भोपाल/छतरपुर/रायपुर। Death threats to Dhirendra Shastri: दिव्य दरबार को लेकर इन दिनों चर्चा में चल रहे बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री को जान से मारने की धमकी दी गई है। इस संबंध में छतरपुर के बमीठा थाने में मामला दर्ज किया गया है।
Death threats to Dhirendra Shastri:बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर इन दिनों छत्तीसगढ़ के रायपुर में हैं। वह 25 जनवरी को वापस बागेश्वर धाम लौटेंगे। छतरपुर एसपी सचिन शर्मा ने केस दर्ज किए जाने की पुष्टि की है। साथ ही जांच कराए जाने की बात कही है।
Death threats to Dhirendra Shastri: बता दें कि इन दिनों बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री का का दिव्य दरबार देश भर में काफी चर्चित हैं। इसे लेकर नागपुर की एक अंधविश्वास निर्मूलन समिति ने उन्होंने चुनौती भी दी थी। तभी से धीरेंद्र शास्त्री काफी चर्चा में आए हैं। बताया जाता है कि धीरेंद्र शास्त्री को किसी ने फोन पर जान से मारने की धमकी दी है।
Death threats to Dhirendra Shastri: जानकारी के मुताबिक सोमवार देर रात पीठाधीश्वर शास्त्री के छोटे भाई लोकेश गर्ग की ओर से बमीठा थाना पुलिस को एक आवेदन दिया गया था। आवेदन पर पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति पर जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज किया है।
कौन हैं Dhirendra Shastri:
मध्य प्रदेश के छतरपुर स्थित बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री उर्फ बाबा बागेश्वर इन दिनों काफी चर्चा में हैं। वह दरबार लगाकर लोगों की समस्याएं सुनते हैं और कथित तौर पर समाधान भी बताते हैं। धीरेंद्र शास्त्री की उम्र सिर्फ 26 साल है। उनका जन्म 4 जुलाई 1996 को मध्य प्रदेश के छतरपुर गढ़ा गांव में हुआ था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके पिता रामकृपाल गर्ग गांव में ही सत्यनारायण की कथा सुनाया करते थे। धीरेंद्र शास्त्री भी अपने पिता के साथ कथा वाचा करते थे। वहीं, मां सरोज शास्त्री दूध बेचने का काम करती थीं।
कहां की है पढ़ाईरिपोर्ट्स के अनुसार, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी की पढ़ाई गंज गांव से की है। इसके बाद उन्होंने बीए की डिग्री ली। उनका बचपन गरीबी में बीता था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, धीरेंद्र शास्त्री के दादा सिद्ध पुरुष थे. वे हर मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में दरबार लगाते थे। उस समय से ही इस मंदिर में लोग अर्जी लगाते हैं। धीरेंद्र शास्त्री भी नौ साल की उम्र से दादाजी के साथ मंदिर जाने लगे थे। उनसे ही रामकथा सीखी। इसलिए वह अपने दादाजी को ही गुरु मानते हैं।