CG News/ वन एवं जलवायु परिवर्तन, जल संसाधन, सहकारिता एवं कौशल विकास मंत्री केदार कश्यप के विभागों के लिए आज 5608 करोड़ 54 लाख 69 हजार रूपए की अनुदान मांगें छत्तीसगढ़ विधानसभा में ध्वनिमत से पारित कर दी गई।
इनमें वन विभाग के लिए 2832 करोड़ 30 लाख 64 हजार रूपए, सहकारिता विभाग के लिए 254 करोड़ 76 लाख 57 हजार रूपए, जल संसाधन विभाग के लिए 1413 करोड़ 26 लाख 58 हजार रूपए, लघु सिंचाई निर्माण कार्य हेतु 698 करोड़ 19 लाख 90 हजार रूपए, जल संसाधन विभाग से संबंधित विदेशों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए 57 करोड़ रूपए और नाबार्ड से सहायता प्राप्त परियोजनाओं के लिए 353 करोड़ एक लाख रूपए शामिल हैं।
वन विभाग
वन मंत्री केदार कश्यप ने वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के जवाब में कहा कि प्रदेश में लगभग 44.24 प्रतिशत वन क्षेत्र हैं। यहां मुख्यतः आर्द्र एवं शुष्क साल और सागौन प्रजाति के वनों के साथ ही शुष्क मिश्रित वन एवं बांस के वन पाए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन के साथ ही आदिवासी भाईयों की चिंता करते हुए उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए प्रयत्नशील है।
इसके लिए 2832 करोड़ रूपए से भी अधिक की राशि का बजट प्रावधान अगले वित्तीय वर्ष में किया गया है। प्रदेश में हरियाली के प्रसार हेतु वन क्षेत्रों में ‘हरियर छत्तीसगढ़’ योजना के तहत 2431 हेक्टेयर क्षेत्र में 20 लाख से अधिक पौधे लगाने की योजना पर कार्य कर रही है। प्राकृतिक पुनरोत्पादन के संरक्षण के लिए 240 करोड़ रूपए का बजट प्रावधान किया गया है।
इसी तरह बांस वनों के संवर्धन के लिए 68 करोड़ 89 लाख रूपए और बिगड़े वनों के सुधार के लिए 272 करोड़ 4 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। नदी तट वृक्षारोपण योजना के तहत नदी तटों पर भू-क्षरण रोकने के उद्देश्य से अधिक से अधिक पौधों के रोपण हेतु वर्ष 2024-25 में 7 करोड़ 47 लाख रूपए का प्रावधान है।
भू-संरक्षण एवं बाढ़ नियंत्रण संबंधी कार्य हेतु 119 करोड़ 27 लाख रूपए, पर्यावरण वानिकी के लिए 40 करोड़ रूपए, पथ वृक्षारोपण के लिए 7 करोड़ रूपए, वन मार्गों पर रपटा एवं पुलिया निर्माण के लिए 8 करोड़ 60 लाख रूपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है।
मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में हमारी सरकार वनों में मवेशियों के चारागाह हेतु चराई इकाईयों और घास मैदानों की स्थापना के लिए भी विशेष कार्य कर रही है। मवेशियों के लिए स्थायी चारागाह की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए भी इस बजट में प्रावधान किया गया है।
सरकार इसके साथ ही वन विज्ञान केन्द्रों की स्थापना तथा नैसर्गिक वन पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भी विशेष तौर पर प्रयासरत हैं। राज्य के राष्ट्रीय उद्यानों, अभ्यारण्यों, टाइगर रिजर्व सहित अन्य क्षेत्रों में स्थापित पर्यावरण चेतना केन्द्रों, नेचर सफारी और पर्यटन स्थलों के आसपास स्थानीय निवासियों को रोजगार देने तथा संबंधित वन समितियों की आय में वृद्धि के उद्देश्य से आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि स्थानीय युवकों को राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त संस्थाओं जैसे जंगल लाजेस एण्ड रिसार्ट कर्नाटक, बाम्बे नेचुरल, हिस्ट्री सोसायटी से नेचर-गाइड के रूप में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
केदार कश्यप ने सदन में कहा कि राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इको-टूरिज्म का चलन बढ़ा है। राज्य के नैसर्गिक पर्यटन केन्द्रों को इको-टूरिज्म के रूप में विकसित करने के उद्देश्य से इको-टूरिज्म बोर्ड की स्थापना किया जाएगा।
मंत्री श्री कश्यप ने कहा कि कैम्पा कार्यों के क्रियान्वयन हेतु वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए एक हजार करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार हाथी-मानव द्वंद के प्रति भी काफी चिंतित है। हाथी-मानव द्वंद को नियंत्रित करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी के तहत मानव-हाथी द्वंद को रोकने के लिए ‘मिशन बी’ योजना का विस्तार 7 जिलों में किया जाएगा।
वन प्रबंधन समितियों को आबंटित वनक्षेत्र में कार्य आयोजना के प्रावधान के अनुरूप काष्ठ कूप के मुख्य पातन/वन वर्धनिक विरलन से प्राप्त होने वाले वनोत्पाद की स्थल पर कुल कीमत की 15 प्रतिशत राशि को बढ़ाकर 20 प्रतिशत तथा बांस कूप के मुख्य पातन/वन वर्धनिक विरलन के फलस्वरूप 100 प्रतिशत राशि या वनोत्पाद समिति को दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
सहकारिता विभाग
सहकारिता मंत्री केदार कश्यप ने विभागीय अनुदान मांगों पर चर्चा का उत्तर देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में हमारी सरकार गरीबों, किसानों और वनवासियों सहित सभी वर्गो के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।
हमारी सरकार द्वारा प्रदेश के किसानों को प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से 5 लाख रूपए तक निःशुल्क ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
लाख उत्पादक किसानों व कृषक समूहों को 2 लाख रूपए तक निःशुल्क ऋण, मत्स्य पालकों को 3 लाख रूपए तक का निःशुल्क ऋण, उद्यानिकी कृषि के लिए 3 लाख रूपए तक निःशुल्क ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
सरकार की इस योजना के तहत किसानों में समृद्धि आई है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने राज्य के 15 लाख 23 हजार किसानों को 7 हजार 629 करोड़ रूपए का अल्पकालीन कृषि ऋण उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि सहकारी शक्कर कारखानों के किसानों को गन्ना का मूल्य भुगतान सुनिश्चित करने हेतु 48 करोड़ रूपए का इस बजट में प्रावधान किया है। सहकारी समितियों की अंशपूंजी में वृद्धि हेतु 11 करोड़ 42 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार समितियों में 200 मेट्रिक टन क्षमता का गोदाम सह कार्यालय निर्माण के लिए 185 करोड़ 31 लाख रूपए की परियोजना की स्वीकृति दी गई है। वर्तमान में 409 गोदाम निर्माणाधीन है, जिसे इस वित्तीय वर्ष में पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।
उन्होंने कहा कि कोण्डागांव में मक्का आधारित इथेनॉल संयंत्र निर्माण हेतु संयंत्र पर हुए डूबत व्यय की राशि 5.99 करोड़ रूपए को राइट-आफ करने निर्णय लिया गया है। उन्होंने 5 नए जिलों सारंगढ़-बिलाईगढ़, सक्ती, मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई एवं मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में सहकारिता विभाग के कार्यालय की स्थापना हेतु प्रति कार्यालय 20 पद के मान से 100 पदों का सृजन किया गया है। इसके लिए बजट में 50 लाख का प्रावधान किया गया है।
जल संसाधन विभाग
जल संसाधन मंत्री केदार कश्यप ने सदन में बताया कि छत्तीसगढ़ एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां 80 प्रतिशत से अधिक आबादी कृषि पर निर्भर है। प्रदेश में कुल 56.83 लाख हेक्टेयर बोया गया क्षेत्र है, जहां निर्मित सिंचाई 35 प्रतिशत है।
प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं के लिए 8 वृहद, 38 मध्यम और 2472 लघु सिंचाई योजनाएं तथा 827 एनीकट व स्टॉप डेम निर्मित है। इससे प्रदेश के 21.57 लाख हेक्टेयर में सिंचाई होती है। श्री कश्यप ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2432 योजनाएं/कार्यों के लिए 300 करोड़ रूपए का प्रावधान किया है, जिनके पूर्ण होने से सिंचाई क्षमता में एक लाख 81 हजार हेक्टेयर का विस्तार संभव होगा।
बजट में सिकासार-कोडार-इटरलिंकिंग परियोजना के सर्वेक्षण हेतु प्रावधान किया गया है, जो यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की गारंटी के अंतर्गत सरकार की प्राथमिकता में है। उन्होंने बताया कि सिंचाई की 4 प्रमुख वृहद परियोजनाओं अरपा-भैंसाझार, केलो जलाशय, राजीव-समोदा-निसदा-व्यपवर्तन एवं सोंढूर जलाशय के लिए इस बजट में 316 करोड़ रूपए का प्रावधान रखा गया है।
श्री कश्यप ने कहा कि हमारी सरकार आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष कार्ययोजना तैयार कर कार्य कर रही है। इसके तहत बस्तर संभाग में सिंचाई सुविधाओं का विस्तार हेतु 2200 करोड़ की लागत वाली 350 योजनाओं को इस बजट में शामिल किया गया है।
इससे 35 हजार 600 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके साथ ही बजट में बस्तर के वनांचलों में रबी सीजन में भी ज्यादा से ज्यादा सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कार्य किया जा रहा है। सरगुजा संभाग में सिंचाई सुविधा हेतु 780 परियोजनाओं के लिए 6 हजार 400 करोड़ रूपए का प्रावधान इस बजट में किया गया है।
इससे 62 हजार 700 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जा सकेगी। बेहतर जल प्रबंधन के लिए ज्ञानवर्धक उत्पादक विश्लेषनात्मक उपकरणों और निर्णय समर्थन प्रणाली को विकसित करने के लिए एसडब्ल्यूआईसी राज्य जल सूचना केन्द्र का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में अनेक छोटे-बड़े और मध्यम श्रेणी के बांध है और कुछ बांध 100 वर्ष से अधिक पुराने हैं। इनकी सुरक्षा के लिए 72 करोड़ रूपए का प्रावधान किया गया है।
कौशल विकास
कौशल विकास मंत्री केदार कश्यप ने अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि हमारी सरकार राज्य के युवाओं को रोजगार और स्व-रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में अनवरत प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रदेश के युवाओं को विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षित करने के लिए अनेक प्रावधान किए गए हैं।
लाईवलीहुड कॉलेज सोसायटी के लिए इस वर्ष के बजट में 22 करोड़ 56 लाख 50 हजार रूपए का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अब तक 4 लाख 77 हजार 610 युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है। इन प्रशिक्षित युवाओं में से 2 लाख 61 हजार 881 युवाओं को नियोजित किया गया है। इस वर्ष 7368 युवाओं को प्रशिक्षित कर 4368 युवाओं को नियोजित किया गया है। वर्तमान में 2395 युवा विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षणरत हैं।