रायपुर। पूर्व मंत्री और भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कोरबा में DMF की रकम से महिला एवं बाल विकास विभाग में खर्च किये गए करोड़ों रुपयों का हिसाब एक नहीं दो-दो बार मांगा। मजे की बात यह है कि इस जिले से एक ही जानकारी दो बार में अलग-अलग दी गई और इसमें लगभग 5 करोड़ रूपये का अंतर आया। अब यह बात सामने आ रही है कि 3 साल के भीतर यहां लगभग 50 करोड़ रूपये की खरीदी की गई और इसमें भंडार क्रय नियम का पूरी तरह उल्लंघन किया गया है। इस मामले की जांच में हो रही देरी के चलते विभाग की संचालक दिव्या उमेश मिश्रा को कलेक्टर, कोरबा को रिमाइंडर भेजना पड़ रहा है।
हुआ यूं कि विधानसभा के होने वाले सत्र के लिए भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कोरबा सहित कुछ अन्य जिलों में जिला खनिज न्यास ट्रस्ट (DMFT) से महिला एवं बाल विकास विभाग में हुए खर्च और उससे संबंधित समस्त जानकारी वर्षवार मांगी थी। विभाग की संचालक दिव्या उमेश मिश्रा द्वारा इस संबंध में कोरबा कलेक्टर संजीव झा को 24 जनवरी 2023 को प्रेषित पत्र में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2020 -21 से लेकर 2022 -23 के DMF की रकम के खर्च की जानकारी दो बार में भेजी गई है, उसमें 2020 -21और 2021 -22 की रकम में काफी अंतर है। अगर अंतर की राशि को जोड़ा जाये तो यह 5 करोड़ 29 लाख 62 हजार रूपये होती है। बता दें कि विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने विधानसभा में तारांकित प्रश्न क्रमांक 599 और 650 के माध्यम से संबंधित सवाल पूछा था। और इसके जवाब में दो वित्तीय वर्ष की राशि की जानकारी अलग-अलग भेजी गई है। संचालक ने इस बिंदु की जांच के लिए कलेक्टर को लिखा है।
कलेक्टर को प्रेषित पत्र में यह भी जानकारी दी गई है कि DMF मद से पूरक पोषण आहार अंडा/केला/लड्डू अदि की खरीदी में भंडार क्रय नियम का पालन नहीं किया गया है। महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या मिश्रा ने अपने स्तर पर कोरबा में हुई खरीदी के दस्तावेजों का परीक्षण किया और पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि खरीदी की प्रक्रिया में अनियमितता बरती गई है। पोषक आहार के साथ ही विभिन्न सामग्रियों की खरीदी जेम पोर्टल से की गई है, मगर दस्तावेजों का अवलोकन करने पर पाया गया है कि खरीदी प्रक्रिया में भंडार क्रय नियमों का पालन ही नहीं किया गया है।
संचालक ने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि कोरबा में कई सामग्रियों की खरीदी कोटेशन के माध्यम से की गई है, जबकि सामग्री क्रय की प्रक्रिया में CSIDC और जेम टेंडर से क्रय किये जाने का उल्लेख किया गया है। वहीं अधिकांश कार्य में सामग्री की मात्रा/हितग्राही की संख्या तथा दर का उल्लेख भी नहीं है। जबकि विधानसभा के प्रश्न में सामग्री की मात्रा और दर की जानकारी भी चाही गई है। महिला एवं विकास विभाग कोरबा में DMF की रकम से हुई खरीदी में तमाम खामियां गिनाते हुए सभी का समुचित परीक्षण कर कलेक्टर को स्वयं के हस्ताक्षर से जानकारी प्रेषित करने को कहा गया था।
TRP न्यूज़ को विभागीय सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक नियमतः कोई भी टेंडर निकालने के बाद 25 दिन के भीतर उसकी प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए, मगर कई टेंडर तो तीन दिन बाद ही खोल दिए गए हैं। स्वाभाविक है कि ऐसा सेटिंग के तहत ही किया गया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग, कोरबा में जिन वर्षों में DMF की राशि में गड़बड़ी की जानकारी सामने आ रही है उस दौरान यहां जिला कार्यक्रम अधिकारी के बतौर आनंद प्रकाश किस्पोट्टा, एमडी नायक (अब रिटायर हो चुके) और गजेंद्र देव सिंह पदस्थ रहे। वर्तमान में यहां प्रीति चाखियार पदस्थ हैं। TRP न्यूज़ से अनौपचारिक चर्चा में एक अधिकारी ने कहा कि संचालक ने गड़बड़ी की केवल आशंका जताई है, जांच में सब कुछ उजागर हो जायेगा। वैसे भी खरीदी के लिए पूरी समिति होती है, ऐसे में गड़बड़ी की सभावना नहीं है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक द्वारा 24 फ़रवरी के पत्र में कलेक्टर को वस्तुस्थिति की जानकारी भेजने को कहा गया था, मगर महीना भर निकलने के बावजूद कोरबा कलेक्टर से कोई भी पत्र नहीं मिला, जिसके चलते संचालक दिव्या मिश्रा ने 24 फ़रवरी को रिमाइंडर भेजा और इस बार संबंधित गड़बड़ियों में उत्तरदायी अधिकारियों के खिलाफ सिविल सेवा आचरण नियमों के अधीन कार्यवाही का प्रस्ताव एक सप्ताह के अंदर भेजने का निर्देश दिया गया है। साथ ही यह भी कहा गया कि एक सप्ताह के भीतर प्रस्ताव एवं सुसंगत दस्तावेज विशेष वाहक के हस्ते प्रेषित करें।
TRP न्यूज़ संवाददाता ने इस संबंध कोरबा के महिला एवं विकास विभाग में हुई गड़बड़ियों पर कार्रवाई के संबंध में जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि कोरबा कलेक्टर की ओर से इस मामले में कोई प्रतिवेदन मिले तभी कोई कार्यवाही की जा सकेगी। उन्होंने बताया कि अब तक DMF की खरीदी और विधानसभा में गलत जानकारी दिए जाने के संबंध में कोई भी जानकारी कोरबा जिले से उन्हें हासिल नहीं हुई है।
इस मामले को लेकर कोरबा कलेक्टर संजीव झा का पक्ष लेने का प्रयास किया गया मगर उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। बता दें कि एक दिन पहले ही संचालक का पत्र मीडिया के हाथ लगा और यह मामला उजागर हुआ, मगर इस संबंध में कोरबा के महिला एवं बल विकास विभागीय और प्रशासनिक अधिकारी कोई भी जानकारी देने को तैयार नहीं हैं। हालाँकि विभाग के ऊपर समय-समय पर यह आरोप लगते रहे हैं मगर पूरा तंत्र मिला हुआ है, इसलिए जिले में पदस्थ रहे किसी भी मुखिया ने जाँच में कोई रूचि नहीं दिखाई। इस बार मामला विधानसभा और भाजपा के कद्दावर विधायक बृजमोहन अग्रवाल द्वारा किये गए सवाल से जुड़ हुआ है, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि जांच के साथ कठोर कार्रवाई भी होगी।
संचालक द्वारा कलेक्टर को प्रेषित पत्र :
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