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Uttarakhand Landslide: जोशीमठ ही नहीं नैनीताल और उत्तरकाशी में भी खिसक रही धरती
Uttarakhand Earth is slipping not only in Joshimath but also in Nainital and Uttarkashi

देहरादून। Uttarakhand Landslide: उत्तराखंड जोशी मठ आपदा प्रभावित शहर घोषित कर दिया गया है। यहां जमीन धंसने की घटना को देखते हुए किसी बड़े हादसे से निपटने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें प्रयास कर रही हैं। हालांकि भू वैज्ञानिकों औऱ विशेषज्ञों का कहना है कि खतरा केवल जोशीमठ को ही नहीं बल्कि नैनीताल औऱ उत्तरकाशी में भी भूधंसाव जारी है।

जिस तरह कई सालों से जोशीमठ के बारे में दी जाने वाली चेतावनी को नजरअंदाज किया जा रहा था, उसी तरह नैनीताल औऱ उत्तरकाशी पर चेतावनी के बावजूद ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

600 से ज्यादा घरों में दरार

बता दें कि जोशीमठ में 600 से ज्यादा घरों में दरार आ गई है। वहीं मारवाड़ी इलाके में जमीन से पानी की बड़ी धार निकल पड़ी है जो कि बड़े खतरे के ओर संकेत कर रही है। रविवार को पीएमओ ने हाईलेवल बैठक बुलाई थी जिसके बाद एक टीम को जोशीमठ भेजा जा रहा है। वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने सीएम धामी को फोन करके हर प्रकार से मदद करने का आश्वासन दिया है।

हाल ही में कमाऊं यूनिवर्सिटी की वैज्ञानिक प्रोफेसर बहादुर सिंह कोटलिया के हवाले से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि जोशीमठ की ही तरह नैनीताल , उत्तरकाशी, रूद्रप्रयाग और चंपावत भी भूधंसाव की जद में हैं और वहां भी कभी भी संकट गहरा सकता है। इसके पीछे मानवीय गतिविधियां और टो-इरोजन जिम्मेदार है। यहां बड़ी संख्या में लोगों का पहुंचना, ज्यादा और संवेदनशील निर्माण के साथ खनन मुसीबत बढ़ा रहा है।

क्या है जमीन धंसने की वजह

विशेषज्ञों का कहना है कि जोशीमठ में जो स्थिति बनी है इसके पीछे ‘मेन सेंट्रल थ्रस्ट’ जिम्मेदार है। यह एक भूवैज्ञानिक प्रक्रिया है। इस वजह से भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे खिसकती है। इसी गतिविधि को यहां आने वाला भूकंप के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है।

दूसरी वजह पहाड़ों से आने वाले पानी के मार्ग में बाधा बताई जा रही है। बारिश या बर्फबारी के बाद नदियों में पानी ना पहुंच पाने की वजह से बहुत सारा पानी जमीन में प्रवेश कर जाता है जो कि बाद में अपना रास्ता बनाता है ।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि नैनीताल और उत्तरकाशी में भी पर्यटकों का काफी दबाव है। यहां की अनियंत्रित और अव्यवस्थित निर्माण गतिविधियां संकट के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। बता दें कि जोशीमठ चीन से लगने वाली सीमा और धार्मिक महत्व के लिए काफी अहम है। यहीं शंकराचार्य ने तपस्या की थी। इसके अलावा चार धाम में से बदरीनाथ धाम यहीं स्थित है।

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