Kawasi Lakhma: रायपुर। बस्तर के सबसे वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री कवासी लखमा को ईडी ने आज गिरफ्तार कर लिया। छत्तीसगढ़ के 2000 करोड़ के शराब स्कैम में कवासी और उनके बेटा हरीश लखमा का नाम आया था।
शराब घोटाले की चार्जशीट में भी ईडी ने कवासी लखमा का जिक्र किया था कि उन्हें हर महीने 50 लाख रुपए मिलते थे। शराब सिंडिकेट में उनके बेटा का भी नाम आया था।
इसके बाद कवासी और उनके बेटे पर कई महीने से गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई थी। पिछले महीने ईडी की जांच में तेजी आई, जब एजेंसी ने कवासी लखमा और उनके बेटे को पूछताछ के लिए बुला लिया।
कवासी ने ईडी को बताया था कि मैं अनपढ़ आदमी हूं, शराब विभाग के अधिकारियों ने जहां कहा, वहां वे दस्तखत कर दिए। कवासी लखमा ने इस बारे में खुद ही मीडिया में बयान दिया था।
जेल जाने की ये रही वजह
कवासी लखमा को एक तरह से कहें तो मंत्री बनना भारी पड़ गया। 2018 में कोंटा विधानसभा सीट से पांचवी बार निर्वाचित होने पर कांग्रेस सरकार में उन्हें आबकारी और उद्योग मंत्री बनाया गया था। उन्हीं के विभाग में छत्तीसगढ़ का सबसे चर्चित शराब घोटाला हुआ। इसमें कवासी और उनके बेटे का भी नाम आया। ईडी को ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिसमें पता चला है कि शराब सिंडिकेट के लोग उन्हें भी हर महीने पैसे देते थे।
छठवीं बार विधायक
शराब घोटाले में नाम आने के बाद सियासी हलकों में चर्चा थी कि कवासी का चुनाव निकालना मुश्किल जाएगा। मगर इसके बाद भी 2023 के विधानसभा चुनाव में वे विजयी हुए। भूपेश बघेल के दो मंत्री चुनाव जीते थे, उनमें कवासी भी शामिल थे।
कवासी लखमा को दादी क्यों कहते हैं
देश में दादी पिताजी की मां को कहा जाता है। कई बार बेहद बुजुर्ग महिला को भी दादी से संबोधित किया जाता है। मगर बस्तर के गोंडी में दादी उसे कहते हैं, जिसे बहुत अधिक प्रेम और सम्मान करें। कवासी पंच से राजनीति शुरू कर लगातार विधायक चुने जाते रहे। सो, उन्हें दादी कहा जाने लगा। बस्तर में उनके अलावा किसी और नेता को दादी नहीं कहा जाता।
जानिये कवासी लखमा के बारे में
कवासी लखमा का जन्म सुकमा जिले के ग्राम नागारास में सन 1953 में हुआ। वे गोंड आदिवासी समाज से आते है और माडिया जाति के है। उनके पिता का नाम स्व. कवासी हिड़मा है। वे पांचवी तक पढ़े है। पर उन्हें पांच भाषाओं का ज्ञान है। उनका विवाह कवासी बुधरी के साथ हुआ है। उनके दो पुत्र व दो पुत्रियां है। उनका व्यवसाय कृषि है।
वे ग्राम नागारास पोस्ट सोना कुकानार, तहसील व जिला सुकमा के रहने वाले है। उन्हें कृषि के अलावा राजनीति, पारंपरिक सामाजिक नृत्य में भी रुचि है। उनके नृत्य का कई बार वीडियो भी वायरल होता है। उन्होंने अपनी राजनीति पंच के पद से शुरू की। दो बार उन्हें सर्वश्रेष्ठ सरपंच पुरस्कार मिला है। उन्होंने आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर की विदेश यात्राएं की है।
सार्वजनिक एवं राजनैतिक जीवन का परिचय
कवासी लखमा ने वार्ड पंच से अपने राजनैतिक सफर की शुरुआत की थी। वे वर्ष 1995-96 में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी सुकमा के अध्यक्ष रहे। 1998 में वे पहली बार कोंटा विधानसभा से विधायक चुने गए। जिसके बाद 2003, 2008, 2013, 2018, 2023 में निरंतर विधायक चुने गए। वे 2001 से 2004 तक छत्तीसगढ़ विधानसभा की याचिका समिति, प्रत्यायुक्त विधान समिति, के सदस्य रहें। 2002 से 2004 तक विधानसभा के सदस्य सुविधा एवं सम्मान समिति रहें। संचालक राज्य आपूर्ति निगम भी बनें। 2002 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस आदिवासी प्रकोष्ठ जिला अध्यक्ष जिला दंतेवाड़ा बने। जिला सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक जगदलपुर के अध्यक्ष भी बने। साल 2004 में सरकारी उपक्रम संबंधी समिति, याचिका समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा के सदस्य बने। 2005दृ2006 तक सदस्य अनुसूचित जाति,जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति में रहें। 2006-2007 में सदस्य महिला एवं बालकों के कल्याण संबंधी समिति छत्तीसगढ़ विधानसभा रहें। 2007दृ2008 में सदस्य प्रत्यायुक्त विधान समिति के सदस्य रहें। 2008 में पीसीसी सदस्य कोंटा बने व लगातार तीन कार्यकाल तक रहें। पीसीसी उपाध्यक्ष भी रहें।
2018 में उन्होंने भाजपा के धनीराम बारसे को हराया। कवासी लखमा को 31 हजार 933 वोट मिले। उनके खिलाफ लड़ रहे भाजपा के धनीराम बारसे को 25224 वोट मिले। राज्य में 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी। कवासी लखमा को भूपेश सरकार ने आबकारी एवं वाणिज्य मंत्री का प्रभार दिया गया था।
कोंटा विधानसभा सुकमा जिले में आती है। यह अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व सीट है। 2023 विधानसभा चुनाव में छठवीं बार भी कवासी लखमा यही से चुनाव मैदान में उतरे थे। उनके खिलाफ भाजपा के सोयम मुका प्रत्याशी थे। कवासी लखमा को 32,776 वोट मिले। जबकि सोयम मुका को 30,795 वोट मिले। कवासी लखमा ने 1981 वोट से चुनाव जीता और छठवीं बार विधायक निर्वाचित हुए। हालांकि, इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने कवासी लखमा को 2024 के लोकसभा चुनाव में बस्तर से अपना प्रत्याशी बनाया। मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा।