Ramcharitmanas Ki Shiksha :अभी चैत्र नवरात्रि चल रही है और 30 मार्च को रामनवमी के साथ इसका समापन होगा। रामनवमी के दिन भगवान राम का जन्म हुआ था । श्रीराम जी मर्यादा पुरुषोत्तम जी के जीवन से हमे आदर्षों पर चलने का पाठ मिलता है। रामचरित मानस एक ऐसा ग्रंथ है जिसमें भगवान राम और रामायण दोनों की ही शिक्षाएं हैं। ये शिक्षाएं कुछ ऐसी हैं कि जो व्यक्ति इनपर अमल करता है उसका जीवन शुद्ध, परिष्कृत और सहज हो जाता है।
कहते हैं कि शास्त्रीय बातों का जो मनुष्य अक्षरशः पालन करता है उसके जीवन में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं आती है। रामचरित मानस में तुलसीदास जी ने लिखा है कि कुछ ऐसे लोग हैं जो अपने जीवन में कभी भी अमीर नहीं बन पाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि शास्त्रों में कुछ ऐसी बताई गईं हैं जिसे करना बेहद अशुभ होता है। इतना ही इन निषिद्ध कामों को करने से व्यक्ति के जीवन में दरिद्रता का साया मंडराता रहता है। मेहनत तो हम सभी करते हैं लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जिनके पास कभी धन नहीं ठहर सकता। जानते हैं कौन हैं
• वो लोग जिन पर धन की देवी लक्ष्मी की कृपा कभी नहीं बरसती।रामचरित मानस के अनुसार वे लोग जो हर समय नशे में रहते हैं, जो मादक पदार्थों का सेवन करते हैं उनका सारा धन अपनी इसी आदत को पूरा करने में व्यर्थ हो जाता है और उनके ऊपर कभी देवी लक्ष्मी की कृपा नहीं होती,ऐसे लोग कभी अमीर नहीं बन सकते।
• ऐसे लोग जो अपने जीवनसाथी के साथ धोखा करते हैं वे लोग कभी भी धनी नहीं बन सकते क्योंकि वे पति या पत्नी से छिपाकर अपने धन को अन्य लोगों पर खर्च करते हैं जो कि सही नहीं होता। मृत्यु के बाद ऐसे लोग नर्क की प्राप्ति करते हैं।
• ग्रंथों में ऐसा लिखा है कि जो धन का ज्यादा लालच करता है, जो हमेशा धन के पीछे भागता रहता है वह कभी धन प्राप्त नहीं कर पाता। उसकी तलाश अधूरी ही रह जाती है।
• जिनके अंदर भरपूर घमंड होता है, जो दूसरे लोगों को सम्मान देना नहीं जानते, जो खुद को औरों से ऊपर मानते हैं वे लोग कभी भी धन एकत्र नहीं कर सकते क्योंकि वो लोग घमंड की वजह से किसी से मेलजोल नहीं रख पाते।
• ऐसा कहा जाता है कि जो लोग दूसरों की नौकरी करते हैं, वे कभी अपने सपने पूरे नहीं कर पाते, वे कभी अपने लिए धन नहीं जोड़ पाते। वे बस धन कमाते रहते हैं, उसे एकत्र नहीं कर पाते।वैसे आजकल तो हम सभी नौकरीपेशा ही हैं, लेकिन अगर इसके अलावा आपके भीतर कोई और आदत भी है तो उसे तुरंत त्याग दीजिए।
रामचरित मानस की चौपाइयों का पाठ करें
• रामायण मानव जीवन जीने का मार्ग दिखाती है। रामनवमी के दिन रामचरित मानस की चौपाइयों का पाठ करना चाहएि। इन चौपाइयों को अग इस दिन के अलावा रोज जाप करने जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती। यानी ये चौपाइयां घर परिवार में खुशहाली लाती है।
• अग आप भी इन चौपाईयों का असर देखना चाहते है तो नवरात्रि से इनका जाप शुरू कर सकते हैं।
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श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।।
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जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए।।
भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहि सुख बारी।।
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रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई।।
मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती।।
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कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती।।
सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी।।
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मुदित मातु सब सखीं सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली।।
राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ।।
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सब कें उर अभिलाषु अस कहहिं मनाइ महेसु।
आप अछत जुबराज पद रामहि देउ नरेसु।।
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एक समय सब सहित समाजा। राजसभाँ रघुराजु बिराजा।।
सकल सुकृत मूरति नरनाहू। राम सुजसु सुनि अतिहि उछाहू।।
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नृप सब रहहिं कृपा अभिलाषें। लोकप करहिं प्रीति रुख राखें।।
वन तीनि काल जग माहीं। भूरिभाग दसरथ सम नाहीं।।
• मंगलमूल रामु सुत जासू। जो कछु कहिअ थोर सबु तासू।।
रायँ सुभायँ मुकुरु कर लीन्हा। बदनु बिलोकि मुकुटु सम कीन्हा।।
• चौपाई 8-
श्रवन समीप भए सित केसा। मनहुँ जरठपनु अस उपदेसा।।
नृप जुबराजु राम कहुँ देहू। जीवन जनम लाहु किन लेहू।।