रायपुर। कोरबा शहर में हसदेव ताप विद्युत संयंत्र (HTPP) से अहिरन नदी में राख बहाये जाने संबंधी खबर के प्रसारण के बाद प्रबंधन ने तो राख के निस्तारण को तत्काल बंद कर दिया था, मगर पर्यावरण संरक्षण मंडल (PCB) ने इसे लापरवाही मानते हुए प्लांट प्रबंधन के ऊपर 90 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है। PCB ने इस संबंध में नोटिस जारी करते हुए एक पखवाड़े में रकम जमा कहा है।
ऊर्जानगरी कोरबा में एचटीपीपी संयंत्र के डंगनिया खार स्थित राखड़ डेम (ASH DYKE) से बड़ी ही मात्रा में राखयुक्त पानी बहाया जा रहा था। जिसके चलते अहिरन नदी का पानी दूधिया नजर आने लगा था। इस संबंध में TRP NEWS में खबर के प्रकाशन के संयंत्र प्रबंधन सक्रिय हो गया। इस बीच ऊर्जा नगरी कोरबा की जागरूक मीडिया ने भी इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया और एचटीपीपी संयंत्र प्रबंधन की आलोचना की। इधर प्रबंधन ने राख के निस्तारण को तत्काल रोका, जिससे अहिरन नदी का पानी कुछ साफ़ नजर आने लगा।
क्षेत्रीय कार्यालय, छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल, कोरबा के अधिकारी शैलेश पिस्दा ने बताया कि खबर की पुष्टि के लिए उनकी टीम ने मौके पर जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी ली। यहां राख का निस्तारण रोक दिया गया था, मगर यहां जमी हुई राख के अंश नजर नजर आये, जिससे इस बात की पुष्टि हो रही थी कि पूर्व में यहां से राख बहाई जा रही थी। PCB ने इस मुद्दे को लेकर कोरबा पश्चिम स्थित 840-500 मेगावॉट विद्युत संयंत्र, कार्यपालक निदेशक, मेसर्स छग राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लि. को नोटिस जारी किया गया। जिसके बाद प्रबंधन ने अपने जवाब में बताया कि ऐश डाईक से पलाई ऐश युक्त जल सेटलिंग टैंक से जियोटेक्स फिल्टर क्लॉथ की चोरी कर लिये जाने के चलते फ्लाई ऐश डाइक से रिसकर अहिरन नदी में जाने लगा था। इसे तत्काल सुधार दिए जाने की बात भी प्रबंधन ने बताई।
पर्यावरण संरक्षण मंडल ने CSEB का पक्ष जानने के बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली के एक आदेश का हवाला देते हुए HTPP प्रबंधन के ऊपर 90 हजार पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति शुल्क अधिरोपित किया है और 15 दिनों के भीतर यह शुल्क MS (EC), छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल, रायपुर के नाम पर कहा है। वहीं शुल्क जमा नहीं करने पर पर्यावरणीय अधिनियमों के तहत कार्यवाही करने की चेतावनी भी दी गई है।
बता दें कि कुछ माह पूर्व ही जांजगीर के तत्कालीन कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला के निर्देश पर वहां के पर्यावरण अधिकारी ने जिले के कई बिजली संयंत्रों के ऊपर यत्र-तत्र राख फेंके जाने के मामले में लाखों का जुर्माना लगाया था। इसके बाद पहली बार कोरबा जिले में इस तरह का पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति शुल्क किसी संयंत्र, और वो भी राज्य सरकार के संयंत्र के उपर लगाया गया है। अब देखना ये है कि यहां का पर्यावरण संरक्षण विभाग इस तरह की कार्रवाइयों से शहर में हो रहे जल-वायु प्रदूषण को रोक पाने में भी सफल हो पाता है या नहीं।
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