नई दिल्ली : 14 फरवरी को वैलेंटाइन्स डे (Valentine’s Day) ही नहीं बल्कि मातृ-पितृ पूजन दिवस (Matru Pitru Pujan Divas) भी मनाया जाता है। जी हां, 14 फरवरी (14 February) सिर्फ प्रेमी-प्रेमिका से ही नहीं बल्कि माता-पिता से भी प्यार जताने का दिन होता है। हिंदू धर्म ने इस मातृ-पितृ को पूजने के इस दिन को लेकर बड़ी ही रोमांचित कहानी है, जिसे आप पहले भी कई बार देख और सुन चुके होंगे।
मातृ-पितृ पूजन दिवस की कहानी
प्रचलित कथा के अनुसार एक बार भगवान शंकर और माता पार्वती के दोनों पुत्र गणेश और कार्तिकेय के बीच होड़ लगी कि, कौन बड़ा है? इस बात का निर्णय लेने के लिए शिव-पार्वती जी ने दोनों से कहा कि जो संपूर्ण पृथ्वी की परिक्रमा करके सबसे पहले यहां पहुंचेगा, उसी को बड़ा माना जाएगा।
ये बात सुन भगवान कार्तिकेय अपने वाहन मयूर लेकर पृथ्वी की परिक्रमा करने निकल पड़े। लेकिन भगवान गणेश चुपके से एकांत में जाकर बैठ गए और सोचने लगे। कुछ देर बाद वो उठे और झट से माता पार्वती और पिता शिव के पास जाकर हाथ जोड़कर बैठ गए। भगवान गणेश ने दोनों की आज्ञा लेकर अपने माता-पिता को ऊंचे स्थान पर बिठाया, उनके चरणों की पूजा की और परिक्रमा करने लगे।
एक-एक कर भगवान गणेश ने अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा की। ये सब देख माता -पार्वती ने पूछा: वत्स! ये प्रदक्षिणाएँ क्यों की? इस पर गणेश ने जवाब दिया …सर्वतीर्थमयी माता… सर्वदेवमयो पिता… यानी सारी पृथ्वी की परिक्रमा करने से जो पुण्य होता है, वही पुण्य माता की परिक्रमा करने से हो जाता है। पिता का पूजन करने से सब देवताओं का पूजन होता है क्योंकि पिता देवस्वरूप हैं, यह शास्त्रवचन है।
कैसे मनाएं मातृ-पितृ पूजन दिवस?