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Sengol News: अधीनम संतों ने पीएम मोदी को सौंपा ‘राजदंड’ सेंगोल, कल नए संसद भवन में होगा स्थापित

Sengol News: नए संसद भवन (New Parliament Building) के उद्घाटन से पहले आज यानी शनिवार शाम पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को सेंगोल (Sengol) सौंप दिया गया है। इसके लिए पीएम आवास (PM Awas) पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कई विद्वानों ने हिस्सा लिया और पीएम नरेंद्र मोदी को सेंगोल सौंपा। इस दौरान पीएम मोदी ने अधिनमों से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। बता दें कि पीएम मोदी ने अपने आवास पर तमिलनाडु (Tamil Nadu) के अधीनम से मुलाकात की। इसके बाद अधीनम ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ सत्ता हस्तांतरण के इस सांस्कृतिक धरोहर को पीएम को सौंपा। इस परंपरा के निर्वहन के दौरान 21 अधीनम मौके पर उपस्थित रहे। सेगोंल सौंपने से पहले पीएम मोदी को सुनहरा अंगवस्त्रम दिया गया और फिर उन्होंने अधीनम से सेंगोल को वैदिक रीति के अनुसार प्राप्त किया। इस मौके पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी मौजूद रहीं।

क्या है सेंगोल

सेंगोल शब्द तमिल शब्द सेम्मई से लिया गया है, जिसका अर्थ नीतिपरायणता होता है। इसे आम भाषा में नियमों पर चलने वाला कहते हैं। यह राजदंड चांदी से बना होता है, जिसपर सोने की परत चढ़ी हुई होती है। राजदंड के ऊपर भगवान शिव के वाहन नंदी विराजमान हैं। यह राजदंड 5 फिट लंबा है। इसे तमिलनाडु के प्रमुख धार्मिक मठ से विशेष आशीर्वाद प्राप्त है। सेंगोल को नए संसद भवन के लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास स्थापित किया जाएगा। राजदंड को किसी विशेष अवसरों पर बाहर भी ले जाया जाएगा, जिससे जनता भी इसके महत्व को जान सके।

एतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार तमिल परंपरा में राजगुरु नए राजा को सत्ता ग्रहण करने पर एक राजदंड भेंट करते थे। तमिल की इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारत के अंतिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन ने 14 अगस्त 1947 को रात 12 बजे के ठीक 15 मिनट पहले तमिल के थिरुवदुथुरै अधीनम मठ के राजगुरू ने राजदंड माउंटबेटन को दिया था, जिसके बाद पूजा पाठ के बाद माउंटबेटन ने राजदंड को भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू को भेंट किया।

जानें संसद में कहां स्थापित होगा सेंगोल

बता दें कि नई संसद में सेंगोल को स्थापित करने से पहले इसको पवित्र जल से शुद्ध किया जाएगा। इस दौरान एक बार फिर से वैदिक मंत्रों से संसद गूंजेगी, संसद में शंख-ध्वनि होगी। इसके बाद इसे प्रधानमंत्री मोदी को थमाया जाएगा, फिर पीएम इसे लोकतंत्र के नए मंदिर में स्थापित करेंगे। इस सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के बगल में पोडियम पर स्थापित किया जाएगा।

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