मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की काम करने की एक खास कार्यशैली है। वे खास पद पर होते हुए आम व्यक्ति की तरह कभी बस में, कभी ट्रेन में सफर करते हुए तो कभी ढाबे पर चाय पीते हुए नजर आते हैं। खास बात यह है कि अक्सर वे औचक निरीक्षण करने कहीं भी चले जाते हैं। कुछ दिन पहले वह सुबह-सवेरे बुलेट बाइक पर सवार होकर गुरुग्राम में सफाई व्यवस्था का जायजा लेने पहुंच गए। इसी तरह से अंबाला से चंडीगढ़ बस के जरिए सफर किया तो अचानक अपने काफिले को किसी ढाबे पर रुकवा देते हैं और चाय की चुस्कियां का स्वाद लेते हैं। मुख्यमंत्री का मानवीय पहलू शनिवार को भी नजर आया। मुख्यमंत्री शनिवार देर रात करनाल रेलवे स्टेशन पर पहुंचे। रेलवे स्टेशन पर सर्दी में कांप रहे जरूरतमंदों को अपनी सिक्योरिटी की गाड़ी से रैन बसेरा में पहुंचाया। रैन बसेरा में शिफ्ट किए गए लोगों के रहने-खाने के लिए अपने कोष से तत्काल अढ़ाई लाख रुपए दिए। उन्होंने मौके पर करनाल के उपायुक्त को रैन बसेरे में जरूरतमंद लोगों के रहने और खाने-पीने की उचित व्यवस्था करने के आदेश भी दिए।
साहसिक फैसलों से गुरेज नहीं करते सीएम मोहर
गौरतलब है कि लंबे समय तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा में संगठन में विभिन्न पदों पर रहे मनोहर लाल खट्टर अक्तूबर 2019 में पहली बार करनाल से विधायक चुने गए और पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। उनकी काम करने की अपनी एक खास शैली है। वे योजनाओं को लेकर खुद गंभीर नजर आते हैं। इंटरनेट पर भी नई योजनाएं लागू करने के संबंध में सर्च करते रहते हैं। जनसंवाद कार्यक्रमों के जरिए जनता के बीच जाते हैं। साहसिक फैसले लेने से गुरेज नहीं करते हैं, तो प्रयोग करने से भी नहीं झिझकते हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री एक सादगी पसंद व्यक्ति हैं और उनकी यह सादगी अक्सर उनकी कार्यशैली में भी दिखती है।
कुछ समय पहले भी वे वेश बदलकर पंचकूला में दशहरा पर्व देखने चले गए। रविवार को भी करनाल से चंडीगढ़ जाते हुए मुख्यमंत्री अंबाला में चाय की एक दुकान पर रुके और लोगों के साथ चाय पी। उन्होंने लोगों का हाल-चाल जाना। मुख्यमंत्री मनोहर लाल को इस तरह से अपने बीच पाकर आम लोग हैरान भी दिखे और खुश भी। लोगों ने एक स्वर में कहा कि पहले कभी देखा नहीं कि इस तरह से मुख्यमंत्री अचानक आ जाएं। इस दौरान चाय की दुकान चलाने वाले दुकानदार ने कहा कि यह उनका सौभाग्य है कि मुख्यमंत्री उनके पास चाय पीने आए हैं। वे तो इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते कि मुख्यमंत्री खुद चाय पीने आएंगे।
बस व ट्रेन में अक्सर करते हैं सफर
खास बात यह है कि पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दो बार चंडीगढ़ से दिल्ली तक शताब्दी एक्सप्रैस के जरिए सफर किया था। इस दौरान उन्होंने ट्रेन में आम लोगों से बातचीत की और सरकार की नीतियों एवं योजनाओं का भी फीडबैक लिया। लोगों ने मुख्यमंत्री को सुझाव भी दिए और मुख्यमंत्री ने सुझावों के व्यवहारिक होने पर अमल में लाने का आश्वासन भी रेल यात्रियों को दिया। इससे पहले पिछले वर्ष दशहरे के दिन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर बिना किसी को कुछ जानकारी दिए सादे कपड़ों में पंचकूला स्थित दशहरा ग्राउंड में पहुंच गए। उनके मुंह पर कपड़ा व मास्क था और सिर पर एक टोपी पहनी हुई थी, इस कारण उन्हें कोई पहचान नहीं पाया।
यहां ये भी उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले मुख्यमंत्री करनाल से चंडीगढ़ जाते हुए रास्ते में हरियाणा रोडवेज की एक बस में सवार हो गए जो नई दिल्ली से कटरा जा रही थी और मुख्यमंत्री ने इस बस में करनाल से अंबाला छावनी तक सफर किया। इस सफर के दौरान उन्होंने यात्रियों से भी पारिवारिक माहौल में बातचीत की। रोडवेज की बस में जब मुख्यमंत्री मनोहर लाल सवार हुए तो उन्हें इस तरह अपने बीच देखकर यात्री जहां हैरान हो गए वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री की सादगी के भी कायल हो गए। जब मुख्यमंत्री ने खुल कर यात्रियों से बातचीत शुरू की तो यात्रियों ने भी अपने मन की बात खुल कर उनसे करनी शुरू कर दी औऱ अपनी समस्याएं भी उनके सामने रख दीं और मुख्यमंत्री ने भी बड़े सहज रूप से उनकी दिक्कतों को जाना और सरकार की नीतियों के बारे में भी फीडबैक लिया ।
चाय का स्वाद व लोगों का साथ रहेगा हमेशा याद: मनोहर
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने स्वयं के ट्विटर हैंडल पर लिखा कि ‘कड़ाके की इस ठंड में हरियाणा परिवार के साथ चाय पर चर्चा की। करनाल से लौटते समय अंबाला के सुल्तानपुर चौक पर उपस्थित नागरिकों के साथ चाय पी और उन्हें मकर संक्रांति की बधाई दी। चाय की दुकान पर हुई आवभगत और मौके पर मिले एक-एक नागरिक ने जिस जिंदा दिल्ली से मेरा स्वागत किया, वह आनंदित कर देने वाला पल था। चाय के साथ उनका हाल-चाल जाना और उनकी समस्याओं पर भी बात की। इस चाय का स्वाद और आपका साथ हमेशा याद रहेगा। सबने मकर संक्रांति की राम-राम।’ एक अन्य टवीट में उन्होंने लिखा कि ‘करनाल रेलवे स्टेशन पर कड़ाके की ठंड में कुछ लोगों के खुले में रात बिताने की सूचना पर तुरंत स्थिति का जायजा लिया। मौके पर जो जरूरतमंद लोग दिखे, उन्हें तुरंत अपने सिक्योरिटी गाड़ी से रैन बसेरे में पहुंचाया। उनके खाने-पीने की उचित व्यवस्था के लिए अपनी निजी कोष से अढ़ाई लाख रुपए की राशि देकर उपायुक्त को उनकी उचित व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए।
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