मुंबई। Crowd Funding : बच्चों की तस्वीर दिखाकर इलाज के लिए क्राउडफंडिंग के मामले में दिल्ली की एक निजी कंपनी ने बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) का दरवाजा खटखटाया है।
बता दें कि मुंबई पुलिस (Mumbai Police) द्वारा इस कंपनी को बच्चों की तस्वीर दिखा कर इलाज के लिए क्राउडफंडिंग के आरोप के संबंध में नोटिस भेजा गया था। पुलिस के अनुसार जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (Juvenile Justice Act) के मुताबिक यह एक अपराध है।
इस मामले में अदालत का मानना है कि बच्चों की तस्वीर को सोशल मीडिया पर पब्लिश करके क्राउडफंडिंग की जा सकती है। ऐसे कोई आदेश कही भी नजर नहीं आया है। हालांकि, इस मामले में संबंधित कंपनी के वकील नितिन प्रधान ने अदालत से अंतरिम राहत हासिल कर ली है। जिसके तहत उनके क्लाइंट के खिलाफ पुलिस कोई कठोर कार्रवाई या गिरफ्तारी नहीं कर सकती है।
अदालत का पुलिस से सवाल
बॉम्बे हाई कोर्ट की बेंच ने कहा की नेशनल पॉलिसी फॉर रेयर डिजीज 2021 के तहत क्राउड फंडिंग एक प्रशंसनीय कार्य के रूप में देखा जाता है लेकिन सरकार को अगली तारीख पर यह बताना होगा कि किस कानून या नियम के तहत सरकार क्राउडफंडिंग पर नियंत्रण या नजर रखती है। रेयर डिजीज को लेकर नेशनल पॉलिसी क्या है और क्या इसके लिए क्राउडफंडिंग को किसी निजी कंपनी, ऑर्गनाइजेशन या फिर अलग अलग कंपनियों द्वारा किया जा सकता है। यदि ऐसा हो सकता है तो फिर इसकी मॉनिटरिंग अथॉरिटी कौन है?
पुलिस के नोटिस में क्या?
मुंबई पुलिस की तरफ से बीते 7 सितंबर को दिल्ली की कंपनी को यह नोटिस शो कॉज नोटिस भेजा गया था। नोटिस में यह कहा गया था कि कंपनी ने जो एडवर्टाइजमेंट देकर पैसे इकट्ठा किए हैं वह भीख मांगने ( जुवेनाइल जस्टिस केअर एंड प्रोटेक्शन) एक्ट की श्रेणी में आता है। यह भी पूछा गया था कि उनके खिलाफ सेक्शन 76( बीख मांगने के लिए बच्चों का इस्तेमाल) मुकदमा क्यों ना दर्ज किया जाए।
क्या है नियम ?
अगर कोई बच्चा बीमार है और उसे पैसों की ज़रूरत है तो अस्पताल, माता पिता या कोई और सामाजिक कार्यकर्ता इस बात की जानकारी CWC यानी की चाइल्ड वेलफ़ेयर कमिटी को दे कर उनसे मदद मांगे जिसका मुखिया डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होता है। यहां अर्जी का वेरीफिकेशन किया जाता है।
इसके बाद ही डिस्ट्रिक्ट चिल्ड्रेन प्रोटेक्शन यूनिट को इस बात को जानकारी दी जाती है कि वो बच्चे की मदद करे। इसका मुखिया कलेक्टर होता है, अगर पैसे ज़्यादा लगते हैं और उसके पास इसका अभाव होता है तो वो सरकार को इस बात की जानकारी देकर पैसे की मांग कर सकते हैं। सरकार फिर निश्चित करेगी कि इसके लिए उनके पास पैसे है या नहीं और अगर ज़रूरत पड़ी तो सरकार ख़ुद डिस्ट्रिक्ट चिल्ड्रेन प्रोटेक्शन यूनिट से क्राउड फ़ंडिंग करने को कह सकती है और जिसके बाद ही क्राउड फ़ंडिंग किया जा सकता है। ताकि इसकी सहीं तरीके से मॉनिटरिंग की जा सके।
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