Get all latest Chhattisgarh Hindi News in one Place. अगर आप छत्तीसगढ़ के सभी न्यूज़ को एक ही जगह पर पढ़ना चाहते है तो www.timesofchhattisgarh.com की वेबसाइट खोलिए.

समाचार लोड हो रहा है, कृपया प्रतीक्षा करें...
Disclaimer : timesofchhattisgarh.com का इस लेख के प्रकाशक के साथ ना कोई संबंध है और ना ही कोई समर्थन.
हमारे वेबसाइट पोर्टल की सामग्री केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और किसी भी जानकारी की सटीकता, पर्याप्तता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता है। किसी भी त्रुटि या चूक के लिए या किसी भी टिप्पणी, प्रतिक्रिया और विज्ञापनों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
Tribal Leader Of Congress Silent Due To Sai’s Arrival – साय के आने से कांग्रेस खुश पर आदिवासी नेता क्यों हैं खामोश .. ?
Tribal Leader Of Congress Silent Due To Sai's Arrival - साय के आने से कांग्रेस खुश पर आदिवासी नेता क्यों हैं खामोश .. ?

विशेष संवादाता

रायपुर। बीजेपी से बगावत करके कांग्रेस में आये नंदकुमार साय पुरे जलवे में हैं। उनके आने से बीजेपी को जोर का झटका धीरे से लगा लगा है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की भी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं है। दोनों की ख़ुशी की वजह का अंदाज़ा भी लगाया जा सकता है। क्योंकि पार्टी में Tribal Leader की तो कोई कमी नहीं है, बस कसर थी तो वह आदिवासियों के एक नेता की। भूपेश सरकार को नंदकुमार साय के रूप में ऐन विधानसभा चुनाव से पूर्व विरोधी पार्टी से ऐसा Tribal Leader मिल गया है।

कांग्रेस पहले ही OBC मतदाताओं को BJP से ज्यादा साधने में सफल थी अब साय के आने से रायगढ़, जशपुर, सरगुजा के आदिवासी वोटरों को साधेगी। कोंग्रेसी गलियारे में दूसरी तरफ पार्टी के Tribal Leader अब तक साय के लिए कोई ख़ुशी जाहिर करने वाला एक अदद बयान जारी नहीं किये हैं। कवासी लखमा फ़िलहाल कर्नाटक चुनाव में व्यस्त हैं। अमरजीत भगत, बृहस्पत सिंह, चिंतामणि महाराज, देहुती कर्मा, सांसद दीपक बैज, अरविन्द नेताम समेत कई अन्य साय के कांग्रेस प्रवेश को लेकर खामोश हैं।

इसलिए भी बरती गई थी गोपनीयता

बीजेपी छोड़ने का मन साय बना चुके थे और इसकी भनक CM भूपेश को भी थी। पीसीसी चीफ मोहन मरकाम को बाद में खबर लगी जब तक गांव गोहार पाड़ गया था। इसकी खास दो वजह समझी जा रही है। पहली ,बीजेपी को पता चलता तो रोकने के लिए सारे हथकंडे अपनाये जाते। वहीं कांग्रेस के आदिवासी नेता भविष्य की चिंता करते हुए साय के खिलाफ लामबंद हो सकते थे। साय पढ़े-लिखे और आदिवासियों के नेता माने जाते हैं जो उन्हें पार्टी के अन्य आदिवासी नेताओं से ज्यादा अनुभवी बनाता है। इसमें कोई संदेह नहीं कि साय के कांग्रेस में आने के बाद बीजेपी के अन्य नाराज़ आदिवासी भी साढ़े जायेंगे।

साय का जलवा और दबदबा कायम

नंदकुमार साय की सुरक्षा बढ़ा दी गई है । पहले उनके साथ इक्के-दुक्के जवान ही दिखा करते थे। अब सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ा दी गई है। नंदकुमार साय को विशेष निगरानी के साथ ही रखा जा रहा है। खुद साय ने माना है कि इस्तीफे के बाद उनकी सुरक्षा जरूरी है। सूत्रों की मानें तो सियासी कारणों से उनकी यह सुरक्षा बढ़ाई गई है।

https://theruralpress.in/2023/05/03/tribal-leader-of-congress-silent-due-to-sais-arrival-congress-is-happy-with-sais-arrival-but-why-are-tribal-leaders-silent/