CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल) । सोशल मीडिया में शिक्षकों के तबादले समन्वय से होने की उड़ती हुई खबरे लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के लगने पहले सुनाई दी थी जो चुनावी शोर में दब गई थी। खबरों और सूत्रों की ओर से कयास लगाए जा रहे है कि सैकड़ो की संख्या में शिक्षकों के तबादले की फाइल स्कूल शिक्षा विभाग से चल कर मुख्यमंत्री के पास समन्वय में अटकी हुई है। जो जून के पहले या दूसरे हफ्ते में क्लियर हो सकती है ..। सबसे हैरत और ताज्जुब की बात तो यह है कि नई सरकार के बृजमोहन अग्रवाल जैसे स्कूल शिक्षा मंत्री और साफ और स्वच्छ छवि के विष्णुदेव साय जैसे मुख्यमंत्री के रहते वो कौन लोग है, जो इतने बड़े ब्लेंडर मिस्टेक करने की रणनीति बना रहे हैं या बना चुके हैं।जबकि भाजपा को सत्ता में वापस आए जुम्मा जुम्मा चार महीने गुजरे है।
गुपचुप तबादले की ब्लेंडर मिस्टेक करने की राह में खड़े व्यवस्था के नए जिम्मेदार लोगों को शायद पता ही नही कि स्कूल शिक्षा विभाग के घटना चक्र और सोशल मीडिया में शिक्षको के समाने राजनीतिक दलों के आईटी सेल भी फेल है..! अभी आदर्श आचार संहिता होने की वजह से ये वर्ग कंट्रोल में है।
इस वर्ग के लिए सीधी सरल ट्रांसफर नीति समय की दरकार है। आज आलम यह है कि बहुत से आम शिक्षक कई सालों से अपने गांव, घर, मूल निवास से कई किलोमीटर दूर सेवा दे रहे है और तबादले की आस में सरकार की ओर से नई तबदला नीति का इंतजार कर रहे है। इस वर्ग को भी यह जानकारी नहीं है कि राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने कब मुख्यमंत्री के समन्वय से तबादले के लिए शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को आवेदन देने लिए आदेश निर्देश जारी किए है। या फिर समन्वय से तबादले की प्रक्रिया क्या है ..?
स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के प्रशासनिक तबादले का कल्चर राजनीतिक द्वेष के मामले में कई बार सामने आता रहा है। बीती सरकार के कार्यकाल में शिक्षकों के राज्य स्तर पर हुए प्रशासनिक तबादले पर उंगलियां उठती रही कि आखिर ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी थी कि एक सामान्य से शिक्षक का प्रशासनिक तबादला दूसरे जिले में या फिर गांव से शहर की ओर किए जाने की आवश्यकता महसूस हुई थी। इस प्रकार के तबादले का आधार क्या था …?
बड़े पैमाने में शिक्षकों के समन्वय से तबादले की चर्चाएं सिर्फ कोरी अफवाह निकली तो ठीक ..। यदि शिक्षकों के बिन मौसम के तबादले हुए तब की स्थिति में सरकार की कार्य शैली पर कई सवालों की बौछार लग भी सकती है। क्योंकि बीते 5 साल शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग मामले में अनियमितता को लेकर विपक्ष में बैठी भारतीय जनता पार्टी गाहे बगाहे पूर्व की भूपेश बघेल सरकार को कटघरे में खड़े करती रही है। कांग्रेस से जुड़े कई लोग इस मामले में भूपेश सरकार के शिक्षा मंत्री से ही सवाल करते रहे है ..!
प्रदेश की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी की विष्णु देव साय सरकार है ..!प्रदेश में मोदी की गारंटी लगी हुई है। यह भी तय है कि 4 जून को बिदाई के करीब लोकसभा चुनाव लड़ चुके ब्रृजमोहन अग्रवाल जाती बिराती गर्म पानी में हाथ नही डालेंगे । क्योंकि अब पार्टी और आरएसएस के गुप्त उपग्रहों की तिरछी नजर सब जगह बनी हुई है। यदि स्कूल शिक्षा विभाग में बिन मौसम क्लाउड सीडिंग के जरिए होने वाली तबादले की बरसात हो जाती है। तब की स्थिति में रास्तों में मौसम का असर दिखाई दे तो आश्चर्य नहीं होगा .. ।