लगकर काम करने के आदी रंगनादम् अपनी पार्टी के साथ ही आम लोगों की जरूरत और भलाई के लिए हर समय सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। यह उनकी आदत और दिनचर्या में शामिल हो गया है ।किसानों ,आदिवासियों और आम लोगों के बीच रंगा भैया के नाम से परिचित रंगनादम् को इस बार कोटा विधानसभा सीट से बीजेपी का उम्मीदवार बनाने के लिए इलाके के पंचायत प्रतिनिधि भी सक्रिय हैं।ख़बर है कि इलाक़े के करीब 70 सरपंचों ने रंगनादम् को समाज में कार्य कुशलता, व्यवहार, प्रभाव, समस्याओं के निराकरण में सहभागिता, सजगता और ईमानदारी के लिए कोटा इलाके से उम्मीदवार बनाने के लिए लिखकर भी दिया है। इलाके के जिला पंचायत सदस्य ने भी रंगनाथन मुदलियार का समर्थन किया है। लोगों ने अपने तरीके से पार्टी नेतृत्व तक अपनी भावनाएं पहुंचने की कोशिश की है और उम्मीद जताई है कि कोटा विधानसभा सीट से इस बार रंगनादम् को उम्मीदवार बनाया जाएगा।
कोटा इलाके की राजनीति को जानने वाले भी बेहतर समझते हैं कि अब तक बीजेपी ने इस विधानसभा सीट में उम्मीदवारी को लेकर कई प्रयोग किए हैं । कई उम्मीदवार बाहर से उतारे गए हैं। लेकिन रतनपुर से कोटा होते हुए पेंड्रा – गौरेला तक लंबाई में फैले इस इलाके में पार्टी ऐसा उम्मीदवार पेश नहीं कर सकी है , जो भाजपा को जीत के मुक़ाम तक पहुंचा सके । ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी की ओर से ऐसा उम्मीदवार पेश किया जाना चाहिए जो जमीनी तौर पर सक्रिय रहा हो और जिसकी सामान्य लोगों में पकड़ हो। लोगों की नज़र में रंगानादम् का नाम इस कसौटी पर ख़रा साबित हो सकता है। अब देखना यह है कि बीजेपी इस बार किस उम्मीदवार पर दांव लगाती है ।
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