Chhattisgarh Budget-2023: रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी सरकार का लगातार पांचवा बजट कल पेश करेंगे। इस पर पूरे प्रदेश की निगाहें होंगी। लेकिन जिस वर्ग को इस बजट का सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार है वह है अनियमित संविदा और दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी। क्योंकि विधानसभा में जिस प्रकार इनकी मांगों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों ने सवाल पूछे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तरफ से लिखित जवाब आया, उससे यह माना जा रहा है कि सरकार अपने अंतिम बजट में इनकी मांगों पर मुहर लगा सकती है। खबर ये भी है कि पहले पंचायत और स्वास्थ्य विभाग के अनियमित कर्मचारियों को रेगुलर किया जाएगा। लेकिन, इसकी कोई पुष्टि नहीं है। हालांकि, इन्हीं दो विभागों में सबसे अधिक अनियमित कर्मचारी हैं।
नियमितिकरण को लेकर मुखर
नियमितिकरण को लेकर कर्मचारियों का वर्ग पिछले साढ़े चार साल से मुखर है। कई बार धरना-प्रदर्शन भी कर चुका है। यह मांग कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र का एक प्रमुख बिंदु भी था। ऐसे में इनकी मांग पर मुहर लगाना सरकार के लिए जरूरी भी है और चुनाव में जाने से पहले एक बड़ा हथियार भी। क्योंकि यह माना जा रहा है कि इस वर्ग को साधने के बाद सरकार को चुनाव में बड़ा लाभ हो सकता है। प्रदेश में अनियमित कर्मचारियों की संख्या डेढ़ लाख से अधिक बताई जाती है। जिसमें छत्तीसगढ़ के शासकीय विभाग, निगम, मंडल, आयोग, स्वायत्तशासी निकायों में अनियमित कर्मचारी अधिकारी की संख्या 36000 है दैनिक वेतन भोगी, कलेक्टर दर, श्रम आयुक्त दर, अस्थाई श्रमिक की संख्या 18000 है मानदेय पर काम करने वाले श्रमिकों की संख्या 12600 है. अंशकालिक की संख्या 54000 है. ठेका पर काम करने वालों की संख्या 27000 है.
अनियमित कर्मचारियों की उम्मीदें इसलिए भी बढ गई है कि सामान्य प्रशासन विभाग के सिकरेट्री डॉ0 कमलप्रीत सिंह ने विभागों के सिकरेट्री को पत्र लिखकर विभाग की तरफ से रिक्त पदों की जानकारी भी मांगी गई है। इससे कर्मचारियों में संदेश गया कि जीएडी सिकरेट्री इसलिए रिक्त पदों की जानकारी मंगा रहे हैं जिसमें इन्हें समायोजित किया जा सकता है। क्योंकि यह इन्हीं रिक्त पदों के विरुद्ध कार्य कर रहे हैं। इनके लिए बनाई गई समिति ने भी इनके पक्ष में अनुशंसा की है तो इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए इस बात की प्रबल संभावना है कि कल मुख्यमंत्री एक बार फिर मास्टरस्ट्रोक खेल सकते हैं और प्रदेश के अनियमित संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की भी निगाहें इसी पर लगी हुई है।