रायपुर। यूं तो सीएम भूपेश बघेल ने अब नए जिलों के गठन से इंकार किया है। सरायपाली में उन्होंने कहा था कि अब समय नहीं है। जिलों का सेट अप बनाने में टाइम लगता है।
मगर सर्वविदित है कि सियासत में कभी स्थाई ना नही होता। यानी संभावनाएं परिस्थियों के हिसाब से बनती बिगड़ती रहती है। चूकि, इस सरकार का यह आखिरी गणतंत्र दिवस है, इसलिए लोगों की टकटकी लगी है कि सीएम भूपेश शायद नए जिलों का मास्टर स्ट्रोक मार दें। जाहिर है, खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में नए जिले का ऐलान ब्रह्मास्त्र साबित हुआ।
रही बात समय कम होने का तो 2008 के गणतंत्र दिवस में भी पांच नए जिले की घोषणा हुई थी। इस समय नए जिले का प्रबल दावेदारों में पत्थलगांव, सरायपाली, अंतागढ़ या भानुप्रतापपुर है। पत्थलगांव के हकों के साथ हमेशा अन्याय होता आया है। पिछली सरकार ने पत्थलगांव को जिला बनाए जाने को अपने संकल्प पत्र में शामिल किया था। मगर जशपुर के राज परिवार के दबाव में वो हुआ नहीं। इसी तरह अंतागढ़ बस्तर का सबसे पुराना और पहला तहसील है। बस्तर के छोटे छोटे ब्लॉक जिला बन गए मगर वो अंतागढ़ का नंबर नहीं लग पाया।
बहरहाल, जगदलपुर में आज गणतंत्र दिवस के भाषण में सीएम भूपेश बघेल लोगों को क्या सौगात देते हैं, ये कुछ देर में सामने आ जाएगा। हालांकि, नए जिलों को लेकर कोई संकेत नहीं है मगर उम्मीदों और अटकलों का क्या?