विशेष संवादाता
रायपुर। भाजपा शासनकाल में सत्ता के करीबी IAS अफसरों को सरकारी नल से पानी पीते, नदी-नालों को पैदल पार करते और लापरवाही के लिए मातहतों को फटकार लगाते जलवा अफ़रोज़ होने का शौक था। समाचार पत्रों में खुद को लोकप्रिय करने की उनकी उत्कंठ इक्षाओं की पूर्ति चंद अख़बारों ने फोटो प्रकाशित कर पूरी भी किये। काम कम और शो-ऑफ़ ज्यादा होने का लाभ भी मिला और सोशल मिडिया में वे छाए रहे।
कुछ इसी तरह का ट्रेंड अब छत्तीसगढ़ पुलिस में भी देखा जा सकता है। खुद की ब्रांडिंग में लगे पुलिस अफसर, दुर्ग SP के बाद डोंगरगढ़ TI छाए हैं। आमतौर पर जितना पुलिस महानिदेशक और राजधानी के अफसर अपना प्रोपेगेंडा नहीं करते उससे ज्यादा अन्य पुलिस जिलों के वर्दीधारी सोशल मिडिया में दिखने लगे हैं।
दुर्ग एसपी अभिषेक पल्लव के द्वारा अपनी कार्यशैली का सोशल मीडिया पर बखूबी प्रदर्शन किए जाने के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि DGP से ज्यादा जनता उन्हें पहचानने लगी है। IPS अभिषेक का ट्रेफिक रूल समझते, एक DSP के बेटे को लताड़ते, महादेव एप के आरोपियों को किसी मनोचिक्त्सक की तरह पूछताछ करने वाला वीडियो खूब वायरल हुआ है। उनका ये सब देखकर जनता को लगने लगा है कि क्या अन्य जिलों के पुलिस कप्तान के पास करने-बताने को कुछ नहीं है?
अब IPS से इंस्पायर होकर थाना डोंगरगढ़ के टीआई सुरेंद्र स्वर्णकार भी सोशल मिडिया में वायरल हो रहे है। लेकिन उनका सोशल मिडिया में छा जाने की वजह कोई बड़े अपराध या विभागीय सफलता नहीं बलकि उनकी विदाई पार्टी है। उनके चाहने वालों द्वारा उनको यादगार विदाई दी गई है। बाकायदा सफ़ेद रंग की महंगी SUV को फूलों से सजाकर बाराती गाड़ी बनाकर रोमेंटिक सांग बैक ग्राउंड में एडिट कर वायरल वीडियो की चर्चा है। थाने से बहार विभागीय मातहतों द्वारा उनकी विदाई को सेलिब्रेट करते और डांस करते मातहत दिख रहे हैं। इसमें उनके जाने की ख़ुशी मनाई जा रही है या दुःख यह समझ से परे है, लेकिन पुलिस वालों की इस तरह की रील वायरल होने का तुक क्या है ये बड़ा सवाल है।
0 क्या पुलिस के SOP में ऐसा करना जायज है?
0 अपराधियों से पूछताछ, पहचान वायरल करना उचित है?
0 क्यों न सभी जिलों के SSP या SP के लिए ये अनिवार्य हो ?
0 छोटे मामले में भी किसी पर वर्दी का रुआब झाड़ने से कितना लाभ होगा?
0 क्या ऐसा करने वाले पुलिस अधिकारी खुद की ब्रांडिंग करना चाहते हैं?