नई दिल्ली। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पदस्थ दुष्कर्म के आरोपी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जितेंद्र नारायण को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संबंधित अधिकारी के खिलाफ कानून के अनुसार तत्काल सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव आशुतोष अग्निहोत्री ने बताया कि आज 1990 बैच के आईएएस अधिकारी और अंडमान निकोबार द्वीप समूह के तत्कालीन मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को एक महिला के कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री ने कानून के मुताबिक संबंधित अधिकारी के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
अग्निहोत्री ने आगे कहा कि केंद्र सरकार अपने अधिकारियों के अनुशासनहीन कृत्यों के प्रति जीरो टॉलरेंस सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे रैंक कुछ भी हो। अंडमान और निकोबार पुलिस की एसआईटी (SIT) द्वारा आपराधिक मामले में अलग से प्राथमिकी भी दर्ज की जा रही है।
अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के DGP के मुताबिक, युवती ने 22 अगस्त को शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें पूर्व मुख्य सचिव और श्रम आयुक्त पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर गैंगरेप करने का आरोप लगाया गया है। 1 अक्टूबर को पोर्ट ब्लेयर के एबरडीन पुलिस स्टेशन में दोनों अफसरों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी।
मामले की जांच के लिए DGP ने SIT का गठन किया है। वहीं युवती को पुलिस सुरक्षा भी दी गई है। शिकायत में महिला ने अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के बारे में बताया है, जिसमें उसने पोर्ट ब्लेयर में नारायण के आधिकारिक आवास पर अप्रैल और मई महीने की रात में दो बार हुए हिंसक यौन हमलों के बारे में अपनी आपबीती बयां की है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पोर्ट ब्लेयर में SIT के साथ-साथ मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा युवती का धारा 164 CRPC के तहत इकबालिया बयान दर्ज किया गया है, जहां उसने दूसरी शिकायत दर्ज की है। महिला के एक रिश्तेदार ने कहा कि वे एहतियात के तौर पर धारा 164 के बयान को वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फिर से दर्ज करने की अपील करेंगे।
जितेंद्र नारायण ने कथित तौर पर अपने लिखित खंडन में दावा किया है कि उनपर स्थानीय अधिकारियों के इशारे पर यह आरोप लगाए गए, जिनके खिलाफ उन्होंने मुख्य सचिव रहते हुए कार्रवाई की थी। हालांकि युवती के मुताबिक नौकरी की तलाश में एक होटल मालिक के जरिए उसकी जान-पहचान लेबर ऑफिसर से कराई गई थी और फिर उसे वह मुख्य सचिव के सरकारी आवास पर ले गया।
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