विशेष संवाददाता/नई दिल्ली/रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी के थिक टैंक ने आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी का विजन साफ कर दिया है। 3 दिन चले इस अधिवेशन में पार्टी की ओर से इशारा दिया गया है कि 2024 में कांग्रेस एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के चेहरे को आगे रख कर चुनाव मैदान में उतरेगी।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत करीब 500 से ज्यादा सीनियर नेता शामिल हुए। इनमें कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री के साथ स्टीयरिंग कमेटी के सदस्य, एआईसीसी सेक्रेटरी, पीसीसी अध्यक्ष, पूर्व पीसीसी अध्यक्ष, लोकसभा व राज्यसभा सांसद के साथ ही अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारियों की मौजूदगी में तीन दिन तक पार्टी के भविष्य की राजनीति पर मंथन हुआ। अधिवेशन में कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी शामिल हुई।
अधिवेशन में पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने संबोधन में ये कहते हुए कि सभी को चौंका दिया कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ ही मेरी राजनीतिक पारी अब अंतिम पड़ाव पर है, उन्होंने एक तरह से राजनीति से रिटायरमेंट का इशारा कर दिया। वहीं प्रियंका गांधी ने केवल कांग्रेस संगठन को मजबूत करने की बात से ज्यादा कुछ नहीं कहा। प्रियंका अपनी मां सोनिया गांधी की राजनीतिक पारी अब अंतिम पड़ाव वाली बात पर कुछ नहीं बोलीं।
अधिवेशन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी केवल भारत जोड़ो यात्रा में मिले अपने अनुभव को पार्टी के सीनियर नेताओं से साझा किया। पार्टी के सीनियर नेताओं को संबोधित करते हुए राहुल के संबोधन की आखिरी बात गौर करने वाली है। राहुल के संबोधन में कही गई ये आखिरी बात ही इस अधिवेशन का निचोड़ है। बकौल राहुल.”खड़गेजी उठे अपनी टीम बनाएं, हम सभी आपकी टीम के साथ संविधान विरोधी ताकतों से लड़ने को तैयार हैं..”साथ ही राहुल ने यह भी जोड़ा कि वो खुद इस टीम का हिस्सा होंगे, इसके बाद कुछ और कहने की गुंजाइश नहीं रही कि आने वाले समय में कांग्रेस का चेहरा कौन होगा।
अधिवेशन में सोनिया गांधी ने अपनी पारी खत्म होने की जो बात कही वो कांग्रेस जनों के लिए भले ही अप्रत्याशित लगी हो पर एक तरह से देखा जाए तो गांधी परिवार इसके लिए पहले से तैयार था। अधिवेशन में उदयपुर चिंतन शिविर में पास किए गए प्रस्ताव पर भी कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन पार्टी संगठन के संविधान में बदलाव का फैसला सर्व सम्मति लिया गया। जो कांग्रेस के भविष्य की ओर इशारा करने के लिए काफी था।
हालांकि सभी मंचों पर कांग्रेस हमेशा से ये बात कहती रही कि नेहरू.गांधी परिवार के बिना कांग्रेस की कल्पना नहीं की जा सकती। लेकिन, अधिवेशन में सोनिया की बात पर जिस तरह से चुप्पी छाई रही उससे साफ है कि कांग्रेस आलाकमान ने पहले से तय कर लिया था कि वो 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सामने रखकर ही मैदान में उतरेगी।
अधिवेशन में स्टीयरिंग कमेटी की बैठक में तय हुआ है कि CWC का चुनाव नहीं होगा और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सदस्य नॉमिनेट करने का अधिकार सर्वसम्मति से दिया गया है। यानि नेहरू गांधी परिवार पार्टी में गुटबाजी से खुद को दूर दिखाना चाहता है। इस समय उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस को एकजुट रखने की है। प्रियंका और राहुल गांधी भी अधिवेशन में इसी बात का प्रयास करते दिखे। हालांकि कि CWC सदस्यों का चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए आसान नहीं होने वाला कहीं ना कहीं उन्हें राहुल गांधी के करीब बिग्रेड के साथ पार्टी के सीनियर नेताओं से समन्वय बनाना ही पड़ेगा।
अधिवेशन में विपक्षी दलों के गठबंधन में कांग्रेस को एक मंच पर लाने पर चर्चा हुई। गठबंधन पर पार्टी स्पोकपर्सन जयराम रमेश ने साफ किया। विपक्षी दलों के गठबंधन में कांग्रेस अपनी भूमिका समझती है, और इसके प्रयास अधिवेशन के दौरान सामने आया। हालांकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उसकी (कांग्रेस) मौजूदगी के बिना देश में विपक्षी एकता की कोई भी कवायद सफल नहीं हो सकती।
ये भी बता दें कि विपक्षी दलों में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को कांग्रेस की ओर पीएम चेहरा बताए जाने को लेकर विरोधाभाष कम नहीं हुआ है। तामिलनाडु को छोड़ कर बाकी क्षेत्रीय दल इससे सहमत नहीं दिख रहे हैं। टीएमसी, केसीआर, आम आदमी पार्टी, अखिलेश यादव, तेजस्वी जैसे नेता भी कांग्रेस से दूरी बनाए हुए हैं। हालांकि एनसीपी और नीतीश कुमार लगातार विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस को शामिल किए जाने की वकालत कर रहे है पर उन्हें सफलता मिल जाएगी इस बात के आसार कम हैं।
यही वजह है कि कांग्रेस ने तमाम विरोधभाष को दरकिनार कर एआईसीसी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को आगे किया है। कांग्रेस की उम्मीद है कि मल्लिकार्जुन खड़गे सीनियर नेता होने के साथ दलित चेहरा भी हैं। उनके कद को नकारना विपक्ष के लिए आसान नहीं होगा, और इसका फायदा पार्टी को मिल सकता है।
कुल मिला कर कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा से हुई राहुल गांधी की ब्राडिंग को पार्टी 2024 तक बचा कर रखना चाहती है। इस बार कांग्रेस विपक्ष के साथ मिलकर बीजेपी और मोदी को चुनौती पेश करने को तैयार है और सब कुछ ठीक रहा तो चुनाव नतीजे आने के बाद पीएम चेहरे को लेकर अहम बदलाव की बात हो सकती है।
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