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अवतरण व महाप्रयाण दिवस पर याद किए गए भाई राजीव दीक्षित जी

राजनांदगांव। हम सबको अपनी दैनंदिनी में अपना स्वराष्ट्र के गौरवशाली कार्य-व्यवहार को अपने आचरण में लाने को अपनी प्राथमिकी बनानी होगी। इससे जहां एक ओर हम अपने स्वास्थ्य की समुचित देखभाल कर पावेंगे, वहीं दूसरी ओर हम अपने राष्ट्र को भी स्वावलंबी बनाने की दिशा में अग्रसर हो सकेंगे।
राजीव दीक्षित मंच छत्तीसगढ़ जिला इकाई राजनांदगांव के द्वारा तुलसीपुर मार्ग स्थित लेबर कालोनी के सामुदायिक भवन में स्वदेशी के प्रखर व मुखर वक्ता भाई राजीव दीक्षित जी के अवतरण दिवस व महाप्रयाण दिवस 30 नवंबर, स्वदेशी दिवस के अवसर पर प्रमुख वक्ता के रूप में मुख्य अतिथि की आसंदी से सभागृह में उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए राष्ट्र की ख्यातिलब्ध व्यक्तित्व डा. सूसन राज ने पाप और पुण्य शब्द की व्याख्या करते हुए आगे कहा कि हमारे पूर्वज ऋषि वैज्ञानिक, गुरू, शिक्षक एवं मुनिगण स्वास्थ्य से समृद्धि प्राप्त करके आनंदित होकर जीवन जीने का मंत्र पहले ही लिखकर, याद रखने के लिए संक्षिप्तीकरण करके इन्हें रीति-रिवाज एवं त्योहारों द्वारा विस्तृत करके कृति में लाने की पूरी व्यवस्था कर दिए थे।
संक्षिप्त इस प्रकार किया और सभी भारतीय इनसे परिचित भी है यह है भगवान की पूजा से पुण्य होगा अपूजा से पाप, विस्तृत जानकारी यह है-भ-भूमि, ग-गगन, व-वायु, अ-अग्नि, न-नीर की पू-पूर्ण, ज-जिम्मेदारी, पू-पूर्ण, न्-न्याय, नि-निष्पक्ष, य-योजना से होगी, जहां पूर्ण न्याय निष्पक्ष योजना से होती है, वहां शुभ और लाभ होता है। जहां शुभ है वहां स्वस्थ है और जहां लाभ है वहां समृद्धि है। बिना स्वास्थ्य के समृद्धि प्राप्त करने से स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए समृद्धि को खोना पड़ता है। कोशिकाओं के सभी छः विष्मुक्तिकरण को उन्मुक्त बनाए रखने के लिए किसानी ही एक कार्य है जिसे केंद्र बनाने से ही आर्थिक विकास हो सकता हैं। परन्तु, अपूजा अर्थात अपूर्ण जिम्मेदारी से आधा सच आधा सही या आधा अच्छा होता है, जिससे पाप होता हैए पाप का विस्तृतिकरण है। प-पाखंड, अ-अन्याय, प-पक्षपात, जहां पाखंड है वहां अन्याय और पक्षपात होता ही है, जिससे, इस्तेमाल कर और फैंक स्वभाव बनता है।
व्यक्ति को इस्तेमाल कर फेंकने से गरीबी, अनाथों, वेश्यावृत्ति और अपराधी दुनिया बन जाती है, जो मनमुटाव पैदा करती है और लड़ाई से युद्ध और विश्वयुद्ध करवाती है। वस्तु को इस्तेमाल कर फेंकने से भूमि, जल और वायु प्रदूषित हो जाती है और भोजन, हवा पानी से विष के अणु कोशिकाओं मे प्रवेश करती है, और बीमारी पैदा करती है। इस तरह बीमारी और लड़ाई से लोग मरने लगते है।
इस बीमारी और लड़ाई के चक्रव्यूह से निकलने के लिए सुदर्शन चक्र को सही तरह चलाना आना चाहिए।
पाप अर्थात पाखंड से आए अन्याय और पक्षपात ने कुदर्शन चक्र के द्वारा मानव जगत को बीमारी और लड़ाई के चक्रव्यूह में फंसा कर रखा है। इससे बाहर निकलने का एक ही मार्ग है, वह है। भगवान की पूजा सही अर्थ में हो, इसे ही श्री राजीव दीक्षित जी अपने ही स्टाइल में कह कर गए है।
विशिष्ट वक्ता पूर्व लोकपाल अमलेन्दु हाजरा ने अपने उद्बोधन में बेहद ही सरल, सहज व सुबोध व्याख्यान में बताया कि हमारे महान राष्ट्र भारतवर्ष में स्वदेशी बगैर सिला हुआ सादा सा अधोवस्त्र धोती को कम से कम अट्ठारह प्रकार से पहना जाता है। इसी प्रकार से हमारी भारतीय माता-बहिनों के द्वारा पहनी जाने वाली साड़ी को भी समूचे राष्ट्र भर में पंद्रह से भी अधिक प्रकार से पहनी जाती है, और यह हमारे समृद्ध भारतीय पहनावा को गौरवान्वित करता है, जबकि एक सिले हुए वस्त्र को हम केवल एक ही तरह से पहनते हैं।
साहित्यिक तपोभूमि नगरी राजनांदगांव के पत्रकार रवि मुदिराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि विकास की अंधी होड़ के इस वर्तमान दौर में देश के बालक बालिकाओं, छात्र-छात्राओं, ऊर्जा से भरपूर युवा-धन सहित समस्त महिलाओं और पुरुषों को मोबाईल और टेलीविजन के विलासितापूर्ण उपभोग की प्रवृत्ति से दूर रहना होगा, जिससे कि शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ्य रहा जा सके।
हमारे राष्ट्र की अपनी स्वदेशी जीवन व्यवस्था में योग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए हिन्दू युवा सेना के जिला अध्यक्ष व योग-गुरू किशोर माहेश्वरी व योग प्रशिक्षक धीरज द्विवेदी ने कहा कि समाज हित में जितनी भी बातें कही जा सकती थीं, वह सब पूर्व में कही जा चुकी हैं तथापि अब यह वह समय है, जबकि हम सभी को वह बातें अपने अपने आचरण में ढालनी होंगी, क्रियान्वयन में लाना अपेक्षित होगा। योग क्रिया हमारे शरीर का शोधन करके हमें स्वस्थ्य रखती है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में मंच के संस्थापक अध्यक्ष आनंदकुमार श्रीवास्तव ने उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए अतिथिगणों का परिचय कराया गया तथा भाई राजीव दीक्षित जी का जीवन परिचय, उनके कार्यों, राष्ट्र जागरण की गतिविधियों के संबंध में अवगत कराया गया। सभा में उपस्थित जनसमूह के मध्य से आए सवालों और जिज्ञासाओं का समाधान भी वक्ताओं के द्वारा किया गया।
स्वदेशी विचार संगोष्ठी कार्यक्रम का प्रारंभ राजीव दीक्षित मंच छत्तीसगढ़ जिला इकाई राजनांदगांव के संस्थापक अध्यक्ष आनंदकुमार श्रीवास्तव के द्वारा मंच की ओर से अतिथियों का पुष्प-गुच्छ भेंट कर स्वागत किया गया तथा उपरांत में भाई राजीव दीक्षित जी के तैलचित्र पर तिलकाभिषेक कर माल्यार्पण किया गया व दीप व धूप प्रज्वलित किया गया। अंत में स्वल्पाहार, जलपान के रूप में आगंतुकों को अंकुरित चना, मूंग, मंूगफल्ली व गाजर, खीरा आदि परोसा गया था तथा सनातन के संतश्री पुज्य आसाराम बापूजी के आश्रम वाले स्वास्थ्य के लिए लाभकारी जड़ी-बूटीयुक्त आरोग्यवर्धक पेय भी परोसा गया था। राजीव दीक्षित मंच के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव व राकेश सोनी के द्वारा सभी अतिथियों आगंतुकजनों तथा सामुदायिक भवन निःशुल्क उपलब्ध कराया जाने हेतु समिति के वरिष्ठ व्यवस्थापक सदस्यों समाजसेवी प्रकाश हरिहारनो, अधिवक्ता संतोष सिंह सहित समस्त उपस्थित सम्माननीय जनों का कृतज्ञतापूर्वक आभार प्रदर्शन किया गया।

(यह खबर टीम नेशन अलर्ट द्वारा संपादित नहीं की गई है. जैसी मिली वैसी प्रकाशित हुई है. अत: नेशन अलर्ट किसी भी तरह की गल्ती के लिए जिम्मेदार नहीं है.)

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