नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही नई संसद का उद्घाटन करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई संसद का उद्घाटन करने के लिए लोक सभा सचिवालय और भारत सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी.
याचिका में कहा गया था कि संसद भारत का सर्वोच्च विधायी निकाय है. भारतीय संसद में राष्ट्रपति और दो सदन (राज्यों की परिषद) राज्यसभा और जनता का सदन लोक सभा शामिल हैं. राष्ट्रपति के पास किसी भी सदन को बुलाने और सत्रावसान करने की शक्ति है. साथ ही संसद या लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी राष्ट्रपति के पास है.
नई संसद के उद्घाटन के मुद्दे पर छिड़ा घमासान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे. इस पर जमकर सियासत हो रही है. तमाम विपक्षी दल केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं. विपक्षी दलों का कहना है कि देश की संसद का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों होना चाहिए, प्रधानमंत्री के हाथों नहीं. इतना ही नहीं अब तक 21 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह के बायकॉट का ऐलान भी किया है. हालांकि, एनडीए के घटक समेत 25 दलों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने का ऐलान किया है.