Ops NEWS: बिलासपुर ।प्रदेश में पुरानी पेंशन के जैसे लाभ अनेक है वैसे ही इसमें विसंगतियां भी अनेक है। इन्हीं विसंगतियों को सामने लाकर शासन का ध्यान आकर्षित कर सुधार की उम्मीद में प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा गणना की मांग को लेकर पुरानी पेंशन योजना संघर्ष मोर्चा दिन प्रतिदिन आकार ले रहा है।
Ops news।इस मोर्चे की दूसरी बैठक के बाद मोर्चे के गठन के कुछ पहलुओं पर चर्चा करते हुए शिक्षक नेता रंजीत बनर्जी ने बताया कि हम 1998 से सेवा दे रहे है। 2012 से हमारा एनपीएस कट रहा है। 2018 हमारा स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन मानते हुए अब 2018 से ही पेंशन प्रकरण शुरू किया जा रहा है। बाकी की सेवा शून्य और 2012 से 2018 के बीच का एनपीएस का भी कोई हिसाब किताब और लेन देन भी अभी तक स्पष्ट नहीं है।इसलिए मजबूर हमको एक बार फिर बड़े संघर्ष की राह चुनने को मजबूर होना पड़ रहा है।
रंजीत बनर्जी का कहना है कि कर्मचारी जगत में पुरानी पेंशन को बुढ़ापे का सहारा कहा जाता है। 2004 के बाद यही बुढ़ापे का सहारा शेयर बाजार की किस्मत पर आश्रित हो गया था। समय बदला राज्य के कर्मचारियों की किस्मत बदली विधानसभा में 9 मार्च 2022 को चौथा बजट पेश करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन योजना लागू करने की घोषण की और प्रदेश के इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करा लिया।
होली के समय राज्य के कर्मचारियों की दिवाली हो गई। अपनी खुशियों का इजहार करने के लिए राज्य के बहुत से कर्मचारियों ने साल दो साल के खुशियों के फटाके जमा कर लिए। जिसमे अधिकांश चार महीने में ही फुस्स हो गए। और इन फुस्स फाटकों से निकला हुआ धुंआ उन्हे तकलीफ दे रहा है जो अपना एनपीएस 2012 से कटा रहे है। और इससे पूर्व सेवा दे रहे है।
शिक्षक नेता रंजीत बनर्जी बताते है कि पुरानी पेंशन संघर्ष मोर्चा की बैठको में यह बात उभर कर आई की छत्तीसगढ़ राज्य में 01/04/2022 से लागू पुरानी पेंशन योजना पेंशन एक समस्या अनेक है। उनका कहना है कि पुरानी पेंशन लागू का आदेश विसंगति पूर्ण है जिसमे कब से लागू किया जाएगा किन कर्मचारियों पर लागू होगा इसका जिक्र नहीं है। 1998से कार्यरत शिक्षाकर्मी संवर्ग जिनका संविलियन 01/07/2018 में हुआ उनको पुरानी पेंशन का लाभ संविलियन तिथि से दिया गया जबकि प्रथम नियुक्ति से देना था।
वे कहते है कि पुरानी पेंशन के दायरे में आने के लिए 10 वर्ष की सेवा की अनिवार्यता की गई। 2018 में संविलियन हुए लगभग 9000 शिक्षक इसके दायरे से बाहर हो गए क्योंकि वे शिक्षक 2028 से पूर्व सेवानिवृत हो जायेंगे। यही नहीं एनपीएस में कटौती 2012 से शुरू की गई जिसे 2022 में बंद कर दी गई।अब उसने जमा राशि सेवानिवृत होने या दिवंगत होने पर ही वापस मिलेगी।
रंजीत ने बताया कि केंद्र सरकार 20 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर पूरा पेंशन (50%वेतन) देती है जबकि राज्य सरकार 30 साल की सेवा अवधि को पूर्ण पेंशन देगी। जो सबके लिए संभव नहीं है। हमारी सेवा कम होने से एलबी संवर्ग का एक बड़ा वर्ग 15 से 18 साल ही सेवा देंगे। बहुत ही कम लोग 30 साल की सेवा पूरी कर पाए।आज आलम यह है कि पुरानी पेंशन लागू होने के पूर्व दिवंगत या सेवानिवृत्ति हुए कर्मचारी को पुरानी पेंशन का लाभ देने का नियम जटिल होने के कारण लाभ से वंचित है।
रंजीत बनर्जी का कहना है कि पुरानी पेंशन लागू होने के बाद यदि कोई कर्मचारी दिवंगत हो जाता है तो परिवार पेंशन का प्रकरण तभी स्वीकार होगा जब NSDL कर्मचारी अंशदान राज्य अंशदान और ब्याज की राशि कर्मचारी के नॉमिनी को वापस होगी।नॉमिनी द्वारा राज्य अंशदान और उसमे प्राप्त ब्याज राजकोष में वापस जमा करेगा तब आश्रित को पीपीओ जारी होगा।कर्मचारी उपादान,अवकाश नकदीकरण का लाभ,समूह बीमा का लाभ इसके बिना नही मिल सकता।अभी राज्य में लगभग 900 कर्मचारी जो दिवंगत हुए है उनके परिवार इस नियम के कारण दर दर की ठोकर खा रहे है।
मोर्चा के नेता रंजीत का कहना है कि आज एनपीएस कटौती बंद करके पुरानी पेंशन के अनुरूप CGPF खाता 01/04/2022 से क्रियाशील है। जिसमे 12%वेतन से कटौती करके राशि जमा हो रही है।इस खाते का पासबुक संधारित नही किया जा रहा है।प्रदेश के सभी आहरण अधिकारी की जिम्मेदारी है की वे अपने मातहत कर्मचारी का CGPF पासबुक प्रतिवर्ष एक अप्रैल को अद्यतन कर संधारित करे पर ये भी सभी जिलों में नही हो रहा है।
शिक्षक नेता ने बताया कि ये पुरानी पेंशन से जुड़े प्रमुख बिंदु है इसे सुलझाए बिना लोक कल्याणकारी राज्य में कर्मचारियों के जुडी लोक कल्याण की बाते करना बेमानी सा लगाता है।इसलिए पुरानी पेंशन संघर्ष मोर्चा अब एक बड़े स्तर पर अपनी बात रखने की तैयारी कर रहा है।