बिलासपुर. शासकीय नागार्जुन साइंस कॉलेज रायपुर में लागू नए शिक्षा नीति पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. साथ ही फेल विद्यार्थियों को द्वितीय सेमेस्टर के इंटरनल एग्जाम में सम्मिलित होने का आदेश देते हुए विद्यार्थियों को बड़ी राहत दी है. दरअसल प्रदेश के ऑटोनोमस महाविद्यालयों ने पिछले दिनों प्रथम सेमेस्टर के विद्यार्थियों पर रविशंकर विश्वविद्यालय के नई शिक्षा नीति को ठीक परिणाम के पहले लागू कर दिया था, जिससे बहुत से विद्यार्थी परीक्षा में फेल हो गए थे.
इस मुद्दे को लेकर विद्यार्थी लगातार महाविद्यालय और विश्विद्यालय में संबंधित प्रोफेसर एवं अधिकारियों से विरोध दर्ज करवाया था, परंतु कही से भी राहत नहीं मिलने पर विद्यार्थियों ने उच्च न्यायालय के अधिवक्ता गौरव सिंघल एवं गौतम खेत्रपाल के माध्यम से याचिका दायर की, जिस पर 4 मई को हाईकोर्ट के जस्टिस पी सैम कोशी की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई. इस दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि महाविद्यालय ने मनमानी तरीके से इस नियम को लागू किया है और इसकी जानकारी ना तो विद्यार्थियों को एडमिशन के दौरान दी और ना ही परीक्षा के समय, जो की पूर्णतः गलत है। जिस कारण छात्र प्रभावित हुए है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि महाविद्यालय और विश्वविद्यालय की गलती का खामियाजा विद्यार्थी भुगत रहे है. इस दौरान विश्विद्यालय के अधिवक्ता ने न्यायालय को अवगत कराया कि विश्वविद्यालय ने नए अध्यादेश के तहत आने वाली नई शिक्षा नीति के लागू करने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिया है और ना ही किसी ऑटोनोमस कॉलेज को कहा है कि इसे लागू करें. यह नीति अगले सत्र के लिए लाई गई है.
स मामले में कोर्ट ने ऑटोनामस शासकीय नागार्जुन साइंस कॉलेज के इस सिस्टम पर रोक लगा दी. साथ ही फेल विद्यार्थियों को द्वितीय सेमेस्टर के इंटरनल एग्जाम में सम्मिलित होने का आदेश देते हुए विद्यार्थियों को बड़ी राहत दी है. मामले की अगली सुनवाई हाईकोर्ट के ग्रीष्मकालीन अवकाश के तुरंत बाद रखी गई है.
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