Teacher Transfer:रायपुर:(मनीष जायसवाल)। सांसद बनने के बाद रायपुर विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने राज्य की विधानसभा और मंत्री मंडल से त्याग पत्र दे दिया है..।अब शिक्षको के कभी पांच सौ तो कभी तीन हजार ट्रांसफर पोस्टिंग और इसके लिए लेने देन जैसी अफवाहों पर नई ट्रांफसर नीति और पूर्ण कालिक नए स्कूल शिक्षा मंत्री बनते तक तो विराम लग गया है..
पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के स्कूल शिक्षा विभाग के बारे में कहा जा रहा था कि प्रदेश में सत्ता बदल गई लेकिन इस विभाग में पूर्व सरकार के जैसा सत्ता का मिजाज और काम काज दिखाई देता है..। प्रदेश के सबसे अनुभवी और वरिष्ठ विधायक लम्बे समय तक मंत्री रहे श्री अग्रवाल ने ऐसी तमाम तरह की धारणाओं को खारिज कर अपने करीब छह महीने के स्कूल शिक्षा विभाग के कार्यकाल के दौरान ट्रांसफर पोस्टिंग पर विवाद रहित नई लकीर खींच कर सबक साथ.. सबका विकास के मूल मंत्र के साथ ट्रांसफर पोस्टिंग की चाह रखने वालो के लिए उम्मीद की किरण जगा कर नए शिक्षा मंत्री के लिए पारदर्शिता के साथ काम करने और आम शिक्षको को ट्रांसफर के साथ अपने गृह क्षेत्र में आने का मौका मिले ऐसे रास्ते का पुल बना गए है।
रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल की कार्य शैली से बड़े और पारदर्शी बदलाव को उम्मीद सबको थी ,और हुआ भी वही।
उन्होंने ट्रांसफर पोस्टिंग के पूर्व के ट्रेंड को समझा और विभाग में पारदर्शिता लाने के लिए विभाग में बड़े पैमाने में होने वाले ट्रांसफर पोस्टिंग की नीति बनाने पर अधिकारियो को निर्देश भी संभतः दिए थे।उनके कार्यकाल के दौरान सिर्फ अधिकारियो के प्रशासनिक फेर बदल हुए शिक्षको के ट्रांसफर नहीं हुए।
बृजमोहन के लोकसभा सांसद बन जाने से सबसे अधिक दुख शिक्षक जगत को है ।उनकी छवि जन नेता की रही है। यह वर्ग उनसे काफी उम्मीदें लगाए बैठा था।यही वजह है कि विधायक और मंत्री बनने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक सबसे अधिक बड़ी संख्या में उनसे मुलाकात किए उनके साथ कि फोटो सोशल मीडिया में शेयर भी हुए थे।
इस वर्ग को आस थी कि वे स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षकों के लिए पारदर्शी तबादला नीति लाएंगे। इसके अलावा शिक्षको की पदोन्नति,पदस्थापना, अतिशेष, महिला शिक्षकों की समस्याएं सहायक शिक्षको की वेतन विसंगति, प्रथम नियुक्ति तिथि से सेवा की गणना, शिक्षको के पेंशन के मुद्दे ,स्वामी आत्मानंद के शिक्षको का नियमितीकरण जैसे गंभीर मुद्दे को सुलझा कर सरल कर रख देंगे। वे ऐसा करीब छह महीने में नही कर पाए..! पर जाते जाते उन्होंने अंतिम विभागीय बैठक में पच्चीस सूत्रीय एजेंडा रख आने वाले एक दो सालो के लिए विभाग की कार्य योजना का ले आउट तो बना ही दिया है।
लोकसभा चुनाव के पहले सांसद बृजमोहन अग्रवाल को करीब सिर्फ तीन महीने से कम समय मिला था। इसमें अधिकतर समय उनका सिर्फ मेल मुलाकात और फाइलों में ही बीत गया। उसके बाद वे लोकसभा चुनाव लड़ने में व्यस्त हो गए। मातृ शोक होने के बाद भी वे काम करते हुए दिखाई दिए ..! इस बात में दो मत नहीं कि बृजमोहन के समर्थक और उनके चाहने वाले पूरे प्रदेश में पाए जाते हैं।इस दौरान वे सबसे दिल खोल कर मिले और सभी को पर्याप्त समय भी दिया .! क्योंकि सरल और मिलनसार सबके बृजमोहन भईया हर मौके पर पालक के रूप अपने समर्थकों और पीड़ितों के साथ खड़े रहने वाले नेता के रूप में जाने जाते रहे है।
सांसद बनने के बाद मंत्री पद नही मिलने से प्रदेश की राजनीति से और राष्ट्रीय राजनीति में जाने के बाद उनका कद घट नही सकता है। भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल 2024 के लोकसभा में रायपुर की सीट से इस चुनाव में 5 लाख 75 हजार से अधिक के बड़े मार्जिन से जीत दर्ज की है।अब वे धरसीवां भाटापारा, रायपुर ग्रामीण, आरंग, अभनपुर, रायपुर शहर उत्तर, रायपुर शहर दक्षिण और रायपुर शहर पश्चिम विधानसभा के मतदाताओं से सीधे जुड़ गए है। ये भी बड़ी जिम्मेदारी है। शिक्षा मंत्री के पद से त्यागपत्र देने के बाद भी उनकी बड़ी जवाबदारी मोदी की गारंटी में सहायक शिक्षकों की वेतन विसंगति दूर करवाना भी रहेगी इसमें उनका बहुत बड़ा योगदान भी साबित हो सकता है क्योंकि शिक्षक नेताओं और आम शिक्षकों का सीधा जुड़ाव बहुत पहले से रहा है। इसलिए शिक्षक वर्ग को अभी भी उनसे बहुत सी उम्मीद बाकी है।