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ओडिशा ट्रेन दुर्घटना: बाप ने फरिश्ता बनकर बचाई बेटे की जान, मुर्दाघर से निकालकर दी नयी जिंदगी

कोलकाता। हावड़ा जिले में रहने वाले हेलाराम मलिक के 253 किलोमीटर सफर करने के बाद ओडिशा के बालासोर जिले पहुंचे और मुर्दाघर में पड़े अपने बेटे को मौत के मुंह से निकालकर नयी जिंदगी बख्श दी।.

मलिक ने अपने 24 साल के बेटे विश्वजीत को बाहानगा हाई स्कूल में बने अस्थायी मुर्दाघर से निकाला और बालासोर अस्पताल ले गए, इसके बाद वह उसे कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल ले आए।

कई हड्डियों में लगी थी चोट

विश्वजीत की कई हड्डियों में चोट लगी थी और यहां एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर सेंटर में उसकी दो सर्जरी की गईं। हावड़ा में किराना की दुकान चलाने वाले हेलाराम ने कहा, ‘मैंने टीवी पर खबर देखी, तो मुझे लगा कि विश्वजीत को फोन करके पूछना चाहिए कि वह सही है या नहीं। शुरुआत में तो उसने फोन नहीं उठाया, लेकिन जब उठाया तो, मुझे दूसरी ओर से मुरझाई हुई सी आवाज सुनाई दी।

‘बेटे का हाथ दिखा’

दुर्घटना वाली रात (दो जून) को ही हेलाराम और उनके बहनोई दीपक दास एक एम्बुलेंस में बालासोर के लिए रवाना हो गए। हेलाराम ने कहा, ‘हम उसका पता नहीं लगा पाए, क्योंकि उसके मोबाइल फोन पर की जा रहीं कॉल का कोई जवाब नहीं मिल रहा था। हम कई अस्पताल गए, लेकिन विश्वजीत का कोई पता नहीं चल पाया। इसके बाद हम बाहानगा हाईस्कूल में बने अस्थायी मुर्दाघर पहुंचे, लेकिन शुरुआत में हमें उसमें जाने नहीं दिया गया। देखते ही देखते कुछ लोगों में कहासुनी हो गई और फिर हंगामा खड़ा हो गया। अचानक मुझे एक हाथ दिखा और मुझे पता था कि यह मेरे बेटे का हाथ है। वह जिंदा था।’

हेलाराम बिना वक्त गंवाए अपने लगभग बेसुध बेटे को बालासोर अस्पताल ले गए, जहां उसे कुछ इंजेक्शन लगाने के बाद कटक मेडिकल कॉलेज व अस्पताल भेज दिया गया। हेलाराम ने कहा, ‘उसके शरीर में कई फ्रैक्चर थे और वह कुछ बोल नहीं पा रहा था। मैंने वहां एक बॉन्ड पर हस्ताक्षर किए और सोमवार सुबह विश्वजीत को एसएसकेएम अस्पताल के ट्रॉमा केयर सेंटर ले आया।

‘अपने पिता का कर्जदार हूं’

विश्वजीत ने अस्पताल के बिस्तर से कहा, ‘मुझे नया जीवन मिला है। मैं अपने पिता का कर्जदार हूं। वह मेरे लिए भगवान हैं और उन्हीं की वजह से मुझे यह जिंदगी वापस मिली है। मेरे लिए बाबा ही सबकुछ हैं।’

विश्वजीत कोरोमंडल एक्सप्रेस में सफर कर रहा था, जो दो जून को शाम सात बजे एक मालगाड़ी से टकरा गई थी, जिसके बाद उसके ज्यादातर डिब्बे पटरी से उतर गए थे। उसी समय वहां से गुजर रही बेंगलुरु हावड़ा एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे भी कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकराने के बाद पटरी से उतर गए थे। इस दुर्घटना में कुल 278 यात्रियों की मौत हुई है, जबकि 1,200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

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