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CM Vishnudeo Sai: कठोर प्रशासनिक फैसलाः विष्णुदेव सरकार ने एक झटके में दो प्रशासनिक अफसरों को हटा दिया, किया बिना विभाग

CM Vishnudeo Sai रायपुर। विष्णुदेव साय सरकार ने आबकारी विभाग में पोस्टेड दो अधिकारियों को न केवल हटा दिया बल्कि उन्हें बिना विभाग के कर दिया। प्रशासनिक भाषा में इसके एपीओ कहा जाता है। याने अवेटिंग पोस्टिंग आर्डर। इन अधिकारियों को अब पोस्टिंग के लिए प्रतीक्षा करनी होगी। सरकार को जब अफसरशाही को कड़ा संदेश देना होता है तो इस तरह के फैसले लेकर अधिकारियों को एपीओ कर देती है। किसी प्रशासनिक अधिकारी को बिना विभाग के कर दिया जाए, इसके मायने आप भी समझ सकते हैं।

राज्य सरकार ने जिन अधिकारियों को एपीओ किया, उनमें ब्रेवरेज कंपनी के एमडी विनीत नंदनवार और स्टेट मार्केटिंग कंपनी के एमडी अभिषेक अग्रवाल शामिल हैं। दिसंबर में सरकार बदलने के बाद विष्णुदेव साय सरकार ने दंतेवाड़ा कलेक्टर विनीत नंदनवार को हटाकर मंत्रालय में एपीओ कर दिया था। मगर कुछ दिन बाद ही जब उन्हें ब्रेवरेज कारपोरेशन का एमडी बनाया गया तो पूरी ब्यूरोक्रेसी चौंक गई थी। लोगों को उससे भी अधिक हैरानी अभिषेक अग्रवाल को स्टेट मार्केटिंग कंपनी का एमडी बनाए जाने पर हुआ। स्टेट मार्केंटिंग कंपनी शराब खरीदी का काम करती है। पिछली सरकार ने शराब खरीदी में लायसेंस ठेका लागू करते हुए बिचौलियों को पूरा काम दिया, उस समय इस कंपनी का गठन किया गया। इसी कंपनी के एमडी रहते अरुणपति त्रिपाठी ने करोड़ा का खेला किया और इस समय एसीबी के न्यायिक हिरासत में रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।

इससे भी महत्वपूर्ण यह कि ऐसे पदों पर कभी राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को नहीं बिठाया जाता। फिर बीजेपी सरकार को कैसे इस कंपनी का एमडी बना दिया। वो भी तब, जब अभिषेक अग्रवाल पर नगर निगम में अपर आयुक्त रहते एक कांग्रेस नेता के बेहद करीबी होने का टैग लगा हुआ है। तब नगर निगम में कमिश्नर से अधिक एडिशनल कमिश्नर की चलती थी। बावजूद इसके, सरकार बदलने के महीने भर में ही अभिषेक को शराब खरीदने जैसी कंपनी का एमडी बना दिया गया।

शराब कंपनी में खेला कैसे हुआ?

बताते हैं, बीजेपी में लक्ष्मीपुत्रों की एक ऐसी प्रभावशाली लॉबी है, जिनका काम पार्टी को समृद्ध करने से अधिक खुद को मजबूत करना है। सो उनको मोदी की गारंटी और विष्णुदेव का सुशासन से कोई वास्ता नहीं। सरकार बन गई है तो अपना धंधा-पानी चमकना चाहिए। पिछली सरकार में शराब खरीदी में नेताओं और अधिकारियों ने मलाई छानी, उससे बीजेपी की यह लॉबी भी वाकिफ थी। सो, नई सरकार बनते ही प्रेशर डाल आबकारी विभाग में अपने करीबी अधिकारियों की नियुक्ति करा ली। जिससे जैसा चाहे, वैसा विभाग को चला सकें।

सिस्टम को खेला समझ में आ गया

लोकसभा चुनाव तक सिस्टम काफी व्यस्त था। मगर उसके बाद समझ में आने लगा कि आबकारी विभाग की व्यवस्था नहीं बदली गई तो दिल्ली के अरविंद केजरिवाल सरकार जैसा कांड यहां भी हो जाएगा। अलबत्ता, सरकार ने एफएल-10 को बदलकर अब खुद ही शराब खरीदने का फैसला कर चुकी है। सरकार के इस कड़े फैसले से बीजेपी की खास लॉबी काफी परेशान थी। मगर सिस्टम ने उन्हें और बड़ा झटका देते हुए ब्रेवरेज कारपोरेशन के एमडी और स्टेट मार्केटिंग कंपनी के एमडी को हटा दिया। इन दोनों पदों पर अब बस्तर के कमिश्नर श्याम धावड़े को लाया गया है। अब ब्रेवरेज कारपोरेशन की शराब की खरीदी करेगा, सो इस पद पर सरकार ने अपने विश्वस्त अफसर को बिठा दिया है। श्याम धावड़े कई जिलों के कलेक्टर रह चुके हैं। रायगढ़ में एडिशनल कलेक्टर भी रहे। श्याम स्टेट सर्विस से आईएएस बने हैं, मगर छबि बड़ी साफ-सुथरी है। बिल्कुल निर्विवाद।

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