बिलासपुर : डॉक्टर के तबादले को लेकर प्रदेश के तीन IAS अफसरों को हाईकोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी किया है । तीन दिन के अंदर दूसरी बार ट्रांसफर को लेकर अवमानना नोटिस तीन अफसरों को जारी हुई है। सिविल सर्जन डॉ. वंदना भेले के तबादले को लेकर पिछले दिनों ही प्रदेश के तीन IAS अफसर सचिव, स्थानांतरण समिती-मनोज पिंगुआ. सचिव, स्वास्थ्य विभाग आर. प्रसन्ना एवं अवर सचिव, स्वास्थ्य विभाग- राजेन्द्र गौर को जारी हुई थी। अब ऐसे ही एक मामले में BMO राकेश प्रेमी की अवमानना याचिका पर इन्ही तीन आईएएस अफसरों के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया गया है।
जानकारी के अनुसार डॉ. वंदना भेले बेमेतरा जिले में सिविल सर्जन व अस्पताल अधीक्षक के पद पर पदस्थ थीं। जिन्हें उनके पद से हटाकर उनकी जगह जूनियर डॉक्टर को प्रभार सौंप दिया गया था, जिसके खिलाफ वे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट गई थीं। बता दें की मामले की सुनवाई के बाद महिला चिकित्सक के मामले को स्थानांतरण नीति (Transfer Policy) के तहत 4 सप्ताह में निराकरण का आदेश दिया गया था, लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन न होने पर अवमानना नोटिस जारी किया है।
वहीं सारंगढ़ के बिलाईगढ़ के रहने वाले डॉ. राकेश प्रेमी, लवन, जिला बलौदाबाजार में ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के पद पर पदस्थ थे। पिछले साल 30 सितम्बर 2022 को सचिव, स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक आदेश जारी कर डॉ. राकेश प्रेमी का स्थानांतरण जिला चिकित्सालय कबीरधाम कर दिया गया। उक्त स्थानांतरण आदेश के विरूद्ध रिट याचिका दायर करने पर हाईकोर्ट द्वारा स्थानांतरण समिती को तीन सप्ताह के भीतर अभ्यावेदन के निराकरण का निर्देश दिया गया। निर्धारित समयावधी के भीतर हाईकोर्ट के आदेश का पालन न होने पर डॉ. राकेश प्रेमी द्वारा हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष अवमानना याचिका दायर की गई।
अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं दुर्गा मेहर द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता के पिता डायबिटीज के मरीज हैं एवं माता आर्थाईटिस एवं हाईपोथाईराइड बीमारी से ग्रस्त हैं एवं पूर्ण रूप से याचिकाकर्ता पर आश्रित हैं। याचिकाकर्ता की पत्नी आत्मानन्द विद्यालय, बलौदाबाजार में व्याख्याता के पद पर पदस्थ हैं एवं उनके ऊपर 13 वर्षीय पुत्री एवं चार वर्षीय पुत्र की जवाबदारी है, मिड सेशन के दौरान स्थानांतरण किये जाने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी एवं आई.ए.एस. अधिकारियों द्वारा आज दिनांक तक हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया है।