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VIDEOः राष्ट्रपति ने कहा…बाबा ने दिया मनखे मनखे समान का मंत्र…विवेकानन्द ने दुनिया को दिया भारत का संदेश…चांद पर भारत ने लहराया तिरंगा..मेहनत से मिलती है सफलता
बिलासपुर— देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु पहली बार बिलासपुर प्रवास पर पहुंची। यात्रा का शुभारम्भ पंडित सुन्दरलाल शर्मा विश्वविद्यालय स्थित हेलीेपे़ड पर स्वागत के साथ शुरू किया। हेलीपेड पर स्वागत सत्कार के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु कार से रतनपुर स्थित आदिशक्ति के दरबार माथा टेकने पहुंची । इस दौरान केन्द्रीय मंत्री रेणुका सिंह के अलावा, राज्यपाल विश्वभूषण और मुख्यमंत्री भूपेश समेत अन्य दिग्गज नेताओं ने भी राष्ट्रपति के साथ महामाया दरबार में हाजिरी लगाया। मांता दर्शन के बाद राष्ट्रपति मुर्मु…राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ सीधे केन्द्रीय विश्वविद्यायल में आयोजित दसवे दीक्षांत समारोह में पहुंची। इस दौरान राष्ट्रपति ने उपाधिधारकों को सम्मानित किया। इसके पहले संत गुरूघासीदास को नमन् कर आशीर्वाद लिया। दीक्षांत समारोह में भाषण के दौरान राष्टपति ने बच्चों को ना केवल उत्साहित किया। बल्कि स्वामी विवेकानन्द और बाबा गुरूघासीदास के जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा..महापुरूणों के जीवन को आदर्शन बनाकर कड़ी मेहनत करें। कड़ी मेहनत से ही सफलता मिलती है। मेहनत के बल पर ही भारत ने चांद पर तिरंगा फहराया है। देश की प्रथम नागरिक ने भाषण की शुरूआत जय जोहर से शुरू किया।
छात्राओं को विशेष बधाई
अपने संबोधन में द्रौपदी मुर्मु ने पदक पाने वाले सभी छात्र छात्राओं को बधाई दी। उन्होने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 76 प्रतिशत विद्यार्थियों में छात्रों की संख्या 45 प्रतिशत है।जो लगभग 60 प्रतिशत है। विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या लगभग 47 प्रतिशत है। छात्राओं के बेहतर प्रदर्शन के पीछे उनकी प्रतिभा और लगन शामिल है।
मुर्मु ने कहा कि शिक्षा के जरिए महिला सशक्तिकरण में अधिक योगदान होना चाहिए। हमारे देश की कुल आबादी में महिलाओं की संख्या आधी है। विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की भागीदारी के साथ समाज सेवा के कार्य भी किये जा रहे हैं। सुनकर खुशी हुई है। विश्वविद्यालय के आसपास के क्षेत्र में आदिवासी समुदाय की सख्या बहुत है। राज्य की एक तिहाई आबादी जनजातीय है। जनजातीय समुदाय के प्रति संवेदनशीलता और महिलाओं की भागीदारी जैसे विषय बहुत महत्वपूर्ण है। राष्ट्पति ने कहा कि देश के लोग विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाएंगे तो हमेशा आगे रहेंगे, ज्यादा तरक्की करेंगे। विश्वविद्यालय में आधुनिक प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही है। मैं आशा करती हूँ कि उपयोगी अनुसंधान के माध्यम से अपनी पहचान विश्वविद्यालय दुनिया में स्थापित करे।
भारत ने लहराया चांद पर तिरंगा
संबोधन में प्रथम नागरिक ने कहा कि चन्द्रयान का जिक्र किया। उन्होने कहा कि भारत ने अपना चंद्रयान 3 चाँद में भेजा है। बरसों की निष्ठा से चन्द्रयान अभियान को सफलता मिली है। यद्यपि मार्ग में की रूकावटें आयी। लेकिन हमारे वैज्ञानिकों ने किसी बात की की परवाह नही करते हुए चांद पर तिरंगा फहरा दिया है। इसलिए हमें तात्कालिक असफलताओं से हताश नहीं होना चाहिए। आज भारत ने अपने वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की प्रतिभा के बल पर स्पेस क्लब और न्यूक्लियर के क्षेत्र में प्रमुख स्थान बनाया है।होना चाहिए कार्यक्रममुर्मु ने दुहराया कि आज हमारा तिरंगा चाँद पर पहुँच चुका है। चाँद की सतह पर हमने शिवशक्ति की ऊर्जा पहुँचाई है। ऐतिहासिक उपलब्धि के विषय पर विश्वविद्यालय को कुछ आयोजन करने चाहिए। ताकि समाज में साइंटिफिक टेंपर का विकास होता रहे। हमारा देश अमृतकाल में है। युवा संविधान में उल्लेखित मूल कर्तव्यों का पालन करेंगे तो समग्र विकास को जरूर गति मिलेगी।
बाबा ने कहा मनखे मनखे एक समान
चुनौतियाँ हमारे जीवन में आती हैं लेकिन हमारे लिए नये मौके भी लाती है। हमारे देश की परंपराएं अत्यंत समृद्ध है और इन्हें बचाये रखने में अनेक विभूतियों की मेहनत है। विश्वविद्यालय का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यहाँ गुरु घासीदास जी का नाम है। उन्होंने मनखे मनखे एक समान का संदेश दिया। गुरु घासीदास ने समानता पर काम किया। समानता के आदर्शों पर चलकर ही युवा सुख के रास्ते पर चल सकते हैं और श्रेष्ठ समाज का निर्माण करें।
विवेकानन्द ने दिया दुनिया को संदेश
रायपुर का हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद के नाम पर है। वे स्वाध्याय, खेलकूद को भी महत्व देते थे। स्वामी जी आत्मविश्वास की मूर्ति थे। स्वामी जी ने शिकागो में भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता का विश्वघोष किया था। उस समय भारत में गुलामी की मानसिकता अपने चरम पर थी। एशिया के लोग हीनता की भावना से ग्रस्त थे। ऐसे वातावरण में विवेकानंद ने भारत का नाम बढ़ाया। विश्व समुदाय में आज भारत की गणना अग्रणी राष्ट्र में होती है। स्वामी विवेकानंद के अद्भुत उदाहरण से प्रेरणा लेकर हमे युवा पीढ़ी को आगे बढ़ाना है। राष्ट्रपति ने इस अवसर पर 2946 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की। समारोह को राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी संबोधित किया।
आदिशक्ति का राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने किया दर्शन
दीक्षांत समारोह में शिरकत करने से पहले राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी रतनपुर स्थित आदिशक्ति माँ महामाया देवी मंदिर पहुँची। विधिवत पूजा- अर्चना कर देशवासियों की सुख-समृद्धि और प्रगति की कामना की। पहली बार रतनपुर स्थित महामाया देवी के मंदिर में राष्ट्रपति प्रवास को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला।
इनकी रही विशेष उपस्थिति
इस अवसर पर राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और केंद्रीय जनजाति विकास राज्यमंत्री रेणुका सिंह भी मौजूद रहीं।उल्लेखनीय है कि ऐतिहासिक एवं धार्मिक नगरी रतनपुर का गौरवशाली इतिहास रहा है। कलचुरी वंश के शासक रत्नदेव प्रथम ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाया और यहाँ आदिशक्ति माँ महामाया देवी मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर 11वीं शताब्दी में बनवाया गया था। माँ महामाया रतनपुर शाखा के कलचुरी वंश के राजाओं की कुलदेवी थी। यहाँ पर दोनों नवरात्रियों में भव्य मेले का आयोजन होता है।