विशेष संवादाता
रायपुर। मंत्री कवासी लखमा के स्थान पर आज वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने विपक्षी सवालों को झेला। सदन में मंत्री अकबर को MOU और CSR मद के मुद्दे पर विपक्षी दाल के नेता नारायण चंदेल व धरमलाल कौशिक ने बुरी तरह घेर ल;िया था। सत्र के 14वें दिन की शुरुआत में दिवंगत पूर्व विधायक नीलिमा सिंह टेकाम को श्रद्धांजलि दी गई। सदन में मौन रखकर कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित की गई। 10 मिनट बाद फिर से कार्यवाही शुरू हुई।
बजट सत्र शुरू होते ही प्रश्नकाल में विपक्ष ने सीएसआर का मुद्दा उठाकर सत्ता पक्ष को घेरा। नारायण चंदेल के मुताबिक यहां की जमीन, कोयला, और पानी सब कुछ लूटा जाता है। चंदेल ने सीएसआर का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। इस पर बहस के बाद सत्ता पक्ष के जवाब से असंतुष्ट बीजेपी विधायकों ने वॉकआउट कर दिया।
चंदेल ने पूछा- कोरबा, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा में 2021-22, 2022-23 से लेकर 15 फ़रवरी 2023 तक किन-किन औद्योगिक संस्थानों से कितनी राशि सीएसआर से प्राप्त हुई? राज्य की ज़मीन पर उद्योग लगते हैं? राज्य के संसाधनों का उपयोग होता है लेकिन सीएसआरफंड के उपयोग के लिए कोई नीति नहीं है? मापदंड के अनुरूप कितनी राशि प्राप्त होनी थी और कितनी राशि प्राप्त हुई?
जवाब में मंत्री मो.अकबर बोले- जिन कंपनियों ने सीएसआर फंड के तहत राशि नहीं दी है, उन्हें राशि देनी है, जो कंपनियां देरी करती हैं उन पर कार्रवाई करने का भी नियम है। नारायण चंदेल ने कहा-ओडिशा राज्य ने सीएसआर फंड के उपयोग के लिए स्पष्ट नीति बनाई है, लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसी कोई नीति नहीं है। मंत्री मो.अकबर ने कहा कि- ओड़िसा की नीति मंगाकर अध्ययन कर लिया जायेगा।
बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने कहा- सीएसआर देने के लिए जब कंपनियां बाध्यकारी हैं ऐसी स्थिति में जो कंपनियां सीएसआर जमा नहीं करती हैं उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी किसकी है?
मो.अकबर बोले- कंपनी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाती है। कंपनी के ख़िलाफ़ केंद्र के एक्ट के तहत ही हो सकती है। अजय चंद्राकर ने कहा- राज्य सरकार की क्या भूमिका है?
मो. अकबर ने कहा- राज्य सरकार को सीधी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। राज्य सरकार कंपनी अधिनियम के पालन करने के लिए कंपनी को कह सकती है, लेकिन कार्रवाई कंपनी अधिनियम के तहत ही होगी।
बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा बोले- केंद्रीय अधिनियम का हवाला देकर राज्य सरकार पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है। सीएसआर के 40 से 50 फ़ीसदी हिस्सा राज्य सरकार लेकर दुरुपयोग करती है, जिन गांवों के विकास के लिए राशि खर्च करने की ज़रूरत होती है, वहां नहीं किया जाता।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने जनवरी 2020 से जनवरी 2023 तक हुए एमओयू, निवेश और रोजगार का मसला प्रश्नकाल में उठाया।
उद्योग मंत्री कवासी लखमा की ओर से आए लिखित उत्तर में दी गई जानकारी- जनवरी 2020 से जनवरी 2023 तक कुल 192 एमओयू हुआ, 96442.47 करोड़ का निवेश होना था, 1 लाख 24 हजार 336 लोगों को रोजगार मिलना था। इस अवधि के दौरान 9 एमओयू निरस्त हुआ। बाकी 183 एमओयू में से 137 निवेशकों द्वारा क्रियान्वयन शुरू किया गया, इसमें से 92 एमओयू इकाईयों ने कुल 5422.91 करोड़ निवेश किया गया। इन 92 इकाइयों में से 19 इकाइयों ने उद्योग स्थापित किया है, जिसमें प्रदेश के 4586 लोगों को रोजगार मिला। अभी तक 46 एमओयू में क्रियान्वयन शुरू नहीं हुआ है।
धरमलाल कौशिक ने कहा- लक्ष्य का 3 प्रतिशत निवेश हुआ और 6 प्रतिशत रोजगार मिला। उद्योग मंत्री कवासी लखमा की गैरमौजूदगी में मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा- निवेश के लिए 5 साल का समय रहता है। निवेश और रोजगार का प्रतिशत निकालकर तुलना नहीं हो सकती। कौशिक बोले- खोदा पहाड़ और निकली चुहिया वाली स्थिति है।
मोहम्मद अकबर ने कहा- आपके समय ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट हुआ उसका क्या हुआ? 5 हजार का निवेश एक अमेरिकी कंपनी करने वाली थी, उसका क्या ? 5 हजार करोड़ का बताकर लेकिन कोई कंपनी 5 रुपये का उद्योग भी नहीं लगाया तो उसका कुछ नहीं कर सकते, बाध्यकारी नहीं है।