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Tarkash: धोती खोल राजनीति

संजय के. दीक्षित

तरकश, 19 मार्च 2023

धोती खोल राजनीति

विधानसभा में इस बार गजबे हो गया। एक ही इलाके के…एक ही पार्टी के दो विधायक एक-दूसरे की सरेआम धोती खोल रहे थे। स्पीकर चरणदास महंत अवाक थे…और मंत्री कवासी लखमा हैरान। सदन में बैठे विधायकों और अधिकारी दीर्घा के अफसरों के लिए भी यह पहला मौका था। धोती खोल राजनीति का सार यह था कि एक का भाई क्लब में शराब बेचता है तो दूसरे की करीबी महिला नेत्री ढाबे में शराब बेचती हैं। एक ने क्लब पर कार्रवाई करने के लिए हल्ला बोला तो दूसरे ने यह कहते हुए सामने वाले की पगड़ी हवा में उछाल दी कि फलां महिला नेत्री ढाबे में शराब क्यों बेच रही है? घर का झगड़ा था…ऐेसे में बेचारे मंत्री कवासी लखमा क्या बोलते। कुछ देर तक मौन रहे, फिर बोले, अध्यक्ष जी!…आपस का झगड़ा है। जाहिर है, चुनावी साल में इस तरह के आपस के झगड़े से नुकसान पार्टी का होगा। क्योंकि, पब्लिक सब जानती है। पवित्र सदन में शराब की अवैध बिक्री, महिला का शराब वाला ढाबा, विधायक का भाई, विधायक की करीबी समर्थक, एक-दूसरे को गुलाब देते हुए फोटो…सोशल मीडिया में खूब वायरल हुए। सरकार के रणनीतिकारों को यह देखना होगा।

मजबूरी का नाम…

कवासी लखमा के पास उद्योग और आबकारी जैसे मंत्रालय जरूर हैं मगर विधानसभा में प्रश्नों का जवाब मंत्री मोहम्मद अकबर देते हैं। क्यों देते हैं? यह बताने की आवश्यकता नहीं। बहरहाल, इस बार बुधवार को प्रश्नकाल में आबकारी और उद्योग विभाग का नम्बर था। मगर उस दिन अकबर की मां का देहावसान हो गया। सो, वे सदन में नहीं आए। मजबूरी में कवासी लखमा को खड़ा होना पड़ा। स्पीकर चरणदास महंत ने इस पर चुटकी भी ली। क्लब और ढाबे में शराब बेचने पर हंगामे के समय उन्होंने कहा कि आपलोगों को ये भी देखना चाहिए कि मंत्रीजी आज जवाब दे रहे हैं…उन्हें एप्रीसियेट कीजिए। कवासी भी भले ही कम शब्दों में जवाब दिए मगर कांफिडेंस के साथ।

बदले-बदले से…

बजट सत्र में विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत के तेवर कुछ बदले-बदले से दिखाई पड़ रहे हैं। हालांकि, गुरूवार को सदन में जो कुछ हुआ, उसके पीछे मंत्री का ओवर कांफिडेंस भी था। असल में, बेरोजगारी पर अजय चंद्राकर सवाल कर रहे थे। विभागीय मंत्री उसका जवाब दे रहे थे। जिस तरह मंत्री बिना स्टडी के सदन पहुंच जाते हैं, उस रोज भी कुछ वैसा ही आलम था। स्थिति यह हो गई कि स्पीकर यह कहते हुए मंत्री से खुद ही सवाल करने लगे कि बेरोजगारी का गंभीर मुद्दा है…इसे आप टालिये मत। उधर, अजय चंद्राकर सवाल-पर-सवाल दागे जा रहे थे। इस पर एक दूसरे मंत्री ने अजय चंद्राकर के पूरक प्रश्नों की झड़ी पर आपत्ति जताई। स्पीकर कभी तमतमाते नहीं…मगर मंत्री के इस सवाल पर उनका चेहरा खींच गया…आंखें खुली…कुर्सी से खड़े हो गए….बोले, छत्तीसगढ़ के लिए यह गंभीर मुददा है…एक बार, दो बार, तीन बार, चार बार…जितना बार मुझे लगेगा पूरक प्रश्न पूछने की अनुमति दूंगा। स्पीकर के इस तेवर से पूरा सदन सन्न रह गया।

पहला राज्य

भूपेश बघेल कैबिनेट ने पत्रकार सुरक्षा बिल पास कर दिया है। अब इसी सत्र में इस पर मुहर लग जाएगा। अगर यह कानून बन गया तो छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा, जहां पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून होगा। इससे पहले महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़नवीस सरकार ने 2017 में पत्रकार सुरक्षा बिल को विधानसभा से पास कराया था। लेकिन, सजा के कुछ प्रावधान के चलते राष्ट्रपति भवन से उसे एप्रूवल नहीं मिल पाया। पता चला है, इसको देखते छत्तीसगढ़ के पत्रकार सुरक्षा कानून के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जस्टिस की अगुआई में एक कमेटी बनाई गई। जस्टिस की अध्यक्षता में कमेटी ने पूरी छानबीन के बाद ड्राफ्ट तैयार किया है। लिहाजा, छत्तीसगढ़ पत्रकार सुरक्षा कानून के रास्ते में कोई अवरोध आने की गुंजाइश नहीं दिख रही।

दीया तले अंधेरा

जीएडी ने राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आईएएस अवार्ड करने का प्रॉसेज शुरू कर दिया है। 2021 में तीन पद था और 2022 में चार पद। जीएडी दोनों साल के वैकेंसी को क्लब करते हुए सात पदों पर डीपीसी कराने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए सूबे के पांचों कमिश्नरों को 19 अधिकारियों की लिस्ट भेजकर स्टेट्स रिपोर्ट मंगाई गई है। याने किसी के खिलाफ कोई मामला तो नहीं है। मगर वास्तविकता यह है कि लिस्ट में जिन राप्रसे अधिकारियों के नाम हैं, वे सभी अपर कलेक्टर रैंक के अफसर हैं। और कमिश्नरों को अपर कलेक्टर की रिपोर्ट देने का अधिकार नहीं है। कमिश्नर को ज्वाइंट कलेक्टर तक के पावर हैं। अपर कलेक्टर सीधे जीएडी से हैंडिल होते हैं। कुछ अधिकारी मंत्रालय में डिप्टी सिकरेट्री हैं। वे सामान्य प्रशासन विभाग के हिस्सा हैं। मंत्रालय में उनकी पोस्टिंग भी जीएडी ने किया है। वैसे भी, अपर कलेक्टर रैंक के अधिकारी के खिलाफ कोई भी जांच जीएडी ही कर सकता है। जाहिर है, पूरी कुंडली जीएडी के पास होती है। मगर जीएडी के बाबुओं का कमाल देखिए…कमिश्नर को लेटर लिख दिया। इस कहते हैं, नाहक की मशक्कत।

बोर्ड से इस्तीफा

रिटायर चीफ सिकरेट्री सुनिल कुमार ने एनडीटीवी बोर्ड से इस्तीफा दे दिया है। एनडीटीवी को अडानी के टेकओवर के बाद पूर्व मुख्य सचिव सुनिल कुमार और पूर्व सिकरेट्री टू सीएम अमन सिंह को बोर्ड का डायरेक्टर अपाइंट किया गया था। जनवरी में सुनिल कुमार ने बोर्ड को ज्वाईन किया और नौ मार्च को इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे में उन्होंने इतना जल्द त्याग पत्र देने का कोई कारण उल्लेख नहीं किया है। 79 बैच के आईएएस सुनिल कुमार पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के सिकरेट्री रहे। बाद में केद्रीय मंत्री अर्जुन सिंह के पीएस का दायित्व निभाया। रमन सरकार ने 2012 में उन्हें छत्तीसगढ़ का चीफ सिकरेट्री अपाइंट किया था। सीएस से रिटायरमेंट के बाद वे राज्य योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे।

अंत में दो सवाल आपसे

1. विधानसभा के बाद क्या पुलिस अधीक्षकों की बहुप्रतीक्षित लिस्ट निकलेगी?

2. पटवारी और आरआई के खिलाफ कार्रवाई होना लोगों को अच्छा क्यों लगता है?

https://npg.news/exclusive/tarkash-dhoti-khol-rajniti-chhattisgarh-ki-bureaucracy-aur-rajniti-par-kendrit-varishth-ptrakar-sanjay-k-dixit-ka-popular-weekly-colmn-tarkash-1239076