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mental health apps:-
मानसिक परेशानी, ऐसी स्वास्थ्यगत परेशानी, जो शुरुआती दौर में समझ नहीं आती लेकिन रोगी को अंदर ही अंदर खा डालती है। वह खुद को ही समझ नहीं पाता। दोष भी देता है खुद को कि बाकी लोग भी तो अपनी-अपनी तरह के कठिन हालातों से जूझ रहे हैं फिर वह खुद को हैंडल क्यों नहीं कर पा रहा। ऐसा व्यक्ति घरवालों और दोस्तों से बात करते भी हिचकता है कि कहीं लोग उसके बारे में गलत राय न बना लें, और स्पष्ट शब्दों में उसे मानसिक रोगी ही न समझ लें। लेकिन अब चीजें बदल रही हैं। अब ऐसे बहुत से मैंटल हेल्थ ऐप्स मौजूद हैं जिन्हें डिप्रेशन के दौर से बाहर आने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
मेंटल हेल्थ ऐप्स और वेबसाइट्स का सबसे बड़ा एडवांटेज यह है कि इनके जरिए कोई भी व्यक्ति स्मार्टफोन या कंप्यूटर का इस्तेमाल करके, जहां है वहीं बैठे-बैठे एक्सपर्ट गाइडेंस और काउंसलिंग का लाभ ले सकता है। कोरोना संक्रमण से उबर जाने के बाद भी बहुत से लोग मानसिक तनाव, डिप्रेशन से अब तक जूझ रहे हैं। जानते हैं कुछ ऐसे ऐप्स के बारे में, जो मानसिक परेशानी दूर करने में मददगार हो सकते हैं-
* योर दोस्त- यह एक ऐसा वेब पोर्टल है, जो मानसिक तनाव और परेशानी से गुज़र रहे लोगों की मदद के लिए 24 घंटे मुस्तैद रहता है। योरदोस्त एक वेबसाइट के साथ ही साथ एंड्रॉयड ऐप के तौर पर भी मौजूद है, जिसे कोई भी अपने मोबाइल में इंस्टाल करके सहायता ले सकता है। खास बात यह है कि इस प्लेटफॉर्म पर 900 से ज्यादा मनोवैज्ञानिक या काउंसलिंग एक्सपर्ट्स मौजूद हैं, जो लोगों को हर तरह के मुश्किल मानसिक हालात से उबरने में मदद कर सकते हैं।
*जंपिंग माइंड्स- यह एक मेंटल हेल्थ एंड वेलनेस एप है। इसके साथ स्मार्ट बॉट, सेल्फ केयर टूल आदि का सपोर्ट मिलता है। यदि कोई किसी कारण से तनाव से गुजर रहा है तो यह एप उसकी काफी मदद कर सकता है। इसके यूजर्स की संख्या एक अरब से भी अधिक है।
*इवाल्व- यह भी एक मेंटल हेल्थ एप है। इसका इंटरफेस काफी बढ़िया बनाया गया है ताकि यूजर्स को एक सूकून मिले। इसके कंटेंट मेंटल थेरेपी में काफी मदद करते हैं। इस एप को एक लाख से अधिक यूजर्स इस्तेमाल कर रहे हैं। कोरोना के दौरान लोगों के अकेलेपन को ध्यान में रखते हुए इसमें कंटेंट अपलोड किए गए थे।
*बीइंग- डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक करीब 8 बिलियन लोग मानसिक परेशानी, तनाव से जूझ रहे हैं। इनमें से 60 फीसदी लोगों को मेंटल हेल्थकेयर की जरूरत है। यह एप यूजर्स को सेल्फ थेरेपी की सुविधा देता है। इस एप का मकसद 2030 तक एक अरब लोगों की मदद करने का है।
*एमपावर माइंड्स- यह वेबपोर्टल भी लोगों को मनोवैज्ञानिक सलाह और काउंसेंलिंग देने का काम करता है। एमपावर से जुड़े मनोवैज्ञानिक साइको-एजुकेशनल इवैल्युएशन यानी मनोवैज्ञानिक-शैक्षणिक मूल्यांकन, पेरेंटिंग से जुड़ी काउसेंलिंग और कपल काउंसेलिंग का काम भी करते हैं। इसके अलावा यहां म्यूज़िक थेरेपी, स्पीच थेरपी और ऑक्युपेशनल थेरेपी जैसी सेवाएं भी मौजूद हैं।
एमपावर पर एक सपोर्ट ग्रुप भी बना है, जिसके जरिए एक जैसी परेशानियों का सामना कर रहे लोग आपस में जुड़कर एक-दूसरे के अनुभवों से लाभ उठा सकते हैं। अनुभवी सायकॉलजिस्ट की एक बड़ी टीम एमपावर की बड़ी खासियत है।
*इमोशनली- यह एक ऐसा ऑनलाइन काउंसलिंग प्लेटफॉर्म है, जिसका मकसद मानसिक तनाव का सामना कर रहे उन लोगों को प्रोफेशनल हेल्प मुहैया कराना है, जो अब तक इससे वंचित हैं. यह वेबसाइट मुफ्त इमोशनल चेक-अप की सुविधा मुहैया कराती है।
*थिंकराइटमी और माइंडहाउस ऐप-ये दो ऐसे मोबाइल ऐप हैं, जो लोगों को मेडिटेशन और माइंडफुलनेस जैसी टेकनीक के जरिए ज्यादा स्वस्थ, पॉजिटिव और प्रसन्न बनाने का प्रयास करते हैं।इन दोनों ही ऐप्स का योगा और मेडिटेशन पर खास जोर है। जिसके जरिए तनाव, बेचैनी, दुख, डर और क्रोध जैसी भावनाओं को शांत करके लोगों को मानसिक शांति, आत्मविश्वास और खुशी का अनुभव कराना है।इसके लिए मेडिटेशन के साथ ही साथ सेल्फ हीलिंग, म्यूजिक थेरेपी और बेहतर नींद लेने के तरीकों के बारे में सिखाया जाता है
थिंकराइटमी ऐप में बेहतर फिटनेस और पॉजिटिव सोच के जरिए डिप्रेशन और नकारात्मक सोच को दूर करने के तरीके बताए जाते हैं। इन ऐप के माध्यम से लोगों को कामकाजी जिंदगी से जुड़े तनावों को दूर करने की टिप्स भी दी जाती हैं।
इस तरह के और भी बहुत से मैटल हेल्थ ऐप्स हैं, जिन्हें गूगल प्ले पर जाकर, अपनी समस्या के हिसाब से चुन कर डाउनलोड किया जा सकता है।
*क्या है स्मार्टबाॅट या चैटबाॅट- कुछ मैंटल हेल्थ ऐप्स पर आपको स्मार्ट बाॅट या चैटबॉट भी मिलता है। ये एक कंप्यूटर प्रोग्राम है जो किसी मोबाइल एप्लीकेशन पर मौजूद होता है। इसे तनाव से ग़ुज़र रहे लोगों से बात करने के लिए बनाया गया है। इसे बनाने वाली कंपनी का दावा है कि ये बॉट एंग्ज़ाइटी और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों की तकलीफ़ कम करने में मदद कर सकता है। चैटबॉट शब्द का अर्थ है चैट करने वाला एक बॉट – यानी रोबोट जो आपसे बातें कर सकता है।
इन्हें इस तरीके से प्रोग्राम किया गया जाता है कि आपकी बातों को समझ सके और उसका जवाब दे सके।
आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस टेक्नॉलॉजी की मदद से ये ख़ुद से सीखता है और अपने आप को बेहतर बनाता है। आमतौर पर डिप्रेशन के मरीजों को किसी से बात करने, अपनी परेशानी साझा करने में दिक्कत होती है। मशीनों के साथ यह दिक्कत नहीं है, आप उन्हें कुछ भी कह सकते हैं, वो आपको लेकर कोई राय नहीं बना सकते। उन्हें इस तरह से प्रोग्राम किया जाता है कि जब वो आपसे बात करें तो आपको लगे कि कोई आपकी बातों को ध्यान से सुन रहा है और आपको सही सलाह दे रहा है। ये बाॅट एक तरह से ऐसे मरीजों का दिल बांटने का सहारा बनते हैं।
हालांकि उपयोगकर्ताओं का कहना है कि मरीज यदि अधिक परेशान है और क्लीनिकल डिप्रेशन की स्थिति में है तो उसके लिए मोबाइल उठाकर, ऐप खोलना और चैटबॉट से बात करना कठिन होता है। उस स्थिति में उसे डाॅक्टर की ही ज़रूरत है। हाँ, लेकिन ये बाॅट एंग्ज़ाइटी और मामूली डिप्रेशन की स्थिति में उपयोगी हो सकते हैं।
क्रिकेट खिलाड़ी विराट कोहली से लेकर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण तक ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि वे डिप्रेशन के शिकार थे। इस मानसिक स्थिति को झेलना और उससे बाहर आना काफी कठिन होता है। इसलिए यदि आप भी खुद की पीड़ा को अंदर ही अंदर दबा रहे हैं तो संकोच छोड़ दीजिए। मेंटल हेल्थ ऐप्स की मदद लेने और अधिक परेशानी होने पर मनोरोग विशेषज्ञ से मिलने और समस्या का समाधान करवाने में देर मत करिए।