राजनांदगांव। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाने के एवज में निजी विद्यालयों को छात्र संख्या के आधार पर प्रतिपूर्ति राशि दी जाती है। नियम के मुताबिक सरकारी जमीन पर संचालित विद्यालय इस प्रतिपूर्ति राशि का हक़दार नहीं होता, मगर कई निजी विद्यालय गलत जानकारी देकर सरकार से अब तक करोड़ों रुपयों की प्रतिपूर्ति राशि हासिल कर चुके हैं। उनके इस कृत्य में जिला शिक्षा अधिकारी और उनके स्टाफ की मिलीभगत के भी आरोप लग रहे हैं।
ताजा मामला राजनांदगांव स्थित वाइडनेयर स्कूल, लालबाग का है, जिसके खिलाफ छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने दस्तावेजी सबूत के साथ कलेक्टर और एसपी से शिकायत की है, और मांग की है कि शिकायत की जांच करते हुए दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज कराया जाये और राशि की वसूली की जाये।
शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 12(2) में यह स्पष्ट उल्लेख है कि सरकारी जमीन में संचालित प्रायवेट स्कूलों को शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) के अंतर्गत प्रतिपूर्ति राशि फीस प्राप्त नहीं होगा, वे प्रतिपूर्ति राशि के हकदार नही होगे।
वाइडनेयर स्कूल, लालबाग जिला राजनांदगांव जो सरकारी जमीन / राजगामी सम्पदा की जमीन में संचालित है। संस्था संचालक द्वारा इस जानकारी को छिपाकर RTE के अंतर्गत जरूरतमंद बच्चों को अपने स्कूल में पढ़ाने के एवज में जिला शिक्षा अधिकारी, राजनांदगांव से आरटीई प्रतिपूर्ति राशि की मांग की जाती रही है। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा भी तथ्यों की जानकारी हासिल किये बिना उन्हें प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान भी किया जाता रहा है, जो वित्तीय अनियमितता है, और शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 12(2) का उल्लंघन है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल द्वारा बताया गया कि वाइडनेयर स्कूल, लालबाग जिला राजनांदगांवराजगामी संपदा न्यास की भूमि को स्वयं की संपत्ति बता कर अनुमति मान्यता और मान्यता नवीनीकरण भी ले लिया गया, और DEO सब कुछ जानकर भी अनजान बने रहे। वहीं अब तक संस्था ने प्रतिपूर्ति राशि के नाम पर लगभग एक करोड़ चालीस लाख रूपये सरकार से हासिल कर लिए हैं।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने इस मामले की शिकायत पहले कलेक्टर से फिर पुलिस अधीक्षक से की है। संस्था की मांग है कि वाइडनेयर स्कूल, लालबाग जिला राजनांदगांव को वर्ष 2011 से लेकर वर्ष 2020 तक दिए गए आरटीई प्रतिपूर्ति राशि फीस की वसूली किया जावे और दोषियों पर प्राथमिकी दर्ज कराइ जाये।
राजनांदगांव जिले सहित दुर्ग, कवर्धा, बेमेतरा और अन्य स्थानों पर पूर्व के राजघराने की सैकड़ों एकड़ जमीनों के अलावा करोड़ों की चल-अचल संपत्ति मौजूद है। दस्तावेजों में उल्लेख है कि रानी सूर्य मुखी के निधन के बाद सरकार ने सन 1989 में राजगामी सम्पदा ट्रस्ट का पंजीयन करा दिया, जिसकी देखरेख सरकार के प्रतिनिधि और जनप्रतिनिधि करते हैं।
सूचना के अधिकार के तहत छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने जो दस्तावेज हासिल किये हैं, उसके मुताबिक राजगामी सम्पदा की जमीन किसी को हस्तांतरित किये जाने का नियम नहीं है, बावजूद इसके वाइडनेयर स्कूल सहित लगभग 16 संस्थाओं को मिलीभगत करके जमीनें हस्तांतरित कर दी गईं हैं। इनके प्रकरण भी फैसले के लिए शासन के पास बरसों से पेंडिंग हैं।
बहरहाल शिकायत वाइडनेयर स्कूल को लेकर है, जिसके ऊपर RTE की प्रतिपूर्ति राशि को गलत तरीके से गबन किये जाने के आरोप लगे हैं। जिसकी जांच की जाये तो स्कूल प्रबंधन सहित शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर आंच आना तय है।
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