देहरादून। उत्तराखंड में BAMS की फर्जी डिग्री बांटने वाले दसवीं पास चेयरमैन को एसटीएफ ने गिरफ्तार किया है। वहीं, एक चेयरमैन फरार हो गया है। फर्जी डिग्री से क्लीनिक चला रहे दो आयुर्वेदिक डॉक्टरों को भी एसटीएफ ने पकड़ा है।
बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन से एसटीएफ ने कई राज्यों की यूनिवर्सिटियों की फर्जी दस्तावेज, मार्कशीट आदि भी बरामद की हैं। एसटीएफ ने उत्तराखण्ड में अब तक 36 फर्जी चिकित्सक भी चिह्नित किए हैं।
STF को इस गिरोह में भारतीय चिकित्सा परिषद के कर्मचारियों की मिलीभगत होने की आशंका है और इसकी भी जांच की जा रही है।
एसटीएफ SSP आयुष अग्रवाल ने बताया कि एसटीएफ लगभग एक माह से प्रदेश में प्रैक्टिस कर रहे बीएएमएस की फर्जी डिग्री वाले आयुर्वेदिक चिकित्सकों के संबंध में जांच कर रही थी। इस दौरान पाया गया कि उत्तराखण्ड राज्य में कई आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने BAMS की फर्जी डिग्री के आधार पर भारतीय चिकित्सा परिषद, उत्तराखण्ड में चिकित्सा अभ्यास का पंजीकरण कराया है। उसी फर्जी पंजीकरण के आधार पर उत्तराखण्ड के अलग-अलग स्थानों पर BAMS डॉक्टर के रूप में अपने निजी अस्पताल या क्लीनिक चला रहे हैं। इस तरह से ये लोग आम जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे थे।
आयुष अग्रवाल ने बताया कि जांच में कई आयुर्वेदिक डॉक्टरों का फर्जीवाड़ा पाया गया। ऐसे लगभग 36 डॉक्टरों को चिह्नित किया गया है। ज्यादातर फर्जी आयुर्वेदिक चिकित्सकों की डिग्री “राजीव गांधी हेल्थ एण्ड साईंस यूर्निवसिटी, कर्नाटका” की थी। जिन्हें बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज मुजफ्फरनगर के मालिक इमरान और इमलाख द्वारा तैयार कराई गई है।
उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक चिकित्सक प्रीतम सिंह एवं मनीष अली को गिरफ्तार किया गया है, जिनकी बीएएमएस की मूल डिग्री फर्जी पाई गई। दोनों की मूल डिग्री को बरामद कर लिया गया है। ये दोनों प्रेमनगर और रायपुर (यूपी) में अपने क्लिीनिक चला रहे थे। इन लोगों ने BAMS की फर्जी डिग्री करीब 8 लाख में बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज मुजफ्फरनगर के चेयरमैन इमलाख और इमरान निवासी मुजफ्फरनगर से ली है।
आरोपी इमलाख के बारे में पता चला कि कोतवाली मुजफ्फरनगर का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर है। वह अपने भाई इमरान के साथ बरला थाना क्षेत्र मुजफ्फरनगर में बाबा ग्रुप ऑफ कॉलेज के नाम से मेडिकल डिग्री कॉलेज चला रहा है और बीफार्मा, बीए, बीएससी, आदि के कोर्स संचालित करता है। जिसके बाद एसटीएफ बाबा मेडिकल कॉलेज मुजफ्फरनगर से इमरान पुत्र इलियास निवासी शेरपुर मुजफ्फरनगर को कॉलेज से गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ टीम के दबिश की भनक लगते ही इमरान का भाई इमलाख फरार हो गया।
एसटीएफ को इसके कब्जे से कई राज्यों की यूनिवर्सिटीयों की फर्जी ब्लैंक डिग्रियां, फर्जी मुद्राएं एवं फर्जी पेपर एवं कई दस्तावेज बरामद हुए हैं। इमरान ने पूछताछ में बताया कि उत्तराखंड एवं कई अन्य राज्यों में सैकड़ों डॉक्टरों को इस तरह की फर्जी डिग्री लाखों रुपये लेकर दी हैं। एसएसपी एसटीएफ ने बताया कि कई एंगल पर जांच की जा रही है।
छत्तीसगढ़ में BAMS तथा कुछ अन्य पैथी के चिकित्सक डिग्री हासिल करने के बाद प्रैक्टिस के लिए छत्तीसगढ़ आयुर्वेद तथा यूनानी चिकित्सा पद्धति एवं प्राकृतिक चिकत्सा बोर्ड, रायपुर में अपना पंजीयन कराते हैं। इस बोर्ड में पुराने दस्तावेजों की जांच के बाद ऐसे अनेक फर्जी डॉक्टर पकडे गए जो सालों से छत्तीसगढ़ में प्रैक्टिस कर रहे हैं और उनकी डिग्री फर्जी हैं। इसके अलावा पंजीयन के दौरान ही कई लोग फर्जी डिग्री के साथ ही पकड़े गए। ऐसे लोगों के बयान भी लिए गए मगर इनके खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई नहीं की गई। बोर्ड के सचिव का कहना है कि हमारे यहां ऐसे लोगों के खिलाफ FIR कराने का कोई भी प्रावधान नहीं है। जबकि सामान्य तौर पर इस तरह के मामले सामने आने पर संबंधितों के खिलाफ अपराध दर्ज कराने का प्रावधान होता है। कायदे से अगर ऐसे मामले पुलिस में दिए जाएं तो यूपी STF की तरह ही यहां भी फर्जी डिग्रियां बांटने वाले दलाल और राज्य तथा दूसरे प्रदेशों में फर्जी डिग्री बांटने वाले लोग अवश्य पकड़ में आएंगे।
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