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Chhattisgarh Assembly Election 2023 : CG स्टूडेंट्स लीडर से चुनावी सियासत: जूदेव समर्थक सुशांत शुक्ला सीटिंग MLA राजनीश सिंह पर कैसे पड़े भारी, पढ़िए पूरा किस्सा

Chhattisgarh Assembly Election 2023रायपुर. छत्तीसगढ़ की ब्राह्मण बहुल बेलतरा सीट से भाजपा ने सुशांत शुक्ला को अपना प्रत्याशी बनाया है. बेलतरा सीट से सुशांत का नाम पहले ही दौड़ में शामिल था, लेकिन एक मौका ऐसा भी आया, जब विजय धर दीवान का नाम आगे हो गया था. यहां तक कि बुधवार को सुबह नामांकन फार्म खरीदने के लिए दीवान कलेक्टोरेट भी पहुंच गए थे. दीवान को देखकर यह मान लिया गया था कि ऊपर से उन्हें इशारा मिल गया है. यह बात अभी धीरे-धीरे फैलनी शुरू हुई थी कि भाजपा की बची हुई चार सीटों के साथ बेलतरा से सुशांत के नाम का ऐलान हो गया. नाम घोषित होने के बाद नामांकन फार्म खरीदने के लिए सुशांत भी कलेक्टोरेट पहुंच गए. आखिरकार ऊहापोह खत्म हो गई. अब लोगों में इस बात की चर्चा है कि आखिर बाजी कैसे पलटी? दरअसल, सुशांत को जब प्रवक्ता बनाया गया, तभी यह माना गया था कि दावेदारी खत्म हो चुकी है. इसके बाद लोगों ने भले ही सुशांत को दौड़ से बाहर मान लिया, लेकिन सुशांत की दौड़-भाग जारी रही. और नतीजा सबके सामने है.

जूदेव के निधन के बाद पकड़ी दिल्ली की राह

सुशांत को कट्‌टर िहंदू नेता दिलीप सिंह जूदेव का समर्थक माना जाता था. जूदेव की तरह ही सुशांत ने भी लुक बना लिया था. जूदेव जब बिलासपुर के सांसद थे, तब सुशांत को लोगों ने राजनीति में उभरते देखा. इससे पहले छात्र नेता के रूप में पहचान थी. जूदेव का प्रशासनिक आतंकवाद का जुमला सुशांत के संदर्भ में था। बीजेपी की सरकार होने के बाद भी बिलासपुर पुलिस ने सुशांत के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था। जूदेव इसके बाद बिलासपुर पहुंचे और बोले बिलासपुर में प्रशासनिक आतंकवाद चल रहा है। उनके बयान पर सरकार हिल गई थी। अगस्त, 2013 में जूदेव के निधन के बाद सुशांत ने दिल्ली की राह पकड़ी. परिवार का आरएसएस बैकग्राउंड और खुद की भी स्वयंसेवकों के रूप में पहचान होने के कारण भाजयुमो की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जगह मिली. तत्कालीन भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग सिंह ठाकुर के संपर्क में आने के बाद दूसरे राज्यों में प्रभारी के रूप में काम करने का भी मौका मिला. आखिरकार उस दौर में काम का फायदा मिला और जब प्रवक्ता के रूप में सुशांत को सबने दौड़ से बाहर मान लिया, तब दिल्ली के एप्रोच से राह आसान हो गई.

सामान्य के मुकाबले ब्राह्मण प्रत्याशी पर जोर

एक और महत्वपूर्ण समीकरण यह भी बना कि कांग्रेस ने इस बार ओबीसी के बजाय सामान्य वर्ग से प्रत्याशी उतारा. बिलासपुर जिले के अध्यक्ष विजय केशरवानी को कांग्रेस ने बेलतरा से िटकट दिया, तब भाजपा पर सामान्य वर्ग के साथ-साथ ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने का दबाव था. ऐसा इसलिए भी क्योंकि सीएम के सलाहकार प्रदीप शर्मा और कांग्रेस के ब्राह्मण नेताओं ने बिलासपुर में एक भव्य ब्राह्मण सम्मेलन कराया था. ऐसे में भाजपा पर भी बेलतरा ही नहीं, बल्कि बिलासपुर, तखतपुर सीटों पर ब्राह्मण वोटरों को साधने का दबाव था. ऐसे में रजनीश सिंह की सक्रियता के बावजूद ब्राह्मण चेहरे की तलाश शुरू की गई. इनमें नए-पुराने मिलाकर कई चेहरे दावेदारों में शामिल थे. अंत में सुशांत पर संगठन ने मुहर लगा दी

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