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करंट से एक और हाथी की चली गई जान.. आखिर कब तक होती रहेगी बेजुबान हाथियों की मौत..?
DEAD ELEPHANT

0 शमी इमाम
महासमुंद। बीती रात महासमुंद वनपरिक्षेत्र मे एक दंतैल हाथी की करंट लगने से मौत हो गई। मृतक नर हाथी की उम्र 25 वर्ष बताई जा रही है और उसे ME-5 के नाम से जाना जाता था। प्रदेश में करंट से हाथियों की लगातार मौतें हो रही हैं, मगर वन विभाग इन्हें बचाने के कोई भी ठोस उपाय नहीं कर रहा है।

2 दिनों से विचरण कर रहे थे 2 नर हाथी

महासमुंद के DFO पंकज राजपूत ने बताया कि 6 जनवरी की सुबह दो दंतैल हाथियों ने गरियाबंद से होते हुए महासमुंद वनपरिक्षेत्र मे प्रवेश किया था। दोनो दंतैल हाथी में से एक ME-1 व दूसरा ME-5 के नाम से जाना जाता है। दोनों हाथी विचरण करते हुए सिरपुर की ओर निकल गए। रात्रि 9 बजे के आसपास दोनो दंतैल हाथी कोडार जलाशय के सटे गांव के समीप वन विकास निगम के प्लांटेशन से होते हुए सिरपुर की ओर आगे बढ़े।

11 KV के तार से की गई थी हुकिंग

DFO ने बताया कि कोडार नहर के ऊपर से 11 KV का बिजली तार गुजरा है और किसी ने जंगली सुअर का शिकार के लिए उसी तार से हुकिंग कर जीआई तार लगाया हुआ था। हाथी जैसे ही वहां से गुजरा वो तार की चपेट मे आ गया और उसकी मौत हो गयी। इन हाथियों पर नजर रख रहे वनकर्मियों की नजर जब जमीन पर गिरे हाथी पर पड़ी तो इसकी सूचना अधिकारियों को दी।

डॉग स्क्वॉड की ली गई मदद

वन विभाग के अमले ने मौके पर पहुंचकर घटनास्थल जायजा लिया। यहां हुकिंग किया हुआ बिजली का तार लटका हुआ नजर आया, जिससे यह तय हो गया कि करंट से ही हाथी की मौत हुई है। जिसके बाद शिकारियों का पता लगाने के लिए डॉग स्क्वॉड की मदद से खोजबीन शुरू की गई।

DFO पंकज राजपूत ने बताया कि तीन सदस्यीय टीम द्वारा पीएम करने के बाद वहीं गड्ढा खोदकर मृत हाथी को दफना दिया जायेगा। बता दें कि महासमुंद जिले मे करंट से हाथी की ये दूसरी मौत है । इससे पूर्व वर्ष 2019 मे खिरसाली मे भी एक हाथी की मौत करंट लगने से हुई थी।

4 सालों में करंट से मृत 14 वां हाथी

महासमुंद वन परिक्षेत्र में जिस ME-5 नामक हाथी की मौत हुई है वह करंट से मरने वाला 14 वां हाथी है। पिछले हफ्ते हुए शीतकालीन सत्र में वन मंत्री मो. अकबर ने यह जानकारी दी थी कि सन 2019 से लेकर अब तक प्रदेश में 43 हाथियों की मौत हो चुकी है। इनमें से 13 हाथियों की मौत करंट के लगने से हुई है। करंट लगने के अधिकांश मामले शिकारियों द्वारा बिछाए गए बिजली के तार की वजह से हुए हैं, वहीं कुछ हाथियों की मौत बिजली के खंबों पर नीचे लटके हुए तारों की चपेट में आने से हुई है।

जंगलों में कब सुरक्षित होंगे बिजली के तार..?

छत्तीसगढ़ में वन्य क्षेत्र के गावों को रौशन करने के लिए वहां बिजली विभाग द्वारा तार बिछाए गए हैं, मगर इन तारों की ऊंचाई कम होने के चलते हाथी इनकी चपेट में आ जाते हैं, वहीं नंगे तार होने के चलते शिकारी भी इनसे हुकिंग करके जानवरों को मारने के लिए इस्तेमाल करते हैं।

विख्यात वन्य पशु प्रेमी नितिन सिंघवी बताते हैं कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से सन 2017 तक बिजली के करंट से लगभग 50 हाथियों की मौत हो चुकी थी। इसे देखते हुए उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दायर करते हुए मांग की थी कि वन्य क्षेत्र में हाथियों को करंट से बचाने के लिए बिजली के खंबों की ऊंचाई बढ़ाई जाये, साथ ही कव्हर किये हुए बिजली के तार लगाए जाएं। इस मामले में वन और बिजली विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। तब दोनों विभागों ने कोर्ट में कहा कि वे यह काम प्राथमिकता से करेंगे। इस जवाब के साथ कोर्ट ने दिशा-निर्देश देते हुए याचिका निराकृत कर दी।

एक दूसरे पर थोपी जा रही जिम्मेदारी

नितिन सिंघवी ने बताया कि उनकी याचिका के बाद बिजली विभाग ने पूरे प्रदेश में वन्य क्षेत्र में लगाये गए बिजली के तारों और खंबों का लेखा-जोखा तैयार किया और वन विभाग को इस कार्य के एवज में 1724 करोड़ रूपये देने के लिए पत्र प्रेषित किया। तब वन विभाग ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को पत्र लिखकर इतनी राशि की मांग की। मगर केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के किसी फैसले का हवाला देते हुए इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार पर थोप दी।

इस तरह सन 2017 को हाई कोर्ट के हुए फैसले के बाद यह मामला लंबित पड़ा हुआ है और करंट से अब भी बेजुबान हाथियों की जान जा रही है। नितिन सिंघवी ने बताया कि इस मामले को लेकर उन्होंने कुछ माह पहले ही एक और याचिका दायर की है, जिसको लेकर वन और बिजली विभाग को नोटिस जारी किया जा चुका है। जल्द ही इस मामले में सुनवाई शुरू होने की उम्मीद है।

बहरहाल चिंता इस बात की है कि हाथियों को इस बेमौत मरने से कैसे बचाया जाये। बिजली की व्यवस्था दुरुस्त करने का काम चाहे केंद्र करे या राज्य, आखिर इसे पूरा तो करना ही होगा। बेहतर ये होगा कि आपसी समन्वय से यह काम किया जाये अन्यथा जंगल की रक्षा करने वाले इन हाथियों की जान यूं ही जाती रहेगी।

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