CG NEWS :रायपुर।। छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन ने कहा है कि स्कूलों में अध्ययन एवं अध्यापन की गुणवत्ता के लिए विषय तथा कक्षा संख्या के अनुसार शिक्षकों की पदस्थापना होनी चाहिए। पहले रिक्त पदों पर शिक्षकों -व्याख्याताओ की पदोन्नति हो और उसके बाद युक्ति युक्त करण किया जाना चाहिए।
प्रदेश शिक्षक फेडरेशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सेवा भर्ती पदोन्नति नियम 2019 के अनुसार सभी शिक्षक संवर्ग के पदों पर पदोन्नति की कार्यवाही करना विद्यार्थी हित में है। मार्च 2020 के स्थिति में प्राचार्य के 2820 पद रिक्त थे। सेवानिवृत्ति के फलस्वरूप आँकडा और अधिक हो गया है। T-संवर्ग में 2013 एवं E-संवर्ग में 2016 से प्राचार्य पदोन्नति नहीं हुआ है। तकरीबन यही हाल व्याख्याता के रिक्त रहे 9622 पदों का है। जोकि सेवानिवृत्ति के कारण और अधिक हो गया है। प्रधानपाठक मिडल स्कूल के 5715,शिक्षक के 15969 एवं प्रधानपाठक प्राथमिक शाला के 20678 रिक्त पदों पर कमोबेश यही स्थिति है।
फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी,उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह, विष्णुसिंह राजपूत,चंद्रशेखर चंद्राकर,चंद्रभान सिंह निर्मलकर,
प्रमुख महामंत्री सतीश ब्यौहरे, महामंत्री राकेश साहू,आर डी तिवारी एवं का कहना है कि अध्ययन एवं अध्यापन की गुणवत्ता के लिए प्राथमिक, माध्यमिक,हाई तथा उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में कक्षावार दर्ज संख्या के अनुसार विषय शिक्षकों की पदस्थापना आवश्यक है। अतः शिक्षक संवर्ग के रिक्त पदों को पदोन्नति द्वारा भरे जाने के बाद ही युक्तियुक्तकरण करना उचित होगा। उन्होंने बताया कि पदोन्नति के पश्चात ही शालावार अतिशेष शिक्षकों की वास्तविक स्थिति का आंकलन करना चाहिये। अन्यथा अनेक विद्यालय विषय शिक्षक/शिक्षक विहीन हो जाने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि प्राथमिक विद्यालय में 5 कक्षा एवं 4 विषय,पूर्व माध्यमिक में 3 कक्षा एवं 6 विषय,हाई स्कूल में 2 कक्षा एवं 6 विषय तथा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त कॉमर्स संकाय के 3 विषय,कला संकाय के 3 विषय,गणित/बायलॉजी के 3 विषय के 5 कक्षाओं में अध्यापन होता है।जोकि संकाय अनुसार न्यूनतम है। कक्षाओं की संख्या दर्ज संख्या पर निर्भर होता है।फेडरेशन का कहना है कि छात्रहित के दृष्टिगत स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों का निर्धारण पदोन्नति से पदस्थापना करने के बाद किया जाना चाहिए।पहले पदोन्नति फिर युक्तियुक्तकरण का नीति निर्धारण होना शिक्षक एवं शिक्षार्थी हित में होगा।