प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शहरी नियोजन में बरती गई कोताही पर चिंता जताते हुए कहा ‘आजादी के बाद देश में इक्का-दुक्का शहर ही नियोजित तरीके से बसाए गए। यह देश का दुर्भाग्य है। आजादी के 75 वर्षों में 75 नए और बड़े नियोजित शहर बसाए गए होते तो आज भारत की तस्वीर कुछ और ही होती।’
प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को शहरी नियोजन, विकास और स्वच्छता पर केंद्रीय बजट के बाद आयोजित वेबिनार में बोल रहे थे। उन्होंने कहा विकसित भारत के लिए नए शहरों की स्थापना देश की अनिवार्यता होने वाली है। आम बजट में शहरी विकास को उच्च प्राथमिकता का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत में शहरी विकास के दो प्रमुख पक्ष नए शहरों का विकास और पुराने शहरों में पुरानी व्यवस्थाओं का आधुनिकीकरण है। उन्होंने कहा कि इससे देश में व्यवस्थित शहरीकरण की शुरुआत होगी।
वेबिनार में हिस्सा लेने वाले विशेषज्ञों से उन्होंने कहा कि शहरी विकास में शहरी नियोजन और शहरी गवर्नेंस की बड़ी भूमिका होती है। शहरों की खराब प्लानिंग या प्लान बनाने के बाद उसका सही क्रियान्वयन न होना विकास यात्रा की सबसे बड़ी चुनौती है। प्रधानमंत्री मोदी ने वेबिनार में तीन प्रमुख मुद्दों पर फोकस करने की बात कही। इनमे अर्बन प्लानिंग इकोसिस्टम को मजबूत बनाने के साथ इसमें प्राइवेट सेक्टर की विशेषज्ञता का सही इस्तेमाल और अर्बन प्लानिंग को नई ऊंचाइयों पर ले जाना शामिल है।
उन्होंने राज्य सरकारों और शहरी निकायों को आगाह करते हुए कहा कि देश को विकसित बनाने में योगदान देने के लिए उन्हें सुनियोजित शहरी विकास करना होगा। अमृतकाल में अर्बन प्लानिंग ही हमारे देश का भाग्य निर्धारित करेगी। इतना ही भारत के सुनियोजित शहर ही भारत के भाग्य का निर्धारण करेंगे। अर्बन प्लानिंग और अर्बन गवर्नेंस के विशेषज्ञों से प्रधानमंत्री ने आग्रह करने के अंदाज में कहा कि उन्हें और अधिक इनोवेटिव आइडियाज के बारे में सोचना चाहिए।
जीआईएस आधारित प्लानिंग के साथ कुशल मानव संसाधन और क्षमता विकास होना जरूरी है। विशेषज्ञों की सोच से ही अनेक अवसर पैदा होंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भारत आज चक्रीय अर्थव्यवस्था को शहरी विकास का बड़ा आधार बना रहा है। देश में हर दिन हजारों टन शहरी कचरा निकलता है। वर्ष 2014 में देश में सिर्फ 14-15 प्रतिशत कचरे का प्रसंस्करण होता था जो आज 75 प्रतिशत हो गया है। अफसोस जताते हुए उन्होंने कहा अगर यह पहले होने लगा होता तो शहरों के किनारे कूड़े के पहाड़ न खड़े हो जाते।
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