रायपुर। संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के संचालक के समक्ष एक व्यक्ति ने उपस्थित होकर अपना नाम तारणदास भारती होना बताने के साथ ही स्वयं को यू.पी. कैडर के 2016 बैच का IAS और वर्तमान में अपनी पदस्थापना लखनऊ में होना बताया। तारणदास भारती द्वारा एक आवेदन प्रस्तुत कर अवगत कराया गया कि वे एक लोक गायक रहे हैं और एक संस्था चलाते हैं तथा उनकी संस्था को शासन की ओर से आर्थिक सहयोग प्रदाय किया जाए। तारणदास भारती के आवेदन में उनके नाम के साथ आई.ए.एस. अंकित किया गया था जिस पर संचालक को तारणदास भारती पर शक हुआ। जांच करने पर तारणदास भारती को फर्जी व्यक्ति होना पाया गया।
फर्जीवाड़ा उजागर होने पर संचालक संस्कृति एवं पुरातत्व के स्टेनोग्राफर देवेश कुमार साहू की शिकायत पर सिविल लाइन पुलिस ने FIR दर्ज किया। मामले की जांच कर रहे सब इंस्पेक्टर अरुण झा ने बताया कि तारणदास भारती को पकड़कर पूछताछ करने पर उसके द्वारा स्वयं को आई.ए.एस. अधिकारी होना बताना स्वीकार किया गया।
सब इंस्पेक्टर अरुण झा ने TRP न्यूज़ को बताया कि तारणदास भारती जिला बलौदा बाजार के पलारी थानाक्षेत्र के ग्राम छेरकापुर का रहने वाला है और वास्तव में वह लोक गायक है। आर्थिक रूप से विपन्न तारण दास ने यह सोचा कि अगर उसने खुद को प्रभावशाली व्यक्ति बताया तो उसे संस्कृति विभाग से जल्द से जल्द अनुदान मिल जायेगा। उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि ऐसा करना आपराध की श्रेणी में आता है।
पुलिस ने आरोपी तारणदास भारती को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से फर्जी लेटर पेड एवं सील जप्त कर उसके विरूद्ध थाना सिविल लाईन में धारा 170 आईपीसी का अपराध पंजीबद्ध कर कार्यवाही की और उसे न्यायालय में पेश किया।
आपको बता दें कि तारणदास भारती ने छत्तीसगढ़ी में कई गाने गए हैं, जो YOU TUBE चैनल में भी अपलोड किये हुए हैं। किसी AVM ऑडियो एन्ड वीडियो स्टूडियो में रिकॉर्ड उसके अधिकांश गाने रोमांटिक हैं। वहीं उसने छत्तीसगढ़ महतारी के ऊपर लिखे गाने भी गए हैं।
भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 170 में लोक सेवक का प्रतिरूपण (Impersonation of public servant) करने वाले के संबंध में कानूनी प्रावधान (Legal provision) किया गया है। IPC की धारा 170 के अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी लोक सेवक अधिकारी का रूप धारण कर कोई गलत काम करने की कोशिश करता है या गलत काम करता है, तो ऐसे व्यक्ति पर धारा 170 लागू होती है, और इस धारा के अंतर्गत उसे दंडित किया जाता है।
ऐसा करने वाले आरोपी को दोषी पाए जाने पर किसी भांति के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या उस पर जुर्माना (Fine) किया जाएगा, या फिर उसे दोनों ही प्रकार से दंडित किया जाएगा। यह एक ग़ैर- जमानती (Non bailable) और संज्ञेय अपराध है, जिसकी सुनवाई किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा की जा सकती है। यह अपराध समझौता करने योग्य नहीं (Not negotiable) है।