International yoga day (21 June) : सांसें हैं तो ज़िंदगी है और ज़िन्दगी है तो ज़िंदगी सी लगनी भी चाहिए। ये क्या कि ढलती उम्र में एक- एक सांस बोझ बनकर रह जाए। तमाम दुख- तकलीफ़ें जिन्होंने ज़िंदगी को कठिन बना दिया है, उनका रोना रोने में समय व्यर्थ न कर रोग को योग से पछाड़ने की कला सीखें। इस शुरूआत की कोई तय उम्र नहीं है। 55-60 की उम्र में भी योग का अ, ब, स, द सीखा जा सकता है। कठिन आसनों की ज़रूरत नहीं, बहुत से सरल आसन हैं जिन्हें सीखकर आप क्रमशः बढ़ती उम्र की तकलीफों को मात दे सकते हैं। विशेषज्ञों ने ढलती उम्र के लिए जिन सरल योग आसनों का उल्लेख किया है, उनमें से कुछ ये हैं-
बालासन
जैसे बच्चे अपने घुटनों पर झुककर औंधे मुंह बिस्तर पर सिर टिकाकर सो जाते हैं, ये कुछ कुछ वैसा ही है। इस आसन के अभ्यास से आपको आराम और शांति का अनुभव होगा। यह आपके पाचन तंत्र को बेहतर बनाएगा और यदि आप महिला हैं तो मीनोपाॅज के बाद आए बदलावों को ठीक से हैंडल करने में भी मदद करेगा।
ताड़ासन
ये भी एक सरल आसन है। इसमें आपको शरीर को ऊपर की ओर खींचना होता है। ढलती उम्र में शारीरिक संतुलन को बनाए रखना एक चुनौती है। ताड़ासन इसमें मदद करता है। इस उम्र में शरीर में कई प्रकार के दर्द, सूजन वगैरह होते हैं जो रोज़ाना की ज़िन्दगी को कठिन बनाते हैं। ताड़ासन से जांघें, टखने, हाथ और पेट सभी मजबूत होते हैं। रक्त का अच्छा परिसंचरण होता है। शरीर में एनर्जी बनी रहती है जिसकी इस उम्र में सबसे ज्यादा कमी खटकती है।
तितली आसन
तितली आसन भी आप आसानी से कर सकते हैं। तितली आसन से मोशन ठीक तरह से होता है। यह समस्या भी उम्र के इस दौर में परेशानी का सबब होती है। साथ ही इससे जांघें स्ट्रेच होती हैं। घुटनों और जोड़ों का दर्द भी इससे कम होता है।
कटि चक्रासन
ये आसन बुजुर्गों के लिए बहुत फायदेमंद है। और कठिन भी नहीं है। नियमित अभ्यास से आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी रहेगी और आपका शरीर आगे की ओर झुकेगा नहीं। वृद्धावस्था में बहुत से लोगों में पीठ के आगे की ओर झुकने की समस्या होती है। साथ ही इस आसन से हाथों और पैरों की मांसपेशियों को भी मजबूती मिलेगी। और आपके लिए अपने पैरों पर खड़े रहना संभव होगा। सहारे की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
कुर्सी पोज़
जैसे आप कुर्सी पर बैठते हैं, बस वैसे ही बिना कुर्सी के बैठने का प्रयास होता है कुर्सी पोज़ में। अगर कठिन लगे तो दीवार का सहारा ले लें। बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में आने वाली अकड़न इससे दूर होगी। अंग लचीले रहेंगे। पैरों के दर्द से धीरे-धीरे राहत मिलने लगेगी। ब्लड का फ्लो सुधरेगा। और शरीर का संतुलन भी बेहतर होगा।
त्रिकोणासन
बढ़ती उम्र में कमर और कूल्हों में तकलीफ़ की शिकायतें आम हैं। कई बार अपनी जगह से उठकर खड़े होने में भी जान पर आती है।ऐसी स्थिति में विशेषज्ञ की निगरानी में त्रिकोणासन का अभ्यास करें। इसमें समय लग सकता है लेकिन इन जाम पड़ चुके हिस्सों को खोलने में मदद मिलती है। यही नहीं त्रिकोणासन ब्लडप्रेशर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है।
ये ध्यान रखें कि इस उम्र में जब आप योगासन प्रारंभ कर रहे हों तो किसी ट्रेंड प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही करें। एक महीने में ही आप इन और इन जैसे अनेक आसनों को सीख जाएंगे और इनके नियमित अभ्यास से आगे की ज़िंदगी बेहतर तरीके से जी पाएंगे।