विशेष संवादाता
रायपुर। कांग्रेस के आठ वरिष्ठ नेताओं के बीच मुख्यमंत्री निवास में हुई अकस्मात् बैठक किसी बदलाव के लिए नहीं बलकि कांग्रेस को आगामी विधानसभा के लिए एकजुट और मजबूत करने वाली रही। सिर्फ 8 लोगों को ही इस बैठक की खबर होने की वजह से पार्टी हलकों में कश्मकश थी। जिन्हें बैठक से लौटा दिया गया उन नेताओं ने भी रायता फैलाया और कांग्रेस प्रभारी की बैठक को बदलाव का संकेत समझकर हल्ला मचा दिया। हालांकि कुमारी सेलजा की यह बैठक 8 वरिष्ठों से पूर्व निर्धारित थीं।
दरअसल ये ख़ास बैठक 8 दिनों पूर्व ही तय कर ली गई थी। बैठक का मजमून और चंद वरिष्ठों के मन की बात सुनने के बाद सुश्री सेलजा ने प्रदेश के वरिष्ठों की ग्रुप 8 बैठक और स्थान तक तय किया था। बता दें की इस कथित औचक मीटिंग की रूप-रेखा मंत्री रविंद्र चौबे के यहां तय की गई थी। मज़े की बात यह कि बैठक तो हुई पर इसमें स्वास्थ्यगत कारणों से मंत्री चौबे ही गैरहाज़िर थे। स्थान भी बदलकर राजीव भवन की बजाये मुख्यमंत्री निवास होने से ज्यादा हल्ला मचा जो फ़िज़ूल था। यह कहना गलत न होगा कि बड़ी ही कुशलता से प्रदेश प्रभारी ने प्रदेश कांग्रेस के सुपर 8 की बातें सुनीं और फौरी तौर पर आपसी मनमुटाव पे चर्चा का दौर ख़त्म कर आगामी विधानसभा से पूर्व कांग्रेस को और मजबूती की तरफ ले गेन।
आपसी मनमुटाव, दिल में भरा गुबार, आपसी ताल-मेल के अलावा मतभेदों पर खुलकर बोलने-सुनने दिया गया। इसके बाद सभी के तालमेल और सुलह पर प्रदेश प्रभारी कुमारी सेलजा ने पिन पॉइंट में अपनी बातें रखीं और राष्ट्रीय नेतृत्व के विचारों से अवगत भी करा दिया। इनशार्ट लंबी चर्चा के बीच सभी को खुलकर बोलने दिया गया और फिर आपसी मतभेद दूर कर के एकजुटता के लिए सुलह करवाई गई। इस बैठक के बाद साफ है कि आपसी सुलह के बाद ED समेत बीजेपी का सामना मिलकर करने की रणनीति कांग्रेस प्रभारी ने बना ली है।
जानकारी के मुताबिक कर्नाटक चुनाव और फिर परिणाम के बाद व्यस्त नेताओं के दौरे के बाद बैठक होनी थी। लेकिन पता चला कि स्वास्थ्य मंत्री का विदेश दौरा है और सेलजा चाहती थीं की उनकी उपस्थित में ही बातें हों इसलिए भी सिंहदेव के दौरे से ऐन एक दिन पहले 8 दिग्गजों को एकसाथ बुलाया गई था। बैठक के पश्चात् ताम्रध्वज साहू काम बोले और जल्दी बैठक से निकल गए। मंत्री रूद्र गुरु आये जरूर पर उन्हें लौटा दिया गया। टीएस बैठक पूरी अटेंड किये और खुश होकर CM हाउस से मीठे आम की सौगात लेकर लौटे। कल उन्होंने CM भूपेश के दिए आम का स्वाद लिया और विदेश के लिए रावण हो गए। पीसीसी चीफ भी बहुत दिनों बाद CM हाउस गए और मुस्कुराकर लौटे।
प्रदेश प्रभारी कुमारी सेलजा और स्पीकर चरणदास महंत लंबे समय से कांग्रेस की राजनीती में हैं। दोनों के बीच पार्टीगत रिश्ते भी काफी मजबूत हैं। सेलजा चाहती थीं की महंत भी इस बैठक में खासतौर पर रहें। इसलिए भी महंत की भूमिका पहले से ही तय थी और वह थी गुबार के बाद सुलह की। वैसे भी महंत सेलजा से पार्टी में सीनियर हैं और दोनों ही वरिष्ठता का सम्मान करते हैं। नतीजतन कोंग्रेसी नेता और मिडिया कयास लगते रहे और दोनों सीनियर लीडर्स ने सभी के बिच तालमेल स्थापित करने में कामयाब रहे।
प्रदेश प्रभारी कुमारी सेलजा, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव, वन एवं परिवहन मंत्री मो. अकबर, नगरीय निकाय मंत्री डॉ शिव डहरिया, मंत्री रविंद्र चौबे नहीं आये। मंत्री रूद्र गुरु और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ख़ास बैठक में शामिल नहीं थे।