Raigarh news। रायगढ़ के खरसिया ब्लॉक में पदस्थ प्रधानपाठिका की हैवानियत सामने आई हैं। इंसानियत को दागदार बनाने वाले इस वाकये में समाज को दिशा देने वाली एक शिक्षिका ने चार साल की बच्ची को 4 दिनों से अपने घर के बाथरूम में बिना खाना- पानी दिए बंद करके रखा था। पड़ोसियों की सूचना पर पहुंची बाल संरक्षण विभाग व पुलिस की टीम ने महिला प्रधानपाठिका के घर जाकर रात 12 बजे बच्ची को रेस्क्यू किया। बच्ची काफी डरी हुई हालत में थी और लगातार रो रही थी। जिसके बाद प्रधानपाठिका पर कार्यवाही के लिए बाल संरक्षण विभाग पुलिस व शिक्षा विभाग को प्रतिवेदन भेज रहा हैं।
मिली जानकारी के अनुसार खरसिया के सिंचाई कॉलोनी निवासी शासकीय शिक्षिका आशा अग्रवाल द्वारा एक चार वर्षीय मासूम बच्ची को प्रताड़ित करते हुए पिछले 4 दिनों से बाथरूम में बंद करके रखा गया था। साथ ही इस दौरान शिक्षिका बच्ची को ना तो भोजन देती थी ना ही पानी देती थी। जिससे बच्ची काफी डरी हुई थी। इसकी जानकारी जब कॉलोनी वासियों को हुई तो उन्होंने खरसिया के परियोजना अधिकारी को इसकी जानकारी दी। जिसके बाद खरसिया के परियोजना अधिकारी ने खरसिया थाना प्रभारी और रायगढ़ चाइल्डलाइन को इसकी जानकारी दी। इसके बाद गुरुवार रात को 12 बजे चाइल्डलाइन के परियोजना अधिकारी वह पुलिस की टीम ने शिक्षिका के घर रेड मारकर बच्ची को रेस्क्यू किया। जब बच्ची को शिक्षिका की कैद से निकाला गया तो वह काफी डरी हुई थी। बीते करीब 4 दिन से उसे न तो खाना दिया जा रहा था न ही पानी दिया जा रहा था। उसे तेज भूख- प्यास लगी थी। बच्ची लगातार रोए जा रही थी। चाइल्ड लाइन के अधिकारियों ने उसे पुचकार कर खाना खिलाया और पानी पिलाया। जिसके बाद उसने रो-रोकर बताया कि शिक्षिका आशा अग्रवाल उसे 4 दिन से किस तरह से प्रताड़ित कर रही थी। बताया जा रहा है कि यह बालिका पिछले 2 वर्ष से शिक्षिका आशा अग्रवाल के खरसिया स्थित घर में रह रही थी। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार बच्ची विश्रामपुर की रहने वाली है। यह शिक्षिका आशा अग्रवाल के पास कैसे पहुंची और उसके माता पिता कौन है? इस बात की जानकारी जुटाई जा रही है। शिक्षिका के घर में बच्ची 2 साल से थी इस बीच कई बार आशा अग्रवाल उससे मारपीट करने के साथ ही सजा के तौर पर उसे बाथरूम में कैद कर देती थी। इस दौरान उसे ना तो पानी दिया जाता था न हीं भोजन। ऐसे में मासूम बालिका लगातार रोते रहती थी। बताया जा रहा है कि शिक्षिका का जब बाहर जाती थी तब भी बच्ची कहीं भाग न जाए इसके लिए वह बच्ची को बाथरूम में बंद कर देती थी।
इस संबंध में रायगढ़ जिले के बाल संरक्षण अधिकारी दीपक डड़सेना ने बताया कि शिक्षिका आशा अग्रवाल के यहां से एक 4 वर्षीय बच्ची को रेस्क्यू किया गया है। 8 वर्ष पहले भी इस शिक्षिका के यहां से एक बच्ची को रेस्क्यू किया गया था। शिक्षिका के इस अमानवीय कृत्य पर एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस विभाग को पत्र लिखा जा रहा है। इसके अलावा शिक्षा विभाग को भी शिक्षिका पर कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन भेजा जा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार शिक्षिका आशा अग्रवाल खरसिया ब्लॉक के बांसमुड़ा प्राइमरी स्कूल में प्रधान पाठिका है। खरसिया के बीईओ देवांगन ने बताया कि पुलिस एवं बाल संरक्षण विभाग से प्रतिवेदन आने पर डीईओ को कार्यवाही के लिए प्रतिवेदन भेजा जाएगा। बताया जा रहा है कि करीब 8 साल पहले भी आशा अग्रवाल के घर से एक नाबालिग बच्चे को रेस्क्यू किया जाए जा चुका है। शिक्षिका आशा अग्रवाल ने उस वक्त 6 वर्षीय एक बच्ची को घर में काम करने के लिए बंधक बनाकर रखा था। जिसे वह बेइंतेहा प्रताड़ित करती थी। सूचना पर उसे रेस्क्यू कर रायगढ़ लाया गया था। पर शिक्षिका पर विभागीय व पुलिस की कोई कड़ी कार्यवाही नहीं होने के चलते उसके हौसले बुलंद थे। अब दूसरी बार हुआ है कि शिक्षिका के घर से फिर से एक 4 वर्षीय बालिका को रेस्क्यू कर लाया गया।
बताया जा रहा है कि जब 2 वर्ष पहले शिक्षिका ने विश्रामपुर से बच्ची को लाया तब उसकी उम्र 2 वर्ष की थी। तब उसकी देखभाल के लिए घर में शिक्षिका ने एक नौकर रखा था। अब यह सवाल खड़ा हो रहा है कि इतनी छोटी बच्ची को किस लिए लाया गया था। इस संबंध में जब शिक्षिका के पति से पूछताछ की गई तब वह भी बच्ची के संबंध में कुछ भी नहीं बता पा रहा था। जिसके चलते उसके पति के खिलाफ भी एफआईआर के लिए बाल संरक्षण विभाग पुलिस को पत्र लिख रहा है।