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Rajyog Kundli in Hindi: कब होता है कुंडली में राजयोग? कैसे पता करें, जानिए क्या आपकी कुंडली में है राजयोग…

Rajyog Kundli in Hindi: कब होता है कुंडली में राजयोग?: कोई भी मनुष्य अपना भविष्य जानने के लिए हस्तरेखा, ज्योतिष और कुंडली का सहारा लेता है। किसी भी मनुष्य की कुडंली देखने पर भूत, भविष्य और वर्तमान का पता लगाया जा सकता है। बशर्तें कुंडली सही हो। जन्म कुण्डली का जातक के भविष्य को देखने में अपना महत्व है। ग्रहों की विशेष परिस्‍थिति कुंडली में यह योग बनाती है। राजयोग होने पर व्‍यक्‍ति तमाम वैभव और सुख को भोगता है। जानिए कौन से ग्रह कब बनाते हैं कुंडली में राजयोग।

अच्छे कर्म करने पर अच्छा भाग्य का साथ मिलता है जिससे जीवन में हमेशा सफलता प्राप्त होती है। ज्योतिशास्त्र के अनुसार अगर जन्म कुंडली के नौवें और दसवें भाव में शुभ ग्रह मौजूद रहते हैं तो व्यक्ति की कुंडली राजयोग वाली कुंडली मानी जाती है। राजयोग से मतलब व्यक्ति को राजा के सामान सभी तरह की सुख-सुविधा मिलती है।

जिन जातकों की कुंडली में राजयोग बनता है वे अपने जीवन में अपार सफलताएं, धन-दौलत, मान-सम्मान और उच्च पद हासिल करते हैं। कुंडली में राजयोग बनने पर व्यक्ति राजनेता,प्रशासनिक अधिकारी, धनी और कला के क्षेत्र में अच्छा नाम बनाता है। राजयोग का निर्माण तब होता है जब किसी जातक की लग्न कुंडली में शुभ ग्रह मौजूद हों

कुंडली में राजयोग का फल

कुंडली में चंद्रमा ग्यारहवें घर में और गुरु तीसरे घर में स्थित होने पर राजयोग बनता है। इस योग को लेकर पैदा हुआ व्यक्ति राजा के समान होता है। यह अपने समाज में प्रसिद्धि प्राप्त करता है और धन संपन्न होता है। इस तरह कुंडली के पांचवें घर में बुध और दसवें घर में चंद्रमा होने पर राजयोग का फल प्राप्त होता है।

कुंडली में राजयोग का फल

किसी व्‍यक्‍ति की जन्म कुण्डली में केन्द्र के स्वामी ग्रह का त्रिकोण स्वामी ग्रह से किसी भी रूप में संबंध हो तो राजयोग बनता है।

किसी जातक की जन्म कुण्डली में 9वें भाव का स्वामी ग्रह 10वें भाव में स्थित हो तो 10वें भाव का स्वामी ग्रह 9वें भाव में हो तो भी यह योग बनता है।

किसी जातक की जन्म कुण्डली में 9वें भाव में 9वें भाव का स्वामी ग्रह एवं 10वें भाव में 10वें भाव का स्वामी ग्रह स्थित हो अथवा दोनों में एक ग्रह अपने स्वामी भाव में स्थित हो तो यह योग बनाता है।

कुंडली में राजयोग का फल

किसी जातक की जन्म कुण्डली में दो या तीन ग्रह उच्च राशि, स्वराशि, मित्र राशि अथवा नवमांश में शुभ भावों में स्थित हों तो भी राजयोग बनाता है।

किसी जातक की जन्म कुण्डली में लग्न भाव से अथवा चन्द्रमा की स्थिति से षष्टम, सप्तम अथवा एवं भावों में बुध, गुरू एवं शुक्र तीनों ग्रह स्थित हों तो शुभ राजयोग बनता है।

राजयोग से धार्मिक क्षेत्र में सफलता

कुंडली में अगर गुरु बृहस्पति चंद्रमा से केन्द्र भाव में हो और किसी क्रूर ग्रह से संबंध नहीं रखता हो तो कुंडली में गज-केसरी राजयोग बनता है। इस राजयोग के कारण व्यक्ति धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में कामयाबी हासिल करता है। ऐसे व्यक्ति सरकारी सेवाओं में उच्च पद पर बैठते हैं।

राजयोग से भौतिक सुख

कुंडली में जब केन्द्र भावों का संबंध त्रिकोण भाव से हो तो ऐसी स्थिति में पाराशरी राजयोग का निर्माण होता है। दशावधि में इस योग के प्रभाव से आप धनी और समृद्धिशाली बनेंगे। आपके पास दौलत, शौहरत, गाड़ी, बंगला आदि सारी चीज़ें होंगी।

राजयोग से जीवन का हर सुख

कुंडली में जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी उसे देख रहा हो या फिर जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी स्वगृही होकर युति संबंध बना रहा हो तो नीच भंग राजयोग का सृजन होता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में ये योग होता है वह एक राजा के समान जीवन व्यतीत करता है।

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