Social Media Pressure: क्या आप भी उन लेडीज़ में शामिल हैं जो अपनी सखियों के खुशनुमा सोशल मीडिया स्टेटस देखकर जल-भुन जाती हैं। खुद के जीवन से नाखुश हो जाती हैं और डिप्रेशन तक की शिकार हो जाती हैं? अगर हाँ, तो ये आर्टिकल आपके लिए ही है। दरअसल, अपने खुशनुमा पलों के स्टेटस लगाना आजकल लोगों का प्रिय शगल बन गया है। अपने खास पलों का मज़ा लेने के बजाय सबकी रुचि अच्छी तस्वीरें खिंचवाने में ज्यादा नज़र आने लगी है जिन्हें सोशल मीडिया पर अपलोड कर खुद को परम सुखी दिखाया जा सके। और ऐसे लोगों का मकसद पूरा भी हो जाता है जब आपके चेहरे पर निराशा या आपकी आवाज़ में मायूसी नज़र आती है। ऐसे प्रेशर से बचने के लिए विशेषज्ञ क्या सलाह देते हैं, आइए जानते हैं।
सब के लिए अफोर्डेबल नहीं हैं महंगी ट्रिप
अगर आपकी कोई सखी हर साल अपने परिवार के साथ छुट्टियां मनाने के लिए किसी अच्छे डेस्टिनेशन पर जाती है और वहां से नित नई हंसती-मुस्कुराती तस्वीरें डालती है तो अपनी तुलना कर निराश न हों। महंगी ट्रिप सबके लिए अफोर्डेबल नहीं होती हैं। और न ही ये ज़रूरी है कि असल खुशी ऐसी ट्रिप पर जाने पर ही मिलेगी। आप अपनी सिटी के किसी पिकनिक स्पाॅट या कम दूरी के किसी गंतव्य को चुन सकते हैं। अगर आप अगर परिवार के साथ खुश हैं तो ऐसी जगह भी भरपूर सुख और मज़ा देगी।
आपको लगा कि सखियों ने आपको किनारे कर दिया, आप टूट गईं
कई बार ऐसा होता है कि आपका तीन या चार सहेलियों का ग्रुप है जो छुट्टी के दिन साथ घूमता फिरता है। हो सकता है कि कभी आप घर पर हों और अचानक बाकी सहेलियों का साथ में इन्जाॅय करता स्टेटस देख लें। ऐसे में आप आगबबूला हो उठती हैं कि आपको किनारे कर दिया गया, काट दिया गया। और इस गुस्से में आप अपना एक अच्छा खासा दिन चौपट कर लेती हैं। हो सकता है आपकी सहेलियाँ अपने परिवारों के साथ घूमते हुए अचानक एक-दूसरे से मिल गई हों और साथ में फोटो क्लिक कर ली हो। खुद का दिन खराब करने से बेहतर स्टेटस देखने के बाद एक काॅल करके बधाई दे देना है। साथ ही बर्दाश्त करने की आदत भी डालना ज़रूरी है। बाकी दोस्त कभी आपके बिना भी आउटिंग प्लान कर सकते हैं।
समझें, झूठी भी होती हैं तस्वीरें
सोशल मीडिया आभासी दुनिया है, असल नहीं है। ये मूल बात हमेशा अपने ज़ेहन में रखें। छुट्टी मनाने के दौरान भी यह संभव है कि किसी के मन में खटास हो, कोई अपसेट हो, लेकिन तस्वीर वो हंसते- मुस्कुराते, खाते-पीते ही डालेगा। क्योंकि अपने दुख-तकलीफों को दिखाती तस्वीर कोई सोशल मीडिया पर शेयर नहीं करेगा, आप खुद भी नहीं करेंगे। इसलिए सिर्फ दूसरों की आर्टिफिशियल खुशी देखकर अपनी अच्छी खासी ज़िंदगी से निराश न हों।
सोशल मीडिया से थोड़ी दूरी भली
पल- पल में दूसरों के स्टेटस-डीपी देख अपना बीपी न बढ़ाएं। सोशल मीडिया का एडिक्शन हजार बीमारियों की जड़ है। अपनों के साथ बातचीत और जुड़ाव में समय खर्च करें। रिश्तों में इन्वेस्टमेंट का रिटर्न ज़िंदगी भर बढ़कर मिलता है।
वीडियो काॅल कर दूर करें अकेलापन
अगर आप युवा हैं। घर से दूर पढ़ाई या जाॅब कर रहे हैं और उतने फ्रेंडली भी नहीं हैं तो हो सकता है कि आप इस पल बेहद अकेलापन महसूस कर रहे हों। तभी कहीं आपने अपने कलीग का हैप्पी स्टेटस देख लिया और आप बेचैन हो उठे। ऐसे पल सबकी ज़िन्दगी में आते हैं। अगर आपका भी मन खराब हो रहा है तो आप आप अपने परिजनों या किसी पुराने दोस्त से वीडियो काॅल कर लें। शर्तिया आपका मूड बदल जाएगा।
जिन्हें आपकी ज़रूरत है, उन्हें ढूंढें
मान लिया आप अकेले भी हैं, निराश भी और मूड बदलने का कोई रास्ता भी नज़र नहीं आ रहा। ऐसे में एक नज़र उनपर डालें जिन्हें आपकी ज़रूरत हो। हो सकता है कि आपके पास आपकी सहेली की तरह नए फैशन की कोई न्यू ड्रेस खरीदने के लिए पर्याप्त पैसे इस वक्त न हों, लेकिन आपके पुराने कपड़े किसी ज़रूरतमंद के लिए बहुत खास हो सकते हैं। उसे अपना ड्रेस देकर आपको जो ख़ुशी मिलेगी, उसकी तस्वीर की ज़रूरत ही नहीं। आपका सुकून ही आपका दिन बना देगा। आजकल बहुत से युवा अपने खाली घंटे वृद्धाश्रमों को देने लगे हैं। यह भी असल खुशी हासिल करने का बढ़िया तरीका है।
अकेलेपन को एंजाॅय करें
अपने अकेलेफन को इन्जाॅय करना भी एक कला है, जो सबको अपने भीतर डेवलप करनी चाहिए। व्यस्त दिनचर्या के बीच मिले ‘मी-टाइम’ का भरपूर उपयोग करिए। अपनी रुचियों को समय दीजिए। सोशल मीडिया के छलावे में मत आइए। जो दूसरे की खुशी है, वह दूसरे की है, आपकी नहीं हो सकती। गलत दिशा में जा रहे अपने इमोशंस को कंट्रोल कीजिए, जलिए मत। सकारात्मक रहिए और अपनी ज़िन्दगी को खुशनुमा बनाने के सरल और कम खर्चीले तरीके ढूंढते रहिए।