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State Warehouse Corruption Case Raised In The House – पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने सदन में सरकार को घेरा
State Warehouse Corruption Case Raised In The House - पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने सदन में सरकार को घेरा

टीआरपी डेस्क

रायपुर। सत्र के 14वें दिन भी सत्तापक्ष के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार की पोल विपक्ष परत दर परत खोलता रहा। पूर्व मंत्री बीजेपी के वरिष्ठ विधायक अजय चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ स्टेट वेयर हाऊसिंग द्वारा करवाए गए गोदाम निर्माण और ठेका कार्य में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। ध्यानाकर्षण में उठे इस मुद्दे पर बीजेपी आक्रामक दिखी।

बता दें की छत्तीसगढ़ राज्य भंडारण निगम (स्टेट वेयर हाउस) में गोदाम निर्माण में 12.75 करोड़ के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। इतना ही नहीं विभागीय जांच में यह मामला सहीं पाया गया है। इस मामले की जांच संयुक्त संचालक वित्त आरके मिश्रा ने की थी। शिकायतकर्ता वीके दास ने इस मामले की जांच रिपोर्ट की कॉपी आरटीआई से हासिल की है। समाचार लिखे जाने तक सदन में इसी मुद्दे पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप तल्ख़ तेवर लिए था।

जानें क्या है मामला

भंडारण निगम ने जांजगीर-चांपा जिले के बाराद्वार ( 15000 एमटी)- सक्ती (7200 एमटी) में गोदाम परिसर के निर्माण एवं अन्य कार्य के लिए 12 फरवरी 2021 को निविदा निकाली थी। इसके लिए कुल अनुमानित लागत 13 करोड़ 45 लाख रुपए थी।

इस ठेके के लिए शर्त यह थी कि ठेका कंपनी का एवरेज टर्नओवर 4 करोड़ 6 लाख रुपए होना चाहिए। बिलासपुर के ठेकेदार अरोरा कंस्ट्रक्शन ने भी इस निविदा में हिस्सा लिया था। बता दें इस कंपनी का कुल टर्नओवर 3 करोड़ 66 लाख था। बता दें कि यह कार्य जितनी अनुमानित लागत का था, उसका न्यूनतम 30 प्रतिशत औसत वार्षिक टर्नओवर होना आवश्यक था।

जांच रिपोर्ट में हुआ खुलासा

जांच अधिकारी की रिपोर्ट में कहा गया कि निविदा समिति के सदस्यों ने लोक सेवक होते हुए लोक कर्तव्यों के निर्वहन में षडयंत्रपूर्वक तथा बेईमानी से कार्य किया। अपने पद का दुरपयोग कर अपात्र ठेकेदार को राशि 12.75 करोड़ का अनियमित लाभ दिया। इसके लिए निविदा समिति के सभी सदस्य आनुपातिक रूप से उत्तरदायी है। निविदा समिति का उपरोक्त कृत्य सिविल सेवा आचरण नियम के अंतर्गत कदाचार की श्रेणी में आता है। निविदा की कार्यवाही दोषपूर्ण होने से निर्माण कार्य की दरें भुगतान के लिए मान्य नहीं हैं। यदि नियमानुसार उचित प्रक्रिया से निविदा जारी की जाती, तो प्रतिस्पधात्मक तथा मितव्ययी दरें प्राप्त होती, प्रकरण में शिकायत सही पाई गई है।

बता दें कि इस संबंध में लेखापरीक्षा में भी पाया गया था कि ठेकेदार ने निविदा शर्त को पूरा नहीं किया था। इसका औसत वार्षिक वित्तीय कारोबार योग्य टर्नओवर के मुकाबले 3.66 करोड़ था। निगम ने 4.04 करोड़ वार्षिक टर्नओवर का मानदंड रखा था। निगम की निविदा तकनीकी समिति ने इस मामले में सारे नियमों को ताक पर रखते हुए ठेकेदार को काम सौंपा था।

https://theruralpress.in/2023/03/23/state-warehouse-corruption-case-raised-in-the-house-former-minister-ajay-chandrakar-surrounded-the-government-in-the-house/