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Starlink vs Jio : इन दोनों अरबपतियों में छिड़ेगा ‘ट्रेड वॉर’? भारत आने को बेताब स्टारलिंक, क्या जियो को मिलेगी कड़ी टक्कर…

भारत का मार्केट अब अरबपतियों के ‘ट्रेड वॉर’ का नया ठिकाना बन सकता है. इसमें एक तरफ होंगे एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, तो दूसरा खेमा होगा दुनिया के सबसे अमीर उद्योगपतियों में शामिल टेस्ला और ट्विटर के मालिक एलन मस्क. अरे नहीं-नहीं, ये दोनों हकीकत में कोई युद्ध करने नहीं जा रहे हैं, लेकिन बहुत जल्द ये दोनों मार्केट में वर्चस्व स्थापित करने के लिए टकरा सकते हैं.

हालांकि, अभी भी मस्क की भारत में एंट्री आसान नहीं होगी. क्योंकि Starlink की एंट्री के साथ ही दुनिया के सबसे अमीर शख्स का मुकाबला एशिया के सबसे धनी व्यक्ति मुकेश अंबानी की कंपनी Reliance Jio से होगा. बीते मंगलवार को एलॉन मस्क ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, जो अमेरिका के दौरे पर हैं.

स्टारलिंक को लग चुका है झटका

एलन मस्क की कंपनियों के लिए भारत का अनुभव अब तक ठीक नहीं रहा है. टेस्ला को लेकर खींचतान जगजाहिर है, लेकिन स्टारलिंक की राहें भी आसान नहीं होने वाली है. इसकी झलक पहले दिख चुकी है, जब स्टारलिंक ने भारत में भी अपने सैटेलाइट इंटरनेट (Starlink Satellite Internet) सेवा की एडवांस बुकिंग शुरू की थी. सरकार ने उस समय स्टारलिंक को तत्काल ग्राहकों को एडवांस लौटाने के लिए कहा था.

जियो के पास 43.9 करोड़ यूजर्स

अंबानी के लिए सैटेलाइट ब्रॉडबैंड में विदेशी प्रतिस्पर्धा को दूर रखना अधिक मुश्किल नहीं होगा. उनके रिलायंस जियो के पास पहले ही 43.9 करोड़ टेलीकॉम यूजर्स हैं, जो उसे मार्केट लीडर बनाते हैं. जियो के पास 80 लाख वायर्ड ब्रॉडबैंड कनेक्शन, जो 25 फीसदी मार्केट शेयर है.

अगर मस्क को मिली मंजूरी तो क्या बदलेगा?

Starlink एक सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस प्रोवाइड है. यानी इस सर्विस को शुरू करने के लिए जमीन पर टावर का जाल नहीं बिछाना पड़ेगा. ना ही फाइबर ब्रॉडबैंड सर्विसेस की तरह तार फैलाना होगा. बल्कि ये सर्विस आसमान का इस्तेमाल करके इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रोवाइड करती है.

यानी स्टारलिंक अपने तमाम सैटेलाइट नेवर्क को भारत में फैलाएगी, जिससे रिमोट एरिया तक में इंटरनेट की कनेक्टिविटी पहुंच सकेगी. वही कई ऐसे इलाके भी हैं, जहां टेलीकॉम कंपनियों के लिए टावर लगा पाना मुश्किल होता है. वहां भी सैटेलाइट बेस्ड सर्विसेस आसानी से कनेक्टिविटी पहुंचा सकती हैं. यूक्रेन युद्ध में भी रूस ने सब टेलीकम्युनिकेशन नेटवर्क को बर्बाद कर दिया, तो मस्क की स्टारलिंक सर्विस ने यूक्रेन में कनेक्टिविटी प्रदान की थी. भारत में जियो और एयरटेल (One Web) भी अपनी सैटेलाइट सर्विस को तैयार कर रहे हैं.

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